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बेंगलुरु नगर निगम ने राम नवमी के दिन मीट की बिक्री पर लगाया प्रतिबंध, कर्नाटक में हलाल मीट विवाद को लेकर पहले से चल रहा है प्रदर्शन

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 8, 2022 22:31 IST

बेंगलुरु में राम नवमी के दिन मीट की दूकानों को बंद किये जाने के लिए जारी हुए आदेश के संबंध में बेंगलुरु नगर निगम के पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक ने कहा कि राम नवमी के अवसर पर बेंगलुरु नगर निगम की सीमा में आने वाले सभी कसाई घरों पर और मांस की दुकानों पर होने वाले बिक्री को पूर्ण प्रतिबंध कर दिया गया है।

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ठळक मुद्देबेंगलुरु नगर निगम ने 10 अप्रैल को राम नवमी के अवसर पर मीट की बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया हैबेंगलुरु नगर निगम के इस फैसले से पहले दिल्ली के दक्षिण और पूर्वी नगर निगम इसी तरह का बैन लगा चुके हैंवहीं कर्नाटक में बीते कुछ दिनों से हलाल मीट के खिलाफ भी विरोध-प्रदर्शन चल रहा है

बेंगलुरु: बीते कुछ दिनों से कर्नाटक में चल रहे हलाल मीट विवाद में उस समय एक नया मोड़ आ गया जब बेंगलुरु नगर निगम ने आगामी 10 अप्रैल को राम नवमी के अवसर पर पूरे शहर में मीट की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।

इस संबंध में आदेश जारी करते हुए बेंगलुरु नगर निगम के पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक ने कहा, “राम नवमी के अवसर पर बेंगलुरु नगर निगम की सीमा में कसाई घरों पर और मांस की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा रहेगा।”

जानकारी के मुताबित मीट की दुकानों को बंद करने का आदेश बेंगलुरु नगर निगम के चीफ कमीश्नर गौरव गुप्ता ने बीते 3 अप्रैल को जारी किया है। जारी आदेश के आधार पर नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हर साल श्री राम नवमी, गांधी जयंती, सर्वोदय दिवस और अन्य धार्मिक अवसर पर नगर में पशु बलि और मीट की बिक्री को प्रतिबंध किया जाता है।

मालूम हो कि बेंगलुरु नगर निगम का यह फैसला उस समय में आया है जब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दक्षिण और पूर्वी दिल्ली के भाजपा शासित नगर निगमों के मेयरों ने मंगलवार को मौखिक आदेश जारी करते हुए अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में मीट की दुकानों को नवरात्रि के लिए बंद रखने के लिए कहा है। हालांकि दिल्ली की दोनों नगर निगमों की तरफ से इस संबंध में कोई आधिकारिक आदेश नहीं जारी किया गया है

दिल्ली में कुल तीन नगर निगम हैं। हालांकि दक्षिण और पूर्वी दिल्ली नगर निगम की तरह उत्तरी दिल्ली नगर निगम की ओर से इस मामले में कोई भी आदेश नहीं दिया गया है। जबकि यह उत्तरी नगर निगम पर भी दक्षिण और पूर्वी दिल्ली की तरह भाजपा शासित ही है।

जानकारी के मुताबिक मेयर के पास मीट की दुकानों को बंद करने का आदेश देने की शक्ति नहीं है और इस तरह से संबंधित किसी भी प्रकार के निर्णय लेने के लिए केवल नगर आयुक्त ही स्वतंत्र हैं।

वहीं दक्षिण और पूर्वी दिल्ली नगर निगमों के मेयरों के मीट की दुकानों को प्रतिबंधित किये जाने को लेकर दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने केवल दक्षिण और पूर्वी दिल्ली नगर निगम को ही नहीं बल्कि दिल्ली के तीनों नगर निगमों के मेयर और कमिश्नर को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है।

दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने अपने नोटिस में पूछा है कि आखिर किस आधार पर नगर निगम के मेयरों ने नवरात्रि की अवधि में मीट की दुकानों को बंद करने का आदेश दिया है। 

टॅग्स :बेंगलुरुदिल्ली
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