बाबरी मस्जिद विध्वंसः लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की तारीख तय, जानिए कब दर्ज होंगे बयान
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 20, 2020 04:26 PM2020-07-20T16:26:35+5:302020-07-20T16:43:02+5:30
बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के मामले की सुनवायी कर रहे विशेष न्यायाधीश एस के यादव ने भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी के बयान दर्ज करने की तारीख 23 जुलाई तय की।
लखनऊ/अयोध्या/नई दिल्लीः सीबीआई की विशेष अदालत ने बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के सीआरपीसी की धारा—313 के तहत बयान दर्ज कराने की तारीख 24 जुलाई तय की है। बयान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दर्ज होंगे। बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के मामले की सुनवायी कर रहे विशेष न्यायाधीश एस के यादव ने भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी के बयान दर्ज करने की तारीख 23 जुलाई तय की।
बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के मामले की सुनवाई कर रही सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का सीआरपीसी की धारा-313 के तहत बयान दर्ज करने की तारीख 24 जुलाई तय की है। आडवाणी का बयान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दर्ज किया जाएगा।
विशेष न्यायाधीश एस के यादव ने अपने आदेश में भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी के बयान दर्ज करने की तारीख भी 23 जुलाई तय की है। अदालत ने सतीश प्रधान के बयान दर्ज करने की तारीख 22 जुलाई निर्धारित की है। विशेष अदालत ने सोमवार को आरोपी सुधीर कक्कड का बयान दर्ज किया। वह व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हुए। हालांकि उन्होंने पहले वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बयान दर्ज कराने की इच्छा जतायी थी।
वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के मामले में बृहस्पतिवार को विशेष सीबीआई अदालत में पेश हुई थीं। वह इस मामले में अदालत में बयान दर्ज कराने वाली 19वीं आरोपी हैं। उन्होंने विशेष सीबीआई न्यायाधीश एस. के. यादव की अदालत में दिए गए अपने बयान में कहा कि 1992 में केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक बदले की भावना से उनपर बाबरी विध्वंस का आरोप मढ़ा था। वह बिल्कुल निर्दोष हैं।
उन्होंने कहा कि तत्कालीन केंद्र सरकार ने बाबरी विध्वंस मामले में अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए उनके तथा अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। सभी को राजनीतिक दबाव में गलत तरीके से फंसाया गया। उमा भारती ने इस मामले में सीबीआई द्वारा पेश किए गए सबूतों पर कहा कि यह सब राजनीतिक दुश्मनी की वजह से किया गया है। हालांकि अदालत के बाहर आकर उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि राम मंदिर अभियान से जुड़कर वह खुद को गौरवान्वित महसूस करती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं तो राम भक्त हूं और राम भक्ति के भाव की वजह से मैंने इस पूर्ण अभियान में भाग लिया। इसके लिए मैं हमेशा खुद को गौरवशाली मानती हूं।’’ भारती ने अदालत में दिए गए बयान पर संवाददाताओं को कुछ भी बताने से इनकार करते हुए कहा, "मैं भारत के कानून को वेदों की तरह मानती हूं। अदालत एक मंदिर है और उसमें बैठे हुए न्यायाधीश को मैं भगवान की तरह मानती हूं। उनके सामने मैंने जो बातें कहीं हैं, उनपर मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकती क्योंकि सारी बातों पर फैसले आने बाकी हैं। मैंने अदालत में जो भी कहा, उसके बारे में मैं आपको कुछ नहीं बताऊंगी।"
उन्होंने कहा, "लेकिन मैं यह जरूर कहूंगी कि यह 500 साल तक चली लंबी लड़ाई है। शायद ही संसार का कोई अभियान ऐसा रहा हो जिसने पांच शताब्दियां पार की हों और उन पांचों शताब्दियों में वह लगातार बढ़ता ही गया हो। अंत में उच्चतम न्यायालय का जो निर्णय आया है, उसे भारतवासियों ने जिस प्रकार स्वीकार किया उससे भारत की छवि दुनिया में बहुत उज्ज्वल हुई है।" अदालत ने मामले के 32 आरोपियों में से अब तक 26 के बयान दर्ज कर लिये हैं। पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी के बयान भी अभी दर्ज होने हैं।