किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएमकेएसएन) योजना के लाभार्थियों की संख्या लगातार घटती जा रही है. योजना के तहत 2000 रुपए की पहली किस्त लेने वाले लाभार्थियों की संख्या चौथी किस्त आते-आते एक तिहाई से भी कम हो गई है. महाराष्ट्र में तो पहली किस्त के मुकाबले चौथी किस्त के लाभार्थियों की संख्या घटकर लगभग 20 प्रतिशत हो गई है.
कृषि मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र में योजना के करीब 81.86 लाख लाभार्थी थे. पहली किस्त के समय इनकी संख्या 75.21 लाख थी जो दूसरी में यह घटकर 67.02 लाख रह गई. इसके बाद तीसरी किस्त में राज्य के लाभार्थी किसानों की संख्या 48.53 लाख और चौथी किस्त आते-आते घटकर 15.28 लाख पर सीमित हो गई है.
कृषि मंत्रालय की वेबसाइट पर 1 जनवरी को अपडेट किए गए आंकड़ों के अनुसार देशभर में योजना के कुल लाभार्थियों की संख्या 8.55 करोड़ से अधिक है. पहली किस्त 8.12 करोड़ किसानों तक पहुंची, जबकि दूसरी किस्त लेने वाले किसानों की तादाद घटकर 7.46 करोड़ रह गई. तीसरी किस्त 5.96 करोड़ किसानों तक पहुंची जबकि चौथी किस्त के लाभार्थियों की संख्या 2.90 करोड़ रह गई.
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के सबसे बड़े लाभार्थियों में शामिल मध्यप्रदेश में चौथी किस्त के लाभार्थी किसानों की संख्या 51.89 लाख से घटकर केवल 85 रह गई है. इसी तरह उत्तर प्रदेश में पहली किस्त पाने वाले किसानों की संख्या जहां 1.83 करोड़ थी, वहीं चौथी किस्त के लाभार्थियों की संख्या 76.96 लाख रह गई है. योजना के तहत किसानों को तीन किस्तों में प्रति वर्ष 6000 रु पए देने का प्रावधान है. शुरुआत में यह योजना केवल 2 हेक्टेयर या उससे कम जमीन वाले किसानों के लिए थी, लेकिन बाद में इस सीमा को हटा लिया गया.
जमीन अभिलेखों का अभाव, इंटरनेट की धीमी रफ्तार कारण
कृषि मंत्रालय ने संसदीय समिति को बताया है कि देशभर में 14 करोड़ किसानों को इस योजना में शामिल करने का लक्ष्य है, लेकिन करीब आधे किसानों को ही इसमें शामिल किया जा सका है. सरकार ने उचित जमीन अभिलेखों का अभाव, आधार आंकड़े, बैंक खातों में त्रुटियां और ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की धीमी गति को इसका कारण बताया है. संसदीय समिति ने सरकार को खामियों को दूर करते हुए राज्यों से बेहतर तालमेल करने का निर्देश दिया है.