नई दिल्ली, 6 सितंबर: आज देश भर में एसटी-एसटी एक्ट के खिलाफ सवर्णे समाज ने भारत बंद बुलाया है। एससी-एसटी एक्ट में हुए संशोधन के खिलाफ बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में लोग सड़क पर उतरे हैं। बंद को देखते हुए कई जगहों पर धारा 144 लगाई गई है। बंद का असर बिहार में सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है।
सवर्ण समाज से जुड़े 30 से 35 संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया गया है और इसको सपाक्स संगठन भी समर्थन दे रहा है। बंद को देखते हुए सुरक्षा बलों के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। सवर्ण संगठन एससी-एसटी एक्ट में हुए संशोधन को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
भारत बंद का लाइव अपडेट:
- भारत बंद के दौरान बिहार के मुजफ्फरपुर में जनता अधिकार पार्टी के सुप्रीमो और सांसद पप्पू यादव पर हमला हुआ है।
- जहानाबाद में प्रदर्शनकारियों ने एएसपी संजय सिंह पर पथराव किया है। घायल एएसपी को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
- आरा में एससी-एसटी में हुए संशोधन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया।
- पटना में जदयू कार्यालय के सामने सवर्ण समाज एससी-एसटी में हुए संशोधन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
- महाराष्ट्र के थाने में एससी-एसटी एक्ट में हुए संशोधन के खिलाफ लोग बैनर-पोस्टर के साथ सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
- एससी-एसटी एक्ट में हुए संशोधन के खिलाफ राजस्थान के अजमेर में बाजार पूरी तरह बंद हैं।
- बिहार के मोकामा में प्रदर्शनकारी बीजेपी का झंडा लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही टायर जला आगजनी कर रहे हैं।
- बिहार के मुंगेर और दरभंगा में प्रदर्शनकारी ट्रेन रोक विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
- मध्य प्रदेश 35 जिलों में हाई अलर्ट जारी किया गया है। सुरक्षा बलों की 35 कंपनियां और पांच हजार जवानों की तैनाती की गई है।
- भारत बंद का असर बनारस में दिख रहा है। वहां पर लोग पुतला फूंक, आग जला प्रदर्शन कर रहे हैं।
- भारत बंद’ के मद्देनजर मध्यप्रदेश के सभी पेट्रोल पम्प मालिकों ने अपने प्रतिष्ठान शाम चार बजे तक बंद करने फैसला किया है।
- मध्य प्रदेश के भिण्ड जिला प्रशासन ने ऐहतियात के तौर पर गुरुवार को जिले में स्कूल बंद रखने का आदेश दिया है।
- प्रदर्शनकारियों ने उत्तर प्रदेश में आगरा-ग्वालियर हाइवे किया जाम। मोदी हाय-हाय के लगा रहे हैं नारे।
- मध्य प्रदेश के विदिशा और रायसेन में लोग उतरे सड़क पर।
- बिहार में प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी मुर्दाबाद का लगाया नारा।
- पटना के बाढ़ में करनी सेना का प्रदर्शन। पूरा शहर किया बंद।
- बेगूसराय में प्रदर्शनकारियों ने एनएच-31-28 पर किया आगजनी।
- आरा में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन रोकी है। साथ ही पूरा बाजार बंद है।
- लोगों ने छपरा में भिखारी ठाकुर चौक को लोगों ने किया जाम।
- भारत बंद को देखते हुए मध्य प्रदेश के 18 जिलों में धारा 144 लागू है।
- मधुबनी-खगड़िया में लोगों ने NH जाम कर रखा है।
सुप्रीम कोर्ट मे 20 मार्च को एससी-एसटी एक्ट में बदलाव किया था। जिसके बाद दो अप्रैल को दलित संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भारत बंद किया था। दो अप्रैल को दलित संगठनों द्वारा बुलाया गया भारत बंद काफी हिंसक हो गया था। एक दर्जन लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे।
दलित के विरोध-प्रदर्शन के बाद केंद्र सरकार ने एससी/एसटी एक्ट को पुराने और मूल स्वरूप में बहाल कर दिया है।
दलित संगठन को क्या आपत्ति थी:
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक देश भर में एससी-एसटी एक्ट के तहत साल 2016 में कुल 11060 ऐसे केस दर्ज हुए थे। जांच के दौरान इनमें से 935 मामले पूरी तरह से गलत पाए गए। जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी। उस याचिका पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में एक्ट के तहत तुरंत होने वाली गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने नियमों में सुधार किया है। जिसके तहत किसी के खिलाफ शिकायत मिलने पर उसे तुरंत गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। इसके बाद पुलिस का कोई वरिष्ठ अधिकारी पहले मामले की जांच करेगा। जिस पर मामला दर्ज कराया गया है, अगर वो पहली नजर में दोषी पाया गया तब जाकर उसकी गिरफ्तारी होगी।
क्या है एससी-एसटी एक्ट
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम 1989 को 11 सितम्बर 1989 को संसद में पारित किया गया था। 30 जनवरी 1990 को इस कानून को जम्मू-कश्मीर छोड़ पूरे देश में लागू किया गया। एक्ट के मुताबिक कोई भी ऐसा व्यक्ति जो कि एससी-एसटी से संबंध नहीं रखता हो, अगर अनुसूचित जाति या जनजाति को किसी भी तरह से प्रताड़ित करता है तो उस पर कार्रवाई होगी।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 के तहत आरोप लगने वाले व्यक्ति को तुरंत गिरफ्तार किया जाएगा। जुर्म साबित होने पर आरोपी को एससी-एसटी एक्ट के अलावा आईपीसी की धारा के तहत भी सजा मिलती है। आईपीसी की सजा के अलावा एससी-एसटी एक्ट में अलग से छह महीने से लेकर उम्रकैद तक की सजा के साथ जुर्माने की व्यवस्था भी है। अगर अपराध किसी सरकारी अधिकारी ने किया है, तो आईपीसी के अलावा उसे इस कानून के तहत 6 महीने से लेकर एक साल की सजा होती है।