लाइव न्यूज़ :

Bihar Assembly election 2020: असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री, राजद और कांग्रेस के छूट रहे हैं पसीने, मुस्लिम मतदाताओं पर फोकस

By एस पी सिन्हा | Updated: September 25, 2020 21:09 IST

सभी राजनीतिक पार्टियां सामाजिक समीकरणों को साधने में जुटी हैं. राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद के मुखिया लालू प्रसाद यादव मुस्लिम-यादव (माय) समीकरण की बदौलत 15 साल तक शासन कर चुके हैं. 

Open in App
ठळक मुद्देमुस्लिम मतदाताओं के बीच प्रभावी दखल देने जा रहा है. ऐसे में तमाम पार्टियां दमखम वाले मुस्लिम उम्मीदवारों की तलाश में जुट गई हैं.राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अभी भी राजद इसी सामाजिक समीकरण की बदौलत सत्ता में वापसी के सपने देख रहा है. हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम की एंट्री से राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन के समीकरण बिगड़ने की आशंका है.

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में इसबार मुस्लिम प्रत्याशियों का सटीक चयन राजद ही नहीं, सभी स्थानीय दलों के सामने बड़ी चुनौती बनती जा रही है.

कारण कि इसबार एआइएमआइएम मुस्लिम मतदाताओं के बीच प्रभावी दखल देने जा रहा है. ऐसे में तमाम पार्टियां दमखम वाले मुस्लिम उम्मीदवारों की तलाश में जुट गई हैं. इसतरह सभी राजनीतिक पार्टियां सामाजिक समीकरणों को साधने में जुटी हैं. राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद के मुखिया लालू प्रसाद यादव मुस्लिम-यादव (माय) समीकरण की बदौलत 15 साल तक शासन कर चुके हैं. 

ऐसे में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अभी भी राजद इसी सामाजिक समीकरण की बदौलत सत्ता में वापसी के सपने देख रहा है. लेकिन हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम की एंट्री से राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन के समीकरण बिगड़ने की आशंका है.

उपचुनाव में उसके पक्ष में मुस्लिम वोटर्स का रुझान सामने आ चुका

दरअसल, पिछले साल किशनगंज विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उसके पक्ष में मुस्लिम वोटर्स का रुझान सामने आ चुका है. ऐसे में एआइएमआइएम ने इस बार अगर प्रभावी वोट काटे तो मुस्लिम मतदाताओं पर मजबूत पकड़ का दावा करने वाले महागठबंधन के राजद व वाम दल समेत एनडीए को भी अपना पुराना प्रदर्शन दोहराना चुनौतीपूर्ण होगा.

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक प्रदेश के कुल मतदाताओं में 18 फीसदी से अधिक भागीदारी मुस्लिम मतदाताओं की है. यह मतदाता इस समय दोराहे पर खडा है. एक तरफ एनआरसी और उससे संबंधित मुद्दे हैं, जिसने एआइएमआइएम के लिए जमीन तैयार की है. वहीं, महागठबंधन के राजद और कम्युनिस्ट दलों जुगलबंदी मुस्लिम मतदाता की परंपरागत पसंद रहे हैं.

हालांकि, जदयू ने एनडीए का घटक अंग होने के बाद भी मुसलमान मतदाताओं का भरोसा जीता है. ये सभी दल ने एआइएमआइएम की दस्तक से आशंकित होकर उसे वोटकटवा जरूर कह रहे हैं, लेकिन पूरी ताकत इन लोगों ने मुस्लिम सीटों पर रसूखदार प्रत्याशी तय करने में लगा रखी है.

मुस्लिम आबादी 18 फीसदी और यादवों की आबादी 14 फीसदी के करीब

सूबे में मुस्लिम आबादी 18 फीसदी और यादवों की आबादी 14 फीसदी के करीब है. बिहार में विधान सभा की 243 सीटों में से 47 विधान सभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम आबादी 20 से 40 फीसदी तक है और यही सामाजिक वर्ग वहां चुनावों में उम्मीदवारों की हार-जीत तय करता है.

राजद पहले से मुस्लिम वोटों को लेकर आश्वस्त रहता था लेकिन इस बार ओवैसी की एंट्री के बाद इन वोटों में सेंधमारी के खतरे को देखते हुए तेजस्वी यादव थोडे़ चिंतित हैं. चूंकि, राज्य में राजनीतिक समीकरण और गठबंधन 2010 के विधान सभा चुनाव जैसी हैं.

लिहाजा, उम्मीद की जाती है कि उसके ही मुताबिक वोटिंग पैटर्न होगा. साल 2015 में सत्ताधारी जदयू और भाजपा ने अलग-अलग चुनाव लडा था. नीतीश कुमार की पार्टी ने लालू यादव और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. लेकिन फिलहाल जदयू फिर से भाजपा के साथ जा चुकी है. 2010 में भी भाजपा और जदयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था.

