Bihar Assembly Floor Test:बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा महागठबंधन से नाता तोड़ एनडीए के साथ आने के बाद विश्वास मत के दौरान विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले की जांच अब प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) करेगा। दरअसल, इस मामले की जांच की जिम्मेदारी आर्थिक अपराध इकाई को सौंपी गई थी। लेकिन अब इस मामले को आर्थिक अपराध इकाई ने ईडी को सौंप दिया है। जिसके बाद अब इस पूरे मामले को ईडी देखेगी। इस पूरे मामले में आर्थिक अपराध इकाई को अवैध धन के बड़े पैमाने पर आदान-प्रदान के सबूत मिले हैं। अब इस मामले में शुक्रवार से ईडी सक्रिय हो गई है।
सूत्रों की मानें तो ईडी अब नये सिरे से प्राथमिकी दर्ज कर जांच में जुट गई है। जांच के क्रम में आर्थिक अपराध इकाई ने धन का प्रलोभन देकर सरकार को अव्यवस्थित करने, विधायक के अपहरण और मतदान के लिए प्रलोभन के भी साक्ष्य मिले हैं। जिसके बाद ईओयू ने इस मामले की ईडी से जांच की सिफारिश की थी। जिसके बाद अब इस पूरे मामले को ईडी ने टेकओवर कर लिया है।
अब इस पुरे मामले की जांच ईडी अपने तरीके से करेगी। उल्लेखनीय है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के विश्वासमत के दिन जदयू के तीन विधायक सदन में देरी से पहुंचे थे। वहीं विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में जदयू के कई विधायक शामिल ही नहीं हो पाए थे, जिसके बाद महागठबंधन की ओर से जदयू विधायक को तोड़ने के लिए 10-10 करोड़ रुपये और मंत्री पद का प्रलोभन दिए जाने के साथ विधायक बीमा भारती और दिलीप राय के अपहरण की शिकायत पूर्व मंत्री व हरलाखी विधायक सुधांशु शेखर ने 12 फरवरी को कोतवाली थाने में दर्ज कराई थी।
इसमें कहा गया था कि साजिश के तहत सरकार को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। जिसे अंजाम देने के लिए विधायकों को दस करोड़ का प्रलोभन दिया जा रहा है। जदयू विधायक सुधांशु शेखर ने लिखित शिकायत में कहा था कि एक परिचित के माध्यम से इंजीनियर सुनील ने 9 फरवरी को उनसे बात की थी।
उन्होंने महागठबंधन के साथ आने के लिए उन्हें 10 करोड़ और मंत्री पद का प्रलोभन दिया था। उधर, पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर यह मामला ईओयू को ट्रांसफर हुआ था। ईओयू को जांच के दौरान कई अहम सबूत हाथ लगे थे, इसके बाद इस मामले को अब ईडी को सौंप दिया गया है। अब इस मामले में ईडी तह तक जाएगी।