पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की गांठ कमजोर साबित हुई है। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि कांग्रेस की सीटिंग सीट भी सहयोगी दलों ने नही छोडा। कहीं भाकपा ने कांग्रेस की सीटिंग सीट पर अपना उम्मीदवार उतार दिया है, तो कहीं वीआईपी ने कांग्रेस की परंपरागत सीट पर उम्मीदवार दे दिया है। हालांकि कांग्रेस को कुटुंबा विधानसभा सीट से बड़ी राहत मिली है। राजद की ओर से जारी 143 उम्मीदवारों की आधिकारिक सूची में कुटुंबा सीट शामिल नहीं है, जिससे कांग्रेस के लिए मुकाबला आसान हो गया है। औरंगाबाद जिले की कुटुंबा सीट से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस और राजद के बीच चुनावी गठबंधन महज अब कहने को रह गया है।
ऐसे में महागठबंधन के घटक दलों में तल्खी बढ़ती जा रही है। महागठबंधन के भीतर दोस्ताना संघर्श( फ्रेंडली फाइट) की बात करें तो भाकपा-कांग्रेस और राजद-वीआईपी के बीच टकराव होने जा रहे हैं। अब तक की जानकारी के अनुसार, सात विधानसभा सीटों लालगंज, वैशाली, राजापाकर, बछवाड़ा, रोसड़ा, बिहार शरीफ और गौड़ाबौराम पर महागठबंधन के घटक दल आमने-सामने हैं।
गौड़ाबौराम सीट पर राजद और कांग्रेस दोनों ने अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं। लालगंज सीट पर भी कांग्रेस की आदित्य कुमार और राजद की शिवानी शुक्ला (पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला की बेटी) में सीधा टकराव है। जमुई की सिकंदरा विधानसभा सीट को लेकर कांग्रेस और राजद दोनों दलों के प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है।
यह सीट कांग्रेस के विनोद चौधरी को दी गई थी, लेकिन पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने भी राजद के सिंबल पर अपना नामांकन दाखिल कर दिया। वामदलों में भाकपा ही एक ऐसी पार्टी है, जिसका कांग्रेस के साथ चार सीटों पर आमने-सामने की टक्कर होगी। इनमें बछवाड़ा, बिहारशरीफ, राजा पाकड़ एवं करगहर शामिल हैं।
रोहतास जिले के करगहर में भाकपा प्रत्याशी महेंद्र गुप्ता ने अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। करगहर से कांग्रेस ने संतोष मिश्रा को टिकट दिया है, वे वहां के निवर्तमान विधायक हैं। रोसड़ा में भी भाकपा ने अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ उतारे दिए थे, लेकिन उस उम्मीदवार का नामांकन पत्र रद्द होने के कारण वहां अब आपस में संघर्ष नहीं होगा।
बछवाड़ा में कांग्रेस उम्मीदवार गरीब दास, बिहारशरीफ में कांग्रेस के ओमैर खान, राजापाकड़ में कांग्रेस की प्रतिमा दास के साथ भाकपा उम्मीदवारों की सीधी टक्कर होगी। बता दें कि पहले चरण का नामांकन समाप्त होने के बाद सोमवार को नाम वापसी के दिन तक महागठबंधन के सहयोगी दलों ने अपना उम्मीदवार वापस नहीं लिया है।
इस तरह महागठबंधन अब तक यह भी घोषित नहीं कर सका है कि किस दल को कितनी और कौन-कौन सी सीटें दी गई हैं। घटक दलों के बीच टकराव होने से महागठबंधन के नेता व कार्यकर्ताओं में भी असमंजस की स्थिति बन गई है। अब वे सोशल मीडिया पर खुलकर एक-दूसरे की लानत-मलामत करने में लगे हैं। ट्रोल करते हुए अपशब्द बोले जा रहे हैं।
हालांकि, महागठबंधन के शीर्ष नेता डैमेज कंट्रोल में लगे हैं पर खुलकर किसी के नहीं बोलने से कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति है। कांग्रेस राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने जरूर कहा है कि सही वक्त तक सब सही हो जाएगा। वरीय पर्यवेक्षक अशोक गहलोत ने भी सब ठीक हो जाने की बात कही हैं। लेकिन राजद खेमे से सुलह के प्रयास नहीं दिखने के चलते कार्यकर्ता भी एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोकने लगे हैं।
