पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा कमर कस ली है। विधानसभा चुनाव में भाजपा मिशन त्रिशूल के सहारे सियासी जंग जीतने का प्रयास कर रही है। सूत्रों की मानें तो संघ के मिशन त्रिशूल न सिर्फ बिहार बल्कि बंगाल में भी अपनी गतिविधि बढ़ाने वाली है। लेकिन वर्तमान में फोकस बिहार पर है, जहां इसी साल विधानसभा का चुनाव होना है। ऐसे में संघ ने अभी से मोर्चा संभाल लिया है। संघ तीन मुद्दों पर, जिसमें पहला यह कि सर्वे के जरिए नाराज मतदाताओं और मुद्दे की पहचान की। दूसरा-कौन सा मुद्दा ज्यादा प्रभावी है यह देखा जाएगा। तीसरा-भाजपा को किस मुद्दे से फायदा और किससे नुकसान होगा यह देखा जाएगा। सूत्रों की मानें तो संघ के स्वयंसेवकों को एक टास्क देते हुए कहा है कि वह अपने इलाके में शाखा का विस्तार करें तो इसमें अधिक से अधिक लोगों को जोड़ें।
इसके साथ ही संपर्क साध कर अपने व्यवहार से अनजान लोगों के बीच भी दोस्ती बनाएं। इससे अधिक से अधिक लोगों का फीडबैक लें। यह काम मार्च महीने तक कर लेना और इसका रिपोर्ट मार्च महीने में संघ की सबसे बड़ी प्रांतीय बैठक में देनी है। वहीं, सर्वे से नाराज मतदाताओं और मुद्दे की पहचान कि जाएगी।
इसको लेकर बिहार चुनाव से पहले संघ अपना स्वतंत्र रूप से सर्वे करा रहा है। इसमें मुख्य तौर 3 चीजों को जानने की कोशिश की जा रही है। जिसमें किस नेता के खिलाफ नाराजगी है? कौन सा मुद्दा बड़ा इम्पैक्ट कर रहा है? भाजपा के लिए कौन सा इश्यू फायदेमंद और कौन सा मुद्दा घातक साबित हो रहा है? सूत्रों की मानें तो यह सर्वे इतना गुप्त तरीके से हो रहा है कि इसकी जानकारी संघ के लोगों को ही है।
स्वयंसेवकों को मैदान में उतार दिया गया है। इसका कारण यह है कि स्वयंसेवक लोगों से संपर्क का सबसे बेहतरीन माध्यम हैं। राज्य भर में शाखाओं की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। सूत्र बताते हैं कि बिहार को दो प्रांतों में बांटा गया है। जिसमें उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार। उत्तर बिहार में ये मुजफ्फरपुर और दक्षिण बिहार में पटना से संचालित होता है।
दोनों प्रांतों को मिलाकर अभी लगभग 1000 जगहों पर शाखाएं लगाई जाती है। स्वयंसेवकों को कम से कम 10 आम लोगों को प्रभावित करने की जिम्मेवारी सौंपी गई है। स्वयंसेवकों की टोली में पुरुष, महिला और युवाओं को शामिल कराया गया है। एक परिवार में अगर एक टोली गई तो वह उस परिवार के हर चीज पर चर्चा करेगी।