बिहार में भ्रष्ट अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई, अवैध खनन से कमाई करोड़ों की संपत्ति का हुआ खुलासा
By एस पी सिन्हा | Published: December 21, 2021 07:49 PM2021-12-21T19:49:02+5:302021-12-21T19:49:56+5:30
पटना के तत्कालीन मोटरयान निरीक्षक मृत्युंजय कुमार सिंह और विक्रम के तत्कालीन अंचल अधिकारी वकील प्रसाद सिंह पर आर्थिक अपराध इकाई की विशेष टीम ने दबिश दी तो उनके करोड़पति होने का भंडा फूटा।
पटना: बिहार में बालू के अवैध खनन से दौलत कमाने वाले अधिकारियों पर शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। पटना के तत्कालीन मोटरयान निरीक्षक मृत्युंजय कुमार सिंह और विक्रम के तत्कालीन अंचल अधिकारी वकील प्रसाद सिंह पर आर्थिक अपराध इकाई की विशेष टीम ने दबिश दी तो उनके करोड़पति होने का भंडा फूटा। बिहार और झारखंड के कम से कम चार शहरों में अलग-अलग ठिकानों पर आर्थिक अपराध अनुसंधान ईकाई (ईओयू) के द्वारा छापा मारा गया।
ईओयू की टीम ने आज सुबह राज्य की राजधानी पटना, झारखंड की राजधानी रांची के साथ ही औरंगाबाद और रोहतास में भी छापा मारा। बताया जा रहा है कि अवैध बालू उत्खनन एवं गैर कानूनी तरीके से धन अर्जित करने में इनकी संलिप्तता की जानकारी आर्थिक अपराध की विशेष टीम को मिली थी। जिसके बाद दोनों भ्रष्ट लोक सेवकों पर आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने कार्रवाई की है।
मोटरयान निरीक्षक मृत्युजंय कुमार के तीन ठिकानों पर छापेमारी की गई, जिनमें पटना के गोला रोड स्थित फार्मेसी कॉलोनी आरके सदन अपार्टमेंट, गोपालपुर और रांची के आवासीय ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई। आर्थिक अपराध इकाई की टीम को गिरफ्त में आए मृत्युंजय कुमार सिंह के पास बडे पैमाने पर आय से अधिक संपत्ति का पता चला था जिसके बाद इस भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ आर्थिक अपराध की कार्रवाई जारी है।
बताया जाता है कि दोनों अधिकारियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर यह कार्रवाई की गई है। अब तक की जांच में डीटीओ मृत्युंजय कुमार सिंह के पास ज्ञात श्रोत से 500 प्रतिशत से अधिक, जबकि सीओ वकील प्रसाद सिंह के पास 84 प्रतिशत से अधिक आय मिलने के प्रमाण हाथ लगे हैं। हालांकि अभी पूरी तरह से मूल्यांकण का काम चल रहा है।
इन अधिकारियों के रिश्तेदार भी कार्रवाई की जद में आए हैं। यहां बता दें कि पिछले दो महीने से आइपीएस अधिकारियों से लेकर बिहार प्रशासनिक और पुलिस सेवा, परिवहन विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारियों के खिलाफ छापेमारी से लेकर प्राथमिकी दर्ज करने और निलंबन तक की कार्रवाई हुई है।