पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों ने बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है। नेता एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जा रहे हैं। इसी कड़ी में मंगलवार को भाजपा कार्यालय, पटना में एक भव्य मिलन समारोह आयोजित करने जा रही है, जिसमें कई दिग्गज नेता पार्टी का दामन थामेंगे। इस समारोह में पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार के कद्दावर नेता नागमणि अपनी पत्नी सुचित्रा सिन्हा के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे। जबकि पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा भी भाजपा का दामन थामने वाले हैं। उल्लेखनीय है कि नागमणि का बिहार की राजनीति में लंबा अनुभव रहा है और ओबीसी समुदाय में उनकी गहरी पकड़ मानी जाती है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि उनका भाजपा में शामिल होना पार्टी के लिए एक बड़ा राजनीतिक लाभ साबित होगा।
इसके अलावा, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी भाजपा में शामिल होने वाले हैं। इनमें सबसे चर्चित नाम पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा का है, जिन्हें "असम का सिंघम" कहा जाता है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी उन्हें बक्सर से विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बना सकती है।
आनंद मिश्रा जन सुराज पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे थे। ऐसे में अचानक उनका पार्टी छोड़ना पीके के लिए सबसे बड़ा सियासी झटका साबित हो सकता है। बताया जा रहा है कि वे 19 अगस्त को सुबह 11 बजे पटना स्थित भाजपा में औपचारिक रूप से पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे। बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने भाजपा से टिकट की दावेदारी की थी।
लेकिन उस वक्त पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया। अब माना जा रहा है कि उनकी एंट्री से बक्सर सीट पर राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं। आनंद मिश्रा असम कैडर के आईपीएस अधिकारी रहे हैं। पुलिस की नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और जन सुराज पार्टी ज्वाइन की थी। यहां वे यूथ विंग के अध्यक्ष भी रहे।
हालांकि, 2024 लोकसभा चुनाव में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उनकी प्रशांत किशोर से दूरियां बढ़ीं और अब वे भाजपा का हिस्सा बनने जा रहे हैं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि आनंद मिश्रा के भाजपा में शामिल होने से बक्सर सीट पर मुकाबला और दिलचस्प हो जाएगा।
पार्टी भी उनके प्रशासनिक अनुभव और लोकप्रिय छवि का फायदा उठाने की रणनीति बना रही है। भाजपा के लिए यह मिलन समारोह न सिर्फ जनाधार बढ़ाने वाला है बल्कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों की रणनीति को भी नई धार देगा। वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में होने वाला यह कार्यक्रम बिहार में पार्टी के लिए शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है।