Ayodhya Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- गलत था इलाहाबाद हाईकोर्ट का अयोध्या की विवादित जमीन बांटने वाला फैसला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 9, 2019 04:58 PM2019-11-09T16:58:44+5:302019-11-09T16:58:44+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि को राम लला विराजमान को देने और मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ की वैकल्पिक जमीन देने का फैसला किया।

Ayodhya Verdict: Supreme Court calls Allahabad High Court order on Ayodhya legally unsustainable | Ayodhya Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- गलत था इलाहाबाद हाईकोर्ट का अयोध्या की विवादित जमीन बांटने वाला फैसला

Ayodhya Verdict: गलत था इलाहाबाद हाईकोर्ट का अयोध्या की विवादित जमीन बांटने वाला फैसला: सुप्रीम कोर्ट

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर साल 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले को गलत बताया है।हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को रामलला विराजमान, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा के बीच बांटने का फैसला दिया था।

सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से शनिवार को अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि को राम लला विराजमान को देने और मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ की वैकल्पिक जमीन देने का फैसला किया। इसके साथ ही कोर्ट ने मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बने और इसकी योजना तैयार की जाए।

चीफ जस्टिस ने कहा कि ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है और हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है। अपना फैसला पढ़ते हुए अदालत ने कहा कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी और वहां पहले मंदिर था। कोर्ट ने एएसआई की रिपोर्ट को वैध माना और कहा कि खुदाई में जो मिला वह इस्लामिक ढांचा नहीं था। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि विवादित ढांचा गिराना कानून व्यवस्था का उल्लंघन था।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने साल 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले को गलत बताया, जिसमें 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को रामलला विराजमान, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा के बीच बांटा गया था। कोर्ट ने यह भी माना कि हाईकोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को जो राहत दी उसकी याचिकाओं में मांग ही नहीं की गई थी।

अयोध्या विवाद में कब क्या हुआ

इतिहासकारों के मुताबिक, बाबर इब्राहिम लोदी से 1526 में भारत आया था। बाबर के सूबेदार मीरबाकी ने 1528 में अयोध्या में मस्जिद बनवाई। बाबर के सम्मान में इसे बाबरी मस्जिद नाम दिया गया। 

हिंदू समुदाय का कहना था कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। बाबरी मस्जिद को कार सेवकों ने छह दिसंबर, 1992 को गिरा दिया था। इसके बाद 2002 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित ढांचे के मालिकाना हक को लोकर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।

2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या का 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन हिस्सों में समान बांट दिया जाए। एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा रामलला विराजमान को मिले। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गई थीं।

साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई और 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद को लेकर दाखिल विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। अगस्त 2019 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर हिंदू और मुस्लिम पक्ष की अपीलों पर सुनवाई शुरू की और 16 अक्टूबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई पूरी हुई।

Web Title: Ayodhya Verdict: Supreme Court calls Allahabad High Court order on Ayodhya legally unsustainable

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे