बिहार विधानसभा चुनावः खाकी पर भारी खादी?, मुकेश साहनी से जुड़े 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे नुरुल होदा, सीतामढ़ी से लड़ सकते चुनाव
By एस पी सिन्हा | Updated: April 16, 2025 14:48 IST2025-04-16T14:46:46+5:302025-04-16T14:48:03+5:30
वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी की राजनीतिक लाइन से सहमति जताते हुए राजनीति में उतरने का फैसला किया है।

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पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए खादी के आगे खाकी का रंग फीका पड़ने लगा है। वर्दी धारण करने वाले अधिकारियों की दिलचस्पी विधानसभा चुनाव को लेकर बढ़ती जा रही है। कुछ दिनों पहले शिवदीप वामनराव लांडे ने 'हिंद सेना' नाम से पार्टी बनाई है और अब 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे नुरुल होदा बुधवार को 'विकासशील इंसान पार्टी' का दामन थाम लिया। माना जा रहा है कि नुरुल होदा आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में सीतामढ़ी जिले की किसी सीट से उम्मीदवार हो सकते हैं। नुरुल होदा का नाम इस समय इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि उन्होंने वक्फ कानून के खिलाफ अपनी खुली नाराज़गी जाहिर की है। यही कारण है कि उन्होंने वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी की राजनीतिक लाइन से सहमति जताते हुए राजनीति में उतरने का फैसला किया है।
नुरुल होदा बिहार के सीतामढ़ी जिले के मूल निवासी हैं। वे रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) में आईजी स्तर के अधिकारी के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने यूपीएससी के साथ-साथ बीपीएससी और अवर सेवा चयन परीक्षा भी पास की थी, लेकिन वे अपने उद्देश्य को लेकर हमेशा स्पष्ट रहे और अंततः आईपीएस सेवा को चुना। उनकी शिक्षा यात्रा भी प्रभावशाली रही है।
उन्होंने सीतामढ़ी से प्रारंभिक शिक्षा, फिर बिहार विश्वविद्यालय से रसायन शास्त्र में स्नातक और दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। वे अंग्रेजी, उर्दू, फारसी और अरबी भाषाओं में भी दक्ष हैं। अपने लंबे कैरियर में उन्होंने धनबाद, आसनसोल और दिल्ली मंडल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में रेलवे सुरक्षा, नक्सल नियंत्रण, और अपराध रोकथाम के लिए कई नई रणनीतियां लागू कीं।
वे दो बार विशिष्ट सेवा पदक और दो बार महानिदेशक चक्र से सम्मानित हो चुके हैं। आईपीएस की ड्यूटी के साथ-साथ नुरुल होदा सामाजिक रूप से भी बेहद सक्रिय रहे हैं। वे अपने पैतृक गांव में 300 बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं। इसके साथ ही वे एक मैराथन धावक भी हैं और प्रतिदिन 10 किलोमीटर दौड़ना उनकी दिनचर्या का हिस्सा है।
नुरुल होदा का राजनीति में उतरना सिर्फ व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं बल्कि नीतिगत मतभेद और सामाजिक सरोकारों के कारण है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि वक्फ कानून के दायरे में होने वाले कथित भ्रष्टाचार और असमानता के खिलाफ वे अब लोकतांत्रिक मंच से आवाज उठाएंगे।
वहीं, वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी की कोशिश है कि वे नुरुल होदा जैसे अनुभवी और योग्य व्यक्ति को पार्टी का बड़ा चेहरा बनाएं, खासकर सीतामढ़ी और मिथिलांचल क्षेत्र में। अगर नुरुल होदा को पार्टी टिकट देती है, तो वे आने वाले चुनावों में एक मजबूत उम्मीदवार साबित हो सकते हैं। बता दें कि नुरुल होदा ने पिछले दिनों अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।