जयंती विशेष: बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 'वंदेमातरम' से जगाई थी लोगों में देशभक्ति की लौ
By पल्लवी कुमारी | Published: June 27, 2018 07:47 AM2018-06-27T07:47:38+5:302018-06-27T07:47:38+5:30
Bankim Chandra Chattopadhyay Birthday Anniversary: देश के राष्ट्रगीत और अन्य रचनाओं के लिए और बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की साहित्यिक रचनाओं के लिए युगों-युगों तक याद किया जाता रहेगा।
नई दिल्ली, 27 जून: बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय बंगला के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार थे। बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रची गई भारत के राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' उनकी ही रचना है। जो भारतीय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों में देशभक्ति की लौ जगाने का काम किया था। बंकिमचन्द्र का रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पूर्ववर्ती बांग्ला साहित्यकारों में उनका अन्यतम स्थान है।
आधुनिक युग में बंगला साहित्य का उत्थान उन्नीसवीं सदी के मध्य से शुरु हुआ था। इसमें राजा राममोहन राय, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर, प्यारीचाँद मित्र, माइकल मधुसुदन दत्त, बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय, रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अग्रणी भूमिका निभाई थी। इसके पहले बंगाल के साहित्यकार बंगला की जगह संस्कृत या अंग्रेजी में लिखते थे। बंगला साहित्य में जनमानस तक पैठ बनाने वालों मे शायद बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय पहले साहित्यकार थे।
बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म 26 जून 1838 को बंगाल के उत्तरी चौबीस परगना के कंथलपाड़ा में एक परंपरागत और समृद्ध बंगाली परिवार में हुआ था। इन्होंने अपनी पढ़ाई और शिक्षा कोलकाता के हुगली कॉलेज और प्रेसीडेंसी कॉलेज से की थी। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने उपन्यासों के माध्यम से देशवासियों में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह की चेतना का निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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आनंदमठ को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की बेहतरीन कृति में गिना जाता है। इसी उपन्यास से राष्ट्रगान वंदेमातरम को लिया गया है। आनंदमठ में 1857 से पहले के संन्यासी विद्रोह का विस्तार से वर्णन किया गया है। संन्यासी विद्रोह 1772 से शुरू होकर लगभग 20 सालों तक चला था।
देश के राष्ट्रगीत और अन्य रचनाओं के लिए और बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की साहित्यिक रचनाओं के लिए युगों-युगों तक याद किया जाता रहेगा। उनकी प्रथम प्रकाशित रचना राजमोहन्स वाइफ थी। जो अंग्रेजी में लिखी गई थी। उनकी पहली प्रकाशित बांग्ला कृति 'दुर्गेशनंदिनी' है। 1872 में बंकिमचंद्र ने मासिक पत्रिका बंगदर्शन का भी प्रकाशन किया था। इसके अलावा उन्होंने मृणालिनी, बिषबृक्ष, इन्दिरा, युगलांगुरीय, चन्द्रशेखर, राधारानी रजनी, कृष्णकान्तेर उइल, राजसिंह, आनन्दमठ और देबी चौधुरानी की भी रचनाएं की थी।
एक महान राष्ट्र भक्त ने रूप में ख्याती पाने वाले बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 8 अप्रैल, 1894 को निधन हो गया था। लेकिन वह आज भी वंदेमातरम बन कर लोगों के दिल में है। आज भी उनकी रचनाओं से लोगों में देशभक्ति की भावना आती है।
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