बिहार विधानसभा चुनाव में दिख सकता है बाहुबलियों का जलवा, कुछ खुद तो कुछ परिवार को सेट करने में जुटे
By एस पी सिन्हा | Updated: October 11, 2025 15:53 IST2025-10-11T15:52:54+5:302025-10-11T15:53:13+5:30
पटना जिले के दानापुर से राजद विधायक रीतलाल यादव और मोकामा से अनंत सिंह खुद चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। इसी तरह, कोसी इलाके में आनंद मोहन, चंपारण जिले में राजन तिवारी, मुजफ्फरपुर जिले में मुन्ना शुक्ला, भोजपुर में सुनील पांडेय, वैशाली में रामा सिंह, नवादा में राजबल्लभ यादव, अखिलेश सिंह, कौशल यादव आदि बाहुबलियों का दबदबा है।

बिहार विधानसभा चुनाव में दिख सकता है बाहुबलियों का जलवा, कुछ खुद तो कुछ परिवार को सेट करने में जुटे
पटना:बिहार विधानसभा चुनाव में ऐसे कई बाहुबली ताल ठोकने की तैयारी में जुट गए हैं, जो हत्या, अपहरण जैसे कई गंभीर कांडों के आरोपित हैं। बाहुबलियों के द्वारा विभिन्न दलों से टिकट की दावेदारी की जा रही है। कुछ स्वयं के लिए तो कुछ अपने रिश्तेदारों के लिए टिकट की जुगाड़ में हैं। पटना जिले के दानापुर से राजद विधायक रीतलाल यादव और मोकामा से अनंत सिंह खुद चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। इसी तरह, कोसी इलाके में आनंद मोहन, चंपारण जिले में राजन तिवारी, मुजफ्फरपुर जिले में मुन्ना शुक्ला, भोजपुर में सुनील पांडेय, वैशाली में रामा सिंह, नवादा में राजबल्लभ यादव, अखिलेश सिंह, कौशल यादव आदि बाहुबलियों का दबदबा है।
इनके रिश्तेदार चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी पूरी कर चुके हैं। राज्य के लगभग हर इलाके में बाहुबलियों का निर्णायक प्रभाव है और इनकी उपस्थिति स्थानीय वोट बैंक को प्रभावित करती है। वहीं, बाहुबली अशोक महतो भी अपनी पत्नी को राजद से टिकट दिलवाने की व्यवस्था कर रहे थे। लेकिन लालू यादव ने उनसे मिलने से हीं इनकार कर दिया। लेकिन अनंत सिंह, राजन तिवारी, मुन्ना शुक्ला, सुनील पांडेय से लेकर आनंद मोहन सिंह तक चुनावी समर में कूद चुके हैं। कुछ बाहुबलियों की विरासत उनकी पत्नी, बेटे और भाई-भतीजों ने उठा ली है। वहीं, बाहुबलियों ने अपनी-अपनी सहूलियत के हिसाब से अपना-अपना खेमा चुन लिया है।
मोकामा से पूर्व विधायक और छोटे सरकार नाम से मशहूर अनंत सिंह का मोकामा, बाढ़ और मुंगेर में दबदबा माना जाता है। साल 2020 में वह निर्दलीय चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन विधानसभा सदस्यता रद्द होने के बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी नीलम देवी राजद की टिकट पर चुनाव जीतीं, लेकिन जब राजद-जदयू का गठबंधन टूटा और बात विश्वास मत पर आ गई तो राजद विधायक नीलम देवी ने जदयू नेता व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का समर्थन किया। इससे साफ संदेश गया कि छोटे सरकार का समर्थन एक बार फिर नीतीश कुमार को मिला है। इस बार अनंत सिंह खुद चुनाव लड़ेंगे और वह 14 अक्टूबर को नामांकन करने वाले हैं। अनंत सिंह ने कभी मोकामा में नीतीश कुमार को सिक्कों से तौल दिया था।
बाहुबली सूरजभान सिंह का एक समय पटना से लेकर गोरखपुर तक रेलवे टेंडरों में वर्चस्व था। 90 के दशक से अपनी धमक की शुरुआत करने वाले सूरजभान सिंह ने कभी पीछे का रास्ता नहीं देखा। पहले विधायक बने और फिर बाद में सांसद। बाहुबली सूरजभान का नाम कई बड़े कांडों में भी सामने आया। साल 2000 के बिहार चुनाव में मोकामा विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीता था। उन्होंने छोटे सरकार यानी अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह को शिकस्त दी थी। इसके बाद सूरजभान साल 2004 में मुंगेर से सांसद बने। लेकिन, सजायाफ्ता होने के कारण उन्होंने अपनी विरासत पत्नी वीणा देवी और भाई चंदन सिंह को सौंप दी है। उनका परिवार रालोजपा के साथ था। लेकिन शनिवार को सुरजभान सिंह अपनी पत्नी वीणा देवी और भाई चंदन सिंह के साथ राजद का दामन थाम लिया है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि राजद उनकी पत्नी अथवा भाई को मोकामा विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। सूरजभान ने इस बार के चुनाव से पहले ये ऐलान भी कर दिया है कि मोकामा से अनंत सिंह को जीतने नहीं देंगे।