वहीं, महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर जारी खींचतान के बीच पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने सोमवार को सीधे तौर पर कांग्रेस को नसीहत दी। पप्पू यादव ने कहा कि महागठबंधन को कमजोर किया जा रहा है। ऐसे में अब वक्त आ गया है। कांग्रेस को बड़ा फैसला लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मैं बार-बार कह रहा हूं कि गठबंधन को वापस लीजिए। गठबंधन को कमजोर किया जा रहा है, इसके पीछे कौन है? सुबह तक टिकट बांटे जा रहे हैं, मैं इसे गलत मानता हूं गठबंधन धर्म का पालन केवल कांग्रेस कर रही है।
कांग्रेस ने अत्यंत पिछड़ी जाति, एससी-एसटी वर्ग पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया है। पप्पू यादव ने यह भी कहा, कांग्रेस के अलावा बाकी दलों के रवैये से ऐसा लग रहा है कि उन्हें आम जनता से ज्यादा अपनी सीटों की चिंता है। बार-बार कहने के बाद भी 12 जगह दो-दो उम्मीदवार खड़े कर दिए गए हैं, क्या इससे गठबंधन चलता है?
कांग्रेस ने बिहार के लिए कुल 61 उम्मीदवार घोषित किए
कांग्रेस ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कुल 61 उम्मीदवार घोषित किये हैं। पार्टी ने पांच बार में कुल 61 उम्मीदवारों की घोषणा की है, हालांकि महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर चले लंबे गतिरोध के चलते घटक दलों की सीटों की संख्या को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो सकी। कुछ ऐसी सीटें हैं जहां विपक्षी महागठबंधन के एक से अधिक घटक दलों के उम्मीदवार हैं।
यदि इन जगहों पर उम्मीदवारों के नाम वापस लेने को लेकर सहमति नहीं बनती है तो कुछ सीटों पर "दोस्ताना मुकाबला" भी हो सकता है। पार्टी ने सोमवार को सुपौल से मिन्नत रहमानी को उम्मीदवार घोषित किया। पार्टी ने इस सीट पर पहले अनुपम को टिकट दिया था, लेकिन उनकी उम्मीदवारी वापस ले ली गई।
क्योंकि अनुपम के कुछ पुराने ट्वीट के वायरल होने के बाद विवाद खड़ा हो गया जिनमें उन्होंने कांग्रेस से बाहर रहते हुए राहुल गांधी के बारे में विवादित टिप्पणी की थी। सितंबर, 2024 में कांग्रेस में शामिल होने से पहले अनुपम ‘युवा हल्ला बोल’ नामक संगठन के अध्यक्ष थे। वह लगातार बेरोजगारी, युवाओं की समस्याएं और नीट पेपर लीक जैसे मुद्दे उठाते रहे हैं।
कांग्रेस ने रविवार देर रात छह उम्मीदवारों की चौथी सूची जारी की। वाल्मीकिनगर से सुरेंद्र प्रसाद कुशवाहा, अररिया से आबिदुर रहमान, अमौर से जलील मस्तान, बरारी से तौकीर आलम, कहलगांव से प्रवीण सिंह कुशवाहा और सिकंदरा से विनोद चौधरी को प्रत्याशी बनाया गया है। पार्टी ने बृहस्पतिवार को अपने 48 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी, जिसमें पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राजेश राम और विधायक दल के नेता शकील अहमद खान के नाम प्रमुख थे।
कांग्रेस ने शुक्रवार को दरभंगा जिले के जाले विधानसभा क्षेत्र से ऋषि नारायण मिश्रा को प्रत्याशी घोषित किया, जो पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा के पौत्र हैं। पार्टी ने शनिवार को पांच और उम्मीदवार घोषित किए थे। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए दो चरणों में छह नवंबर और 11 नवंबर को मतदान होगा तथा मतगणना 14 नवंबर को होगी।