पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज है। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होना है। फिलहाल पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया जारी है। 17 अक्टूबर को नामांकन की आखिरी तिथि है। ऐसे में सभी दलों के बीच सीटों के तालमेल के साथ-साथ टिकट बांटने को लेकर महामंथन जारी है। इस चुनावी गहमागहमी के बीच राजद प्रमुख लालू यादव के परिवार के लिए सोमवार का दिन बहुत महत्वपूर्ण होने वाला हैं। 13 अक्टूबर को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में ‘लैंड फॉर जॉब’ मामले में फैसला आने वाला है। बता दें कि बिहार की सियासत में लालू परिवार की भूमिका हमेशा से अहम रही है। ऐसे में इस फैसले पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं।
सीबीआई की विशेष अदालत के आदेश पर लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव सोमवार को कोर्ट में सशरीर उपस्थिति रहेंगे। रविवार को लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव दिल्ली के लिए रवाना हो गए। ऐसे में बिहार चुनाव से पहले कोर्ट से आनेवाले इस फैसले ने राजद को टेंशन में डाल दिया है। तेजस्वी यादव समेत लालू यादव के परिवार के कई सदस्य इस मामले में आरोपित हैं। ऐसे में कोर्ट से आने वाले फैसले से बिहार की सियासत में भूचाल आ सकता है। तेजस्वी यादव के लिए यह मामला एक राजनीतिक परीक्षा जैसा है।
अगर अदालत का फैसला लालू परिवार के पक्ष में आता है, तो यह राजद और महागठबंधन के लिए बड़ी राहत होगी, खासकर ऐसे वक्त में जब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए तैयारियां जोरों पर हैं। वहीं, अगर फैसला प्रतिकूल रहा, तो विपक्ष खासकर भाजपा इसे चुनावी मुद्दा बनाने में देर नहीं लगाएगा। हालांकि तेजस्वी लगातार कहते रहे हैं कि हमने कोई गलत काम नहीं किया है, सच्चाई हमारे साथ है। यह केस राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है। ऐसे में यह फैसला न सिर्फ परिवार बल्कि बिहार की राजनीति की दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है।
बता दें कि, लैंड फॉर जॉब घोटाला मामले में राजद प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सहित अन्य आरोपी हैं। यह फैसला सीबीआई की विशेष अदालत में न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत में सुनाया जाएगा। कोर्ट ने सभी आरोपियों को फैसले के दिन व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया था। जिसके कारण आज लालू-तेजस्वी और राबड़ी दिल्ली के लिए रवाना होंगे।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में पहले 24 सितंबर को फैसला सुनाया जाना था। 24 सितंबर को कोर्ट की कार्यवाही दोपहर दो बजे शुरू हुई थी और फैसला सुनाने के लिए ढाई बजे का समय तय किया गया था। हालांकि बाद में अदालत ने निर्णय को स्थगित करते हुए 13 अक्टूबर की नई तारीख घोषित कर दी थी। इस बीच कानून के जानकारों का मानना है कि अगर सजा होती है तो 7 साल के लिए लालू परिवार को जेल हो सकती है।
‘लैंड फॉर जॉब’ मामला उस समय का है, जब लालू यादव 2004 से 2009 तक केंद्र सरकार में रेल मंत्री थे। लालू यादव ने जमीन के बदले नौकरियां दीं, यानी जिन उम्मीदवारों को रेलवे में नौकरी दी गई। उनके परिवारों ने बदले में अपनी जमीन लालू परिवार या उससे जुड़े लोगों के नाम की।