फूलन देवी की कहानी किसी फिल्म की पटकथा से कम नहीं है। यही वजह है कि जाने-माने निर्देशक शेखर कपूर ने उनकी जिंदगी पर आधारित 'बैंडिट क्वीन' फिल्म बनाई थी जिसने समाज को झकझोर कर रख दिया। 1994 में बनी इस फिल्म पर दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने कड़ा ऐतराज जताया था। हालांकि फूलन देवी को फिल्मों से बेहद लगाव था लेकिन वो नहीं चाहती थी कि उनकी निजी जिंदगी की नुमाइश हो। 1997 के दौरान एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वो फिल्में सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं देखती, बल्कि उससे मिलने वाले संदेश के लिए देखती हैं। डकैत, राजनेता और समाजसेवी फूलन देवी का आज जन्मदिन है। आइए, जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ रोचक बातेंः-
शाहरुख खान हैं पसंदीदा कलाकार
शाहरुख खान की फैन थी फूलन देवी। लेकिन कोई फिल्म इसलिए नहीं देखती कि वो उनके पसंदीदा कलाकार की है। वो फिल्म की कहानी की वजह से देखती हैं। एक इंटरव्यू में कहा कि हमने अपनी जिंदगी के ऊपर किताब भले लिख दी हो लेकिन फिल्में बनाना हमारे वश का काम नहीं है। फूलन देवी की पसंदीदा फिल्म रुदाली है। रुदाली का गाना- दिल हूम हूम करे घबराए... उन्हें बहुत पसंद है। फिल्मों नें अश्लीलता दिखाए जाने पर उन्हें सख्त ऐतराज था।
बैंडिट क्वीन पर जताया सख्त ऐतराज
शेखर कपूर 1994 में फूलन देवी की जिंदगी पर बैंडिट क्वीन फिल्म बनाई थी। इस फिल्म के खिलाफ फूलन देवी ने मानहानि का केस दर्ज कर दिया और फिल्म की रिलीज अटक गई। समझौते के बाद फिल्म 1996 में रिलीज की गई जिसके बाद फूलन देवी पर आरोप लगे कि उन्होंने निर्माताओं से मोटी रकम ली है। फिल्म रिलीज के बाद भी फूलन देवी ने कुछ सीन से नाराजगी जताई। उनका कहना था, 'बेहमई में नंगा घुमाने, बेहमई का रेप सीन, बाबू गुज्जर का रेप सीन और कानपुर में विक्रम मल्लाह के साथ रेप सीन पर मुझे ऐतराज है। ये चार सीन हटाकर फिल्म चाहे जिसे दिखाओ। समाज के ठेकेदार ऐसे थे जिन्होंने एक दिन नंगा किया, ये लोग रोज नंगा कर रहे हैं।'
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फूलन देवी के जीवन से जुड़ी जरूरी बातेंः-
- फूलन देवी का जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव गोरहा में 10 अगस्त 1963 में हुआ था। जन्म से ही फूलन जाति-भेदभाव की शिकार हुई है।
- महज 11 साल की उम्र में फूलन का विवाह एक मल्लाह के घर हुआ था। ये बाल विवाह तो था लेकिन सिर्फ फूलन के लिए, क्योंकि उसके पति एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति था।
- 15 साल की उम्र में ससुराल से भागकर आने के बाद फूलन अपने पिता के साथ मजदूरी के काम में हाथ बटाने लगी। इसी दौरान फूलन के साथ गांव के कुछ ठाकुरों ने मिलकर गैंगरेप किया।
- एक बार फूलन को पूरे गांव में नंगा कर घुमाया गया था। इसके बाद कहीं से न्याय न मिलने के बाद फूलन देवी ने हथियार उठाने का फैसला किया और वो डकैत बन गई।
- फूलन ने 1981 में 22 सवर्ण जाति के लोगों को एक लाइन में खड़ा कराकर गोलियों से भून डाला। इस घटना के बाद पूरे चंबल में फूलन का खौफ फैल गया।
- 22 लोगों की हत्या के बाद पुलिस उनके पीछे पड़ गई थी लेकिन फूलन देवी किसी के हाथ नहीं आ पाई थी। कुछ सालों बाद उसने तीन शर्तों के साथ आत्मसमर्पण किया- एमपी पुलिस के सामने आत्मसमर्पण, किसी साथी को मौत की सजा नहीं और पिता को वापस मिले हड़पी जमीन। प्रशासन ने सभी शर्तें मान ली।
- फूलन ने 13 फरवरी 1983 को भिंड में आत्मसमर्पण किया। मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने फूलन देवी ने एक समारोह में हथियार डाले थे और उस समय उनकी एक झलक पाने के लिए हजारों लोगों की भीड़ जमा थी।
- 11 साल तक फूलन देवी को बिना मुकदमे के जेल में रहना पड़ा। इसके बाद 1994 में आई समाजवादी सरकार ने फूलन को जेल से रिहा किया।
- इसके दो साल बाद ही फूलन को समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ने का ऑफर मिला और वो 1996 में मिर्जापुर सीट से जीतकर सांसद बनी और दिल्ली पहुंच गई।
- फूलन 1998 का लोकसभा चुनाव हार गईं थी लेकिन अगले ही साल हुए 13वीं लोकसभा के चुनाव में वे फिर जीत गईं।
- 25 जुलाई 2001 को उनकी हत्या कर दी गई।
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