पटनाः बिहार में नई राजनीतिक व्यवस्था बनाने का दावा करने वाले चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की नवगठित पार्टी जन सुराज को पहले चरण के मतदान से ठीक पहले बड़ा झटका लगा है। नामांकन वापस लेने की समय सीमा पूरी होते ही, प्रशांत किशोर का सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा ध्वस्त होता नजर आ रहा है। पहले चरण की 121 सीटों में से, तीन सीटें ऐसी हैं जहां अब जन सुराज का कोई भी उम्मीदवार मैदान में नहीं है। दो उम्मीदवारों ने नामांकन वापस ले लिया है, जबकि एक सीट पर उम्मीदवार नामांकन दाखिल करने से पहले ही ‘लापता’ हो गया था।
जन सुराज अभी भी सबसे ज्यादा सीटों पर (118) चुनाव लड़ रही है, लेकिन तीन सीटों पर यह झटका एनडीए की सफल ‘डैमेज कंट्रोल’ रणनीति का परिणाम माना जा रहा है। बता दें कि दानापुर विधानसभा पर सीट पर जन सुराज ने अखिलेश कुमार को टिकट दिया था। नामांकन दाखिल करने से ठीक पहले वह अचानक गायब हो गए और उनका फोन स्विच ऑफ आने लगा।
जन सुराज ने उनके अपहरण की आशंका जताई थी। बाद में यही अखिलेश कुमार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ नजर आए। नतीजतन, इस सीट पर जन सुराज का कोई उम्मीदवार नामांकन ही नहीं कर पाया। वहीं, गोपालगंज विधानसभा सीट पर जन सुराज के उम्मीदवार शशि शेखर सिन्हा ने नामांकन वापस लेने के पीछे सेहत का हवाला दिया।
हालांकि, नाम वापस लेते ही उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार सुभाष सिंह का समर्थन कर दिया। इसी सीट पर, ओम प्रकाश राजभर की पार्टी (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) और भाजपा के बागी अनिकेत ने भी नामांकन वापस ले लिया, जिससे भाजपा की राह आसान हुई। इसी तरह ब्रह्मपुर विधानसभा सीट से जन सुराज के टिकट पर डॉ. सत्य प्रकाश तिवारी मैदान में थे।
सत्य प्रकाश तिवारी लंबे समय से भाजपा से टिकट मांग रहे थे। नामांकन वापस लेने के आखिरी वक्त में उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया और लोजपा (राम विलास) के उम्मीदवार हुलास पांडेय से मिलकर उन्हें समर्थन दे दिया। यह सीट लोजपा (राम विलास) को मिली है।
ऐसे में जन सुराज के उम्मीदवारों का इस तरह आखिरी मौके पर नाम वापस लेना और भाजपा/एनडीए के उम्मीदवारों को समर्थन देना प्रशांत किशोर के लिए बड़ा झटका है। कई नेता जो जन सुराज में टिकट नहीं मिलने पर आए थे, उनके वापस एनडीए खेमे में जाने से पार्टी की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। जन सुराज के समर्थकों के बीच भी यह चर्चा है कि बाहर से आए नेताओं को टिकट देने की वजह से इस तरह का ‘विकेट गिरना’ हो रहा है। अब सबकी निगाहें दूसरे चरण के नामांकन वापस लेने की तारीख 23 अक्टूबर पर टिकी हैं।
जिस तरह पहले चरण में एनडीए ने ‘बागियों’ को साधने और प्रशांत किशोर की पार्टी के उम्मीदवारों को अपने पक्ष में करने की रणनीति अपनाई है, अगर यह जारी रही, तो दूसरे चरण की 122 सीटों पर भी जन सुराज को और झटके लग सकते हैं।