जिन 10 एक्टिविस्टों पर पुलिस ने छापा मारा है उनमें से पांच कांग्रेस राज में भी हो चुके हैं गिरफ्तार

By आदित्य द्विवेदी | Published: August 29, 2018 07:17 PM2018-08-29T19:17:55+5:302018-08-29T19:17:55+5:30

मंगलवार को कई एक्टिविस्टों के घरों और कार्यालयों पर पुलिस ने ताबड़तोड़ छापेमारी की जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट से लेकर सोशल मीडिया तक चर्चा गर्म है। लेकिन पहली बार नहीं हुई ये गिरफ्तारियां। जानें इन एक्टिविस्टों के ट्रैक रिकॉर्ड के बारे में बड़ी बातें...

Bhima Koregaon: Activists arrested in UPA government also alleged Naxalite links | जिन 10 एक्टिविस्टों पर पुलिस ने छापा मारा है उनमें से पांच कांग्रेस राज में भी हो चुके हैं गिरफ्तार

जिन 10 एक्टिविस्टों पर पुलिस ने छापा मारा है उनमें से पांच कांग्रेस राज में भी हो चुके हैं गिरफ्तार

नई दिल्ली, 29 अगस्तः पुलिस ने मंगलवार को देशभर में कई एक्टिविस्टों के घरों व कार्यालयों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की। उनपर भीमा कोरेगांव हिंसा मामले और नक्सली गतिविधियों से जुड़े होने के आरोप लगाए गए। गिरफ्तार एक्टिविस्टों में सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वरवर राव, वरनन गोन्सॉल्विस और अरुण परेरा शामिल हैं। सभी आरोपियों पर धारा 153 A, 505(1) B, 117, 120B, 13, 16, 18, 20, 38, 39, 40 और UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम ऐक्ट) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इन गिरफ्तारियों के बाद सुप्रीम कोर्ट से लेकर सोशल मीडिया तक चर्चा तेज है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों को पांच सितंबर तक गिरफ्तारी से रोक लगा दी है। उन्हें घर में नजरबंद रखा जाएगा। कई राजनीतिक दलों ने इस पुलिसिया कार्रवाई को केंद्र सरकार की दमनकारी गतिविधि करार दिया है। लेकिन क्या पहली बार हुई है इन एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी?

अरुण परेरा

मानवाधिकार कार्यकर्ता अरुण फरेरा की गिरफ्तारी 2007 में हुई थी। उनपर नक्सली गतिविधियों में गुप्त रूप से संलिप्तता का आरोप लगा था। उन पर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम ऐक्ट के तहत 11 मामले दर्ज किए गए थे। उन्हें 2011 में बरी कर दिया गया। लेकिन जल्दी ही फिर गिरफ्तार किए गए और जमानत पर रिहा हुए।

वरनन गोन्सॉल्विस

अरुण परेरा की ही तरह वरनन गोन्सॉल्विस को भी 2007 में गिरफ्तार किया गया था। उन पर प्रतिबंधित नक्सली संगठनों से संबंधों के आरोप लगे थे। उन्हें 2013 में गैरकानूनी गतिविध रोकथाम ऐक्ट और आर्म्स ऐक्ट की धाराओं में दोषी पाया गया। लेकिन तबतक वो अपनी सजा पूरी कर चुके थे। इसलिए उन्हें रिहा कर दिया गया।

 गौतम नवलखा

पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को 2011 में श्रीनगर एयरपोर्ट पर राज्य में प्रवेश से रोका गया। उनके खिलाफ धारा 144 के तहत मामला दर्ज किया गया। उस वक्त नवलखा जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ काफी आवाज उठा रहे थे।

पी. वरवर राव

क्रांतिकारी लेखक और कवि वरवर राव को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकार ने कई बार जेल में डाला। आपातकाल के दौरान भी वो जेल में रहे। मानवाधिकारों के लिए सक्रिय रहते हैं।

बिनायक सेन

2005 में छत्तीसगढ़ विशेष जनसुरक्षा अधिनियम लागू करने का बिनयाक सेन में विरोध किया था। उन्होंने आशंका जताई थी कि इस क़ानून की आड़ में सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। उनकी आशंका सही साबित हुई और इसी क़ानून के तहत उन्हें 14 मई 2007 को गिरफ़्तार कर लिया गया। डॉ बिनायक सेन को मई, 2009 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ज़मानत मिली।

Web Title: Bhima Koregaon: Activists arrested in UPA government also alleged Naxalite links

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