पटना: बिहार में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया हत्याकांड के दोषी बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई के बाद बिहार के सत्तारूढ़ महागठबंधन में ही घमासान बढ़ता जा रहा है। आनंद मोहन की रिहाई नीतीश कुमार के लिए गले की फांस बनती जा रही है। सरकार को बाहर से समर्थन दे रही भाकपा-माले खुलकर सरकार के फैसले के विरोध में उतर आई है।
माले विधायक सतेंद्र यादव ने कहा है कि जिस तरह से एक खास व्यक्ति के लिए सरकार ने नियम बदले हैं, उससे राज्य के पिछड़ों, अति पिछड़ों और अकलियतों में गलत मैसेज गया है। उन्होंने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई से महागठबंधन को कोई फायदा नहीं होने वाला है। नीतीश कुमार अपना वजूद खो चुके हैं और उनको लग रहा है कि इससे उनका वजूद वापस आएगा तो यह गलत सोच है।
विधायक सतेंद्र यादव ने कहा कि नीतीश कुमार बाहुबलियों की छांव में वोट बैंक का जुगाड़ कर रहे हैं। मुख्यमंत्री अपनी खोई हुई वजूद को वापस लाने में जुटे हुए हैं। लेकिन उनको यह समझना चाहिए कि सवर्णों का वोट महागठबंधन को मिलता कहां है? महागठबंधन पिछड़े के वोट से बना है। आनंद मोहन जिस बिरादरी से आते हैं तो उस बिरादरी का वोट तो भाजपा को जाता है। एक दो जगह पर जदयू के उम्मीदवार होते हैं तो कुछ वोट मिल जाता है। वरना राजपूत और सवर्ण जाती का वोट महागठबंधन को नहीं मिला है कभी भी।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को हमेशा से ही अपराधियों और बाहुबलियों के साये में रहने की आदत हो गई है। उन्हें जब भी लगता है कि वो अपना वजूद खो रहे हैं तो बाहुबली के पास जाते हैं। लेकिन इससे नीतीश कुमार का कोई भी फायदा नहीं होने वाला है। हकीकत है कि नीतीश कुमार ने अपने फायदे के लिये आनंद मोहन जैसे बाहुबली को रिहा कर दिया है। अगर आनदं मोहन की रिहाई होती है बाकी के गरीब, दलितों एवं पिछड़े लोगों के लिए नीतीश कुमार क्या निर्णय ले रहे हैं यह बताना चाहिए उनको।