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Ayodhya Verdict: यहां पढ़ें अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला, 17 अध्याय और 1045 पन्ने हैं शामिल

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 9, 2019 15:23 IST

Ayodhya Verdict Full Text: चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने दशकों से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया है। यह फैसला 17 अध्यायों में बंटा है और 1045 पन्नों में लिखा गया है। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।

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ठळक मुद्देयह फैसला 17 अध्यायों में बंटा है और 1045 पन्नों में लिखा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर का निर्माण ‘प्रमुख स्थल’ पर किया जाना चाहिए

अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ भूमि आवंटित की जाए। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने दशकों से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया है। यह फैसला 17 अध्यायों में बंटा है और 1045 पन्नों में लिखा गया है। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।

यहां पढ़ें फैसले की कॉपीः-

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Ayodhya Verdict की मुख्य बातेंः-

1. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर का निर्माण ‘प्रमुख स्थल’ पर किया जाना चाहिए और सरकार को उस स्थान पर मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट गठित करना चाहिए जिसके प्रति अधिकांश हिन्दुओं का मानना है कि भगवान राम का जन्म वहीं पर हुआ था।  केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार साथ मिलकर आगे की कार्रवाई की निगरानी कर सकती हैं।

2. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला की मूर्ति को सौंप दिया जाये, हालांकि इसका कब्जा केन्द्र सरकार के रिसीवर के पास ही रहेगा।

3. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस स्थान पर 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद थी जिसे कार सेवकों ने छह दिसंबर, 1992 को गिरा दिया था। बाबरी मस्जिद को नुकसान पहुंचाना कानून के खिलाफ था।

4. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को नई मस्जिद बनाने के लिये अयोध्या में पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन आवंटित की जाए।

5. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदुओं की यह अविवादित मान्यता है कि भगवान राम का जन्म गिराई गयी संरचना मं ही हुआ था। हिंदू इस स्थान को भगवान राम की जन्मभूमि मानते हैं, यहां तक कि मुसलमान भी विवादित स्थल के बारे में यही कहते हैं।

6. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू ये स्थापित करने में सफल रहे कि बाहरी बरामदे पर उनका कब्जा था। स्थल पर 1856-57 में लोहे की रेलिंग लगाई गई थी जो यह संकेत देते हैं कि हिंदू यहां पूजा करते रहे हैं। साक्ष्यों से पता चलता है कि मुसलमान मस्जिद में जुमे की नमाज अदा करते थे जो यह संकेत देता है कि उन्होंने यहां कब्जा नहीं खोया है।

7. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एएसआई यह नहीं बता पाया कि क्या मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। एएसआई ने इस तथ्य को स्थापित किया कि गिराए गए ढांचे के नीचे मंदिर था। बुनियादी संरचना इस्लामिक ढांचा नहीं थी। बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी।

8. सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से शिया वक्फ बोर्ड की अपील खारिज की। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि राम जन्मभूमि एक न्याय सम्मत व्यक्ति नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़े की याचिका कानूनी समय सीमा के दायरे में नहीं, न ही वह रखरखाव या राम लला के उपासक हैं।

9. सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जीलानी ने फैसले पर असंतोष व्यक्त करते हुये कहा कि फैसले का अध्ययन करने के बाद अगली रणनीति तैयार की जायेगी। दूसरी ओर, निर्मोही अखाड़े ने कहा कि उसका दावा खारिज किये जाने का उसे कोई दु:ख नहीं है।

10. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान- के बीच बराबर बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी की थी।

टॅग्स :अयोध्या फ़ैसलाराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामलासुप्रीम कोर्ट
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