सीवी रमन: प्रतिभा हो तो ऐसी, जिसने देश ही नहीं दुनिया में भी अपना परचम लहराया

By आकाश चौरसिया | Published: November 7, 2023 11:57 AM2023-11-07T11:57:01+5:302023-11-07T12:07:32+5:30

सीवी रमन के सम्मान में भारतवर्ष में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस हर साल 28 फरवरी को मनाया जाता है। उन्हें विज्ञान के लिए नोबेल पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है।

CV Raman Inspiration should be such who has made her name famous in the world | सीवी रमन: प्रतिभा हो तो ऐसी, जिसने देश ही नहीं दुनिया में भी अपना परचम लहराया

फाइल फोटो

Highlights7 नवंबर को नोबेल पुरस्कार विजेता सीवी रमन का जन्मदिन हैसीवी रमन ऐसी प्रतिभाओं से भरा थे, जिसके बल पर ही उन्होंने कम उम्र में ही 12वीं और 10वीं कक्षा पास कीसीवी रमन ने सरकारी नौकरी के साथ-साथ अनुसंधान भी जारी रखा

सीवी रमन: नोबेल विजेता चंद्रशेखर वेंकट रमन का आज जन्मदिन है। उन्हें साल 1930 में भौतिक विज्ञान में दिए गए योगदान के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया था। रमण दक्षिण भारत से ताल्लुक रखते हैं। उनका जन्म तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में नवंबर, साल 1888 में हुआ था। उनकी प्रतिभा के सम्मान में भारतवर्ष में हर साल 28 फरवरी को 'राष्ट्रीय विज्ञान दिवस' मनाया जाता है।

उनके पिता आर. चंद्रशेखर अय्यर भौतिक और गणित के लेक्चरार थे। इसी कारण उन्हें शुरुआत से ही शैक्षणिक माहौल मिला, इसमें ही बढ़े हुए और उनका जुनून पढ़ाई की ओर बढ़ता चला गया।   

कम उम्र में ही 10वीं और 12वीं कक्षा पास की
रमन में अद्भुत प्रतिभा थी, जिसके बल पर ही उन्होंने 11 साल की उम्र में ही 10 वीं कक्षा पास कर ली थी। इसके बाद मात्र 13 साल में ही स्कॉलर्शिप के आधार पर 12 वीं कक्षा पास कर ली थी। वह एक मात्र विद्यार्थी रहे हैं, जिन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज में पहली डिवीजन लाकर साल 1902 में पास हुए। उनके पिता आर.चंद्रशेखर अय्यर गणित और भौतिकी के व्याख्याता थे, जिसके कारण शुरुआती वर्षों से ही उन्हें एक शैक्षणिक माहौल का सामना करना पड़ा, जिसने इस क्षेत्र में उनके जुनून को और बढ़ा दिया।

रमन ने प्रोफेसर की सलाह पर अपनी आगे की पढ़ाई लंदन में की, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से भौतिकी में मास्टर की डिग्री भी उसी कॉलेज से ली, जहां उन्होंने बैचलर पूरा किया था। 

वित्तीय सिविल सेवा में भी किया टॉप
साल 1907 में रमन ने वित्तीय सिविल सेवा में शामिल हुए और इस परीक्षा में टॉप किया। इसके बाद वो कलकत्ता गए और सहायक अकाउंट जनरल के तौर पर कार्य किया। हालांकि, अपनी लक्ष्य को पूरा करने के लिए इंडियन एसोसिएशन फॉर कल्टीवेशन ऑफ साइंसेज के लिए इस बीच समय निकाला। 

लेबोरेटरी में मिलने वाली सुविधाएं बहुत सीमित थी, फिर भी उन्होंने अपनी अनुसंधान जारी रखी और 'फिजिक्स रिव्यू', 'द फिलॉसॉफिकल मैगजीन' और 'नेचर' जैसे जर्नल में अपने शोध पेपर छपवाएं। उनकी रिसर्च सबसे ज्यादा इस कंपन के क्षेत्रों और ध्वनिकी पर ही आधारित थी।

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