वहीं, एक समय था जब बाहुबली और सीवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की इजाजत के बिना इलाके पत्ता नहीं हिलता था। चंदू हत्याकांड, तेजाब कांड और पत्रकार हत्याकांड के आरोपी शहाबुद्दीन अब दिवंगत हो चुके हैं। उनकी विरासत अब पत्नी हिना शहाब और बेटा ओसामा शहाब संभाल रहे हैं। हिना ने तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ा, तीनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अब चर्चा है कि शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा राजद की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं।
जबकि सुनील पांडेय के पिता बालू का कारोबार करते थे। इसी दौरान उनकी हत्या कर दी गई। सुनील उस समय इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। पिता की हत्या ने बेटे को झकझोर कर रख दिया। सुनील बाहुबल के मैदान में कूद गए। इसके बाद उन्होंने भी अन्य बाहुबलियों की तरह सियासत में कदम रखा। साल 2000 में उन्होंने भोजपुर के पीरो से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत गए। अभी उनकी विरासत बेटे विशाल प्रशांत संभाल रहे हैं। विशाल तरारी सीट से भाजपा विधायक हैं।
पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद जदयू से सांसद हैं तो वहीं उनके बेटे चेतन आनंद भी राजनीति में सक्रिय हैं। एक समय था जब कोसी बेल्ट में आनंद मोहन की तूती बोलती थी। डीएम जी कृष्णैया की हत्या के दोषी आनंद मोहन उस वक्त सुर्खियों में आए थे, जब बिहार में अगला बनाम पिछड़ा की लड़ाई चल रही थी। वो उस दौर के पहले राजपूत नेता थे, जिन्होंने भूमिहारों के साथ लालू यादव के खिलाफ झंडा बुलंद किया था। चेतन आनंद 2020 के बिहार चुनाव में राजद के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए थे। चेतन आनंद का नाम भी राजद के उन विधायकों में शामिल है, जिन्होंने जदयू के महागठबंधन से एग्जिट करने के बाद नीतीश सरकार की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया था। आनंद मोहन लगातार पीएम मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए दिखते हैं। आनंद मोहन इसबार अपने छोटे बेटे को भी टिकट दिलाना चाहते हैं।
बिहार के बाहुबलियों में राजन तिवारी का नाम भी शुमार है। राजन तिवारी पर हत्या और अपहरण के कई आरोप लगे थे। पड़ोसी यूपी में भी राजन तिवारी की तूती बोलती थी। ये दो-दो बार बिहार में विधायक बने। इस बार वह भाजपा के टिकट पर चंपारण जिले के किसी सीट से चुनाव लडने की तैयारी है। राजन तिवारी का परिवार भी सियासत में सक्रिय रहा है। राजन की मां कांति देवी ब्लॉक प्रमुख रह चुकी हैं। राजन के बड़े भाई राजू तिवारी भी राजनीति में हैं। गोविंदगंज विधानसभा सीट से विधायक रह चुके राजू फिलहाल चिराग पासवान की अगुवाई वाली लोजपा (रा) के प्रदेश अध्यक्ष हैं।
वहीं, बिहार के वैशाली जिले से ताल्लुक रखने वाले रामा किशोर सिंह उर्फ रामा सिंह भी बिहार के बाहुबलियों के चैप्टर का एक हिस्सा हैं। इन्होंने कई दफे महनार विधानसभा सीट से जीत दर्ज की। 2014 में मोदी लहर में उन्होंने राजद के दिवंगक नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को लोकसभा चुनाव में हरा दिया था। इस बार फिर वह महनार सीट से बतौर लोजपा(रा) उम्मीदवार बनने की तैयारी में जुटे हैं।
पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह भी राजनीति में हैं और विधायक रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर ने छपरा और भतीजे सुधीर सिंह ने तरैया सीट से चुनाव लड़ा था। दोनों को ही हार का सामना करना पड़ा था। उनके भाई केदारनाथ सिंह बनियापुर सीट से लगातार तीन बार के विधायक हैं। रणधीर सिंह ने लोकसभा चुनाव के समय राजद छोड़ जदयू का दामन थाम लिया था। वह फिलहाल जदयू के प्रदेश महासचिव हैं और विधानसभा चुनाव में सारण के किसी सीट से उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं।
पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला की पहचान एक बाहुबली के रूप में की जाती है। वह इस समय आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। दरअसल, पटना के आईजीआईएमएस में वर्ष 1998 में बिहार सरकार में पूर्व मंत्री ई. बृज बिहारी प्रसाद की हत्या कर दी गई थी। कोर्ट ने मुन्ना शुक्ला समेत दो लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। वहीं, उसकी पत्नी अन्नू शुक्ला ने सियासी पिच पर बैटिंग शुरू कर दी है। अन्नू शुक्ला ने वैशाली की लालगंज विधानसभा सीट से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। अन्नू शुक्ला लालगंज में लगातार जनसंपर्क करने में जुटी हुई हैं। उनका कहना है कि लालगंज उनका परिवार है और वह यहां के हर घर से जुड़ी हुईं हैं। लोग अपने बेटे व नेता मुन्ना शुक्ला के लिए रो रहे हैं। लालगंज में आज भी मुन्ना शुक्ला के बिना अंधेरा है।