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Ayodhya Verdict: इन 'दो वजहों' से सुन्नी वक्फ बोर्ड नहीं दाखिल करेगा पुनर्विचार याचिका, अध्यक्ष ने खुद किया खुलासा

By अभिषेक पाण्डेय | Updated: November 14, 2019 08:43 IST

UP Sunni Central Waqf Board: अयोध्या में विवादित जमीन को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड क्यों नहीं दाखिल करेगा रिव्यू पिटिशन, खुद किया खुलासा

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ठळक मुद्देसुन्नी वक्फ बोर्ड अयोध्या फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगासुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित जमीन रामलला विराजमान को सौंपी थी

पिछले हफ्ते अयोध्या में विवादित भूमि को लेकर आए फैसले सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यहां राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। इस फैसले से भले ही कुछ लोग संतुष्ट न हों लेकिन उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरपर्सन दफर फारूकी अपने उस रुख  पर कायम हैं कि वह अब इस फैसले में कोई आगे कोई याचिका दाखिल नहीं करेंगे।  

फारूकी ने अयोध्या में राम जन्म भूमि, बाबरी मस्जिद विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल न करने की वजहें बताई हैं।

इन दो वजहों से पुनर्विचार याचिक नहीं दाखिल करेगा सुन्नी वक्फ बोर्ड

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, फारूकी ने एक इंटरव्यू में कहा, 'हमारे फैसले के दो कारण हैं। पहला, पहले दिन से ही हमारा ये रुख स्पष्ट रहा है कि हम सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानेंगे-वो चाहे जो भी हो। दूसरा, इस मुद्दे ने हमारे समाज में सालों से एक गहरा विभाजन पैदा किया है। अब पुनर्विचार के लिए जाने का मतलब है माहौल को फिर से खराब करना।'

अयोध्या विवाद में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड प्रमुख पक्षकारों में से एक था। 

सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने शनिवार को अयोध्या मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पूरी विवादित जमीन राम मंदिर निर्माण के लिए देने को कहा था और साथ ही मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन देने को कहा था। कोर्ट के इस सर्वसम्मत फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई, जहां हिंदू समूहों ने इसे 'संतुलित फैसला' कहा तो वहीं असद्ददीन औवैसी राजनेताओं ने इस पर असंतोष जाहिर किया था। 

वैकल्पिक जमीन स्वीकार करने को लेकर भी असहमति

वहीं इस बात को लेकर भी कुछ असहमति है कि क्या मस्जिद के लिए वैकल्पिक जमीन स्वीकार की जाए या नहीं। इस पर फारूकी ने कहा, इस बारे में लोगों द्वारा व्यक्त किए विचार एकदम उलट हैं, लेकिन हम अब भी इस आदेश का पालन करने के लिए आवश्यक कार्रवाई पर एक राय हासिल करने की प्रक्रिया में हैं।

फारूकी ने हालांकि ये भी कहा कि वह इस मामले में शामिल अन्य मुस्लिम वादियों के बारे में नहीं बोल सकते हैं। 

उन्होंने कहा, देखिए, 'हर पार्टी अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करने का फैसला किया है और मुझे इस मुद्दे से निपटने का अधिकार दिया गया है।

हालांकि, कुछ अन्य पक्षकार, जिनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी शामिल है, वे अपना फैसला लेने को स्वतंत्र हैं। मैं अपना विचार उन पर नहीं थोप सकता।'

टॅग्स :अयोध्या फ़ैसलाअयोध्याराम जन्मभूमिराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामला
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