Bal Gangadhar Tilak birth anniversary: बाल गंगाधर को क्यों कहा गया 'लोकमान्य' और उनके निधन पर महात्मा गांधी ने क्या कहा था, जानिए
By विनीत कुमार | Updated: July 23, 2020 08:32 IST2020-07-23T08:32:13+5:302020-07-23T08:32:13+5:30
Bal Gangadhar Tilak birth anniversary: बाल गंगाधर तिलक का जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था। पेशे से शिक्षक और वकील होने के साथ-साथ उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन को धार तो दिया ही था, साथ ही समाज सुधार के लिए भी कई अहम काम किये।

Bal Gangadhar Tilak birth anniversary: आज बाल गंगाधर तिलक की जयंती
भारत के स्वतंत्रता आदोलन की जब भी बात होगी, बाल गंगाधर तिलक का नाम हमेशा सुनहरे अक्षरों में लिखा जाता रहेगा। 'पूर्ण स्वराज' की बात करने वाले देश के कुछ पहले स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की आज जयंती है। इस महान स्वतंत्रता सेनानी का जन्म आज के ही दिन साल 1856 में हुआ था। वे स्वतंत्रता सेनानी तो थे ही, साथ ही वे एक वकील, शिक्षक, समाज सुधारक भी थे।
बाल गंगाधर का जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी में एक मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ। इनके पिता गंगाधर शास्त्री संस्कृत के विद्वान थे और अध्यापत थे। माता का नाम पार्वती बाई गंगाधर था। बाद में पूरा परिवार पुणे आ गया था। बाल गंगाधर का विवाह 1971 में सत्यभामा से हुआ। तिलक ने 1872 में मैट्रिकी की परीक्षा पास की और फिर 1877 में गणित से स्नातक किया। उन्होंने 1879 में एलएलबी की डिग्री भी हासिल की।
Bal Gangadhar Tilak: सामाजिक एकता कायम करने का किया काम
देश में जब अंग्रेजों का शासन था, उस समय बालगंगाधर तिलक ने लोगों को एकजुट करने के लिए पूरे महाराष्ट्र में गणेश उत्सव मनाने का चलन शुरू किया था। दरअसल, साल 1893 तक गणेश चतुर्थी को लोग घरों में ही मनाते थे। बालगंगाधर तिलक ने इसमें बदलाव किया और लोगों को साथ आकर सार्वजनिक तौर पर गणेश उत्सव मनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
बाल गंगाधर तिलक ने ही प्रसिद्ध नारा 'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा' दिया था। यह नारा आगे जाकर भारत के दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणा बना। बाल गंगाधर तिलक को लोकमान्य की उपाधि उनकी लोकप्रियता के कारण मिली थी।
अग्रेजों से आजादी की लड़ाई के उस दौर में तीन स्वतंत्रता सेनानी बालगंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय और विपिन चंद्रपाल काफी चर्चित हो चले थे। तीनों को लोग 'लाल-बाल-पाल' कहा करते थे।
Bal Gangadhar Tilak: राजद्रोह का चला था मुकदमा
स्वतंत्रका संग्राम में हिस्सा लेने और अंग्रेजों का विरोध करने के कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। साल 1897 में पहली बार उन पर राजद्रोह का मुकदमा चला और फिर 18 दिन तक उन्हें जेल में रहना पड़ा। इसके बाद 1908 में भी उन पर मुकदमा चला था। उस समय उन्हें 6 साल की सजा सुनाई गई थी। जेल में रहने के दौरान बाल गंगाधर तिलक ने 'गीता रहस्य' नाम की किताब भी लिखी।
इसके बाद 1916 में भी लोकमान्य पर राजद्रोह का आरोप लगा था। हालांकि, वे जेल नहीं गए। बाल गंगाधर तिलक का निधन 1 अगस्त 1920 को हुआ। उनका अंतिम संस्कार मुंबई के चौपाटी में हुआ। कहते हैं कि लोकमान्य के अंतिम संस्कार में 2 लाख से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया था।
तिलक के निधन के चार दिन बाद ‘यंग इंडिया’ में ‘लोकमान्य’ शीर्षक से अपने श्रद्धांजलि लेख में महात्मा गांधी ने लिखा था - ‘जनता पर जितना प्रभाव उनका (तिलक) था, उतना हमारे युग के किसी और व्यक्ति का नहीं था। निस्संदेह वे जनता के आराध्य थे। वास्तव में हमारे बीच से एक महामानव उठ गया है।’ वैसे दिलचस्प ये भी है कि गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी में कई मुद्दों पर मतभेद रहे थे।

