लाइव न्यूज़ :

बिहार: आजीविका के लिए 74 फीसदी लोग कृषि पर निर्भर, सूबे में महज 15 फीसदी है हरित पट्टी

By एस पी सिन्हा | Updated: October 18, 2023 16:41 IST

बिहार के लगभग 93.60 लाख हेक्टेयर भूमि में 79.46 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य है। राज्य में आज भी 74 प्रतिशत लोग आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर है।

Open in App
ठळक मुद्देबिहार के लगभग 93.60 लाख हेक्टेयर भूमि में 79.46 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य हैराज्य के जीडीपी में कृषि का करीब 19 से 20 फीसदी का योगदान हैबिहार में पशुधन का करीब 6 फीसदी योगदान है

पटना: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बिहार के चौथे कृषि रोड मैप का शुभारंभ कर दिया है। बिहार के लगभग 93.60 लाख हेक्टेयर भूमि में 79.46 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य है। राज्य में आज भी 74 प्रतिशत लोग आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर है। राज्य के जीडीपी में कृषि का करीब 19 से 20 फीसदी योगदान। पशुधन का करीब 6 फीसदी योगदान है। सबको देखते हुए नीतीश ने कृषि रोड मैप लाने का फैसला लिया।

इस चौथे कृषि मैप के जरिए टेक्नोलॉजी पर जोर दिया गया है। बाजार के लिए किसानों को तकनीक से जोड़ा जाना है। साथ ही पर्यावरण फ्रेंडली कृषि के अलावा कम जल में खेती कैसे हो और वाणिज्यिक खेती के लिए किसान कैसे उत्साहित हो? इसके लिए सरकार ने नीति बनाई है। इसके माध्यम से बिहार में कृषि के आधुनिकीकरण के अलावे उत्पादों की मार्केटिंग को बढ़ावा दिया जाएगा।

बता दें कि नीतीश सरकार ने पहले कृषि रोड मैप में बीज उत्पादन के साथ किसानों की उत्पादकता बढ़ाने की कोशिश की उसके बाद चावल के उत्पादन में बिहार को काफी सफलता मिली। पहले कृषि रोड मैप में बीज उत्पादन के साथ किसानों की उत्पादकता बढ़ाने की कोशिश हुई थी। चावल के उत्पादन में बिहार को काफी सफलता मिली। पहला कृषि रोडमैप का बजट आकार बेहद छोटा था।

उल्लेखनीय है कि नीतीश सरकार का पहला कृषि रोड मैप 2008 से 2012 तक, दूसरा कृषि रोडमैप साल 2012 से 2017 तक और तीसरा कृषि रोडमैप साल 2017 से 2023 तक था। अब चौथा कृषि रोड मैप 2023 से 2028 तक का शुभारंभ आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा किया गया। कृषि रोड मैप में कृषि विभाग के अलावा पशु एवं मत्स्य संसाधन, सहकारिता, उद्योग, लघु जल संसाधन, जल संसाधन, ऊर्जा, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, राजस्व एवं भूमि सुधार, ग्रामीण कार्य, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण और गन्ना उद्योग यानी कुल 12 विभाग इसमें शामिल हैं।

आपको बता दें कि कृषि रोड मैप शुरू होने के बाद से बिहार सरकार को अब तक 5 कर्मण पुरस्कार मिल चुके हैं। वहीं, दूसरा कृषि रोड मैप 2012 में लागू किया गया। उसके लिए 2011 में नीतीश सरकार ने 18 विभागों को शामिल कर कृषि कैबिनेट का गठन किया था।बिहार को दूसरे किसी रोड मैप में कई पुरस्कार भी मिले। 2012 में चावल उत्पादन के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार मिला।

साल 2013 में गेहूं उत्पादन के क्षेत्र में कृषि कर्मण पुरस्कार मिला। 2016 में मक्का के उत्पादन के क्षेत्र में कृषि कर्मण पुरस्कार। उसके बाद तीसरा कृषि रोडमैप 2017 में लागू किया गया। कोरोना काल के कारण रोडमैप को एक साल बढ़ाया गया। तीसरे कृषि रोड मैप में ऑर्गेनिक खाद पर जोर दिया गया। किसानों को खेतों तक बिजली पहुंचाने में सरकार सफल रही।

इसमें बिहार में हरित पट्टी बढ़ाने पर जोर दिया गया। राज्य में फिलहाल 15 प्रतिशत हरित पट्टी है। हालांकि, सरकार ने हर खेत तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा। अब तक हर खेत तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ। 2025 तक हर खेत तक पानी पहुंचाने का वादा किया गया है।

टॅग्स :बिहारAgriculture Ministryपटनानीतीश कुमारद्रौपदी मुर्मू
Open in App

संबंधित खबरें

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई

भारतBihar: उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने विपक्षी दल राजद को लिया निशाने पर, कहा- बालू माफिया की छाती पर बुलडोजर चलाया जाएगा

भारतबिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान गायब रहे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतIndiGo Flight Cancel: इंडिगो संकट के बीच DGCA का बड़ा फैसला, पायलटों के लिए उड़ान ड्यूटी मानदंडों में दी ढील

भारतरेपो दर में कटौती से घर के लिए कर्ज होगा सस्ता, मांग बढ़ेगी: रियल एस्टेट