40 फीसदी से अधिक मुस्लिम आबादी वाली 11 सीटों में से पांच पर राजग

ऐसे में 2010 के चुनावी नतीजों के आंकड़ों पर गौर करें तो 40 फीसदी से अधिक मुस्लिम आबादी वाली 11 सीटों में से पांच पर राजग (भाजपा-4 और जदयू-1) की जीत हुई थी. राजद सिर्फ एक सीट ही जीत सकी थी, जबकि दो पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था. ये सीटें सीमांचल और कोसी इलाके की थीं, जहां सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी केंद्रित है. 30 से 40 फीसदी मुस्लिम आबादी वाली सात विधानसभा सीटें हैं. 2010 में एनडीए ने उनमें से छह (भाजपा-5 और जदयू-1) सीटें जीती थीं.

राज्य में 20 से 30 फीसदी मुस्लिम आबादी वाली 29 विधान सभा सीटें हैं. इनमें से 27 पर एनडीए (भाजपा-16 और जदयू-11) ने जीत दर्ज की थी. राजद ने सिर्फ एक सीट जीती थी. मुस्लिम बहुल कुल 47 सीटों में से 38 पर एनडीए की जीत हुई थी. हालांकि, पिछले दस वर्षों में सामाजिक समीकरण बदले हैं.

नीतीश सरकार के खिलाफ भी एंटी इन्कम्बेंसी फैक्टर हावी हुए हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि तीन तलाक, नागरिकता संशोधन कानून, अनुच्छेद 370 हटाने के मोदी सरकार के फैसले के बाद मुस्लिम वोटों का झुकाव राजद-कांग्रेस वाले गठबंधन की तरफ हो. लेकिन असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने राज्य के 22 मुस्लिम बहुल जिलों की 32 विधान सभा सीटों पर ताल ठोकने का ऐलान किया है.

यहां बता दें कि 2015 में भी ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम ने छह सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे. लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया था. बाद में एक सीट पर हुए उप चुनाव में एआइएमआइएम की जीत हुई थी. इससे पार्टी उत्साहित नजर आ रही है.

खास बात यह भी है कि जिन 32 सीटों पर ओवैसी की पार्टी ने ताल ठोकने का फैसला किया है, उसमें एक तिहाई सीटों पर फिलहाल राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन का कब्जा है. इनमें से सात पर राजद, दो पर कांग्रेस और एक पर सीपीआई(एमएल) के विधायक हैं और ये सभी मुस्लिम चेहरे हैं.

ऐसे में अगर ओवैसी ने उम्मीदवार उतारे और मुस्लिमों के बीच पैठ बनाने में कामयाब रहे, तब महागठबंधन की राह मुश्किल हो सकती है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ओवैसी के इस ऐलान के बाद महागठबंधन पर आंच आना तय है. लेकिन देखना होगा को राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव इस गांठ का क्या तोड़ निकालते हैं?

टॅग्स :बिहार विधान सभा चुनाव २०२०ऑल इंडिया मजलिस -ए -इत्तेहादुल मुस्लिमीनअसदुद्दीन ओवैसीआरजेडीकांग्रेसजेडीयूभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)नरेंद्र मोदीनीतीश कुमारलालू प्रसाद यादवसोनिया गाँधीतेजस्वी यादव
Open in App

संबंधित खबरें

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतPariksha Pe Charcha 2026: 11 जनवरी तक कराएं पंजीकरण, पीएम मोदी करेंगे चर्चा, जनवरी 2026 में 9वां संस्करण

कारोबारIndiGo Crisis: 7 दिसंबर रात 8 बजे तक सभी यात्रियों को तत्काल पैसा वापस करो?, मोदी सरकार ने दिया आदेश, छूटे हुए सभी सामान अगले 48 घंटों के भीतर पहुंचाओ

भारतPutin Visit India: भारत का दौरा पूरा कर रूस लौटे पुतिन, जानें दो दिवसीय दौरे में क्या कुछ रहा खास

भारत अधिक खबरें

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत

भारतउत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोगः 15 विषय और 7466 पद, दिसंबर 2025 और जनवरी 2026 में सहायक अध्यापक परीक्षा, देखिए डेटशीट

भारत‘सिटीजन सर्विस पोर्टल’ की शुरुआत, आम जनता को घर बैठे डिजिटल सुविधाएं, समय, ऊर्जा और धन की बचत

भारतआखिर गरीब पर ही कार्रवाई क्यों?, सरकारी जमीन पर अमीर लोग का कब्जा, बुलडोजर एक्शन को लेकर जीतन राम मांझी नाखुश और सम्राट चौधरी से खफा