Ayodhya Verdict: फैसले पर राज ठाकरे ने कहा- बेकार नहीं गया 'कारसेवकों' का बलिदान, जल्द से जल्द बनना चाहिए राम मंदिर

By रामदीप मिश्रा | Published: November 9, 2019 02:45 PM2019-11-09T14:45:06+5:302019-11-09T14:46:07+5:30

Ayodhya Verdict: अयोध्या विवाद पर शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाते हुए राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है। अपना फैसला सुनाते समय कोर्ट ने कहा कि केन्द्र सरकार सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन वैकल्पित रूप से आवंटित करे।

Ayodhya Verdict: all karsevaks sacrifice has not gone waste says Raj Thackeray | Ayodhya Verdict: फैसले पर राज ठाकरे ने कहा- बेकार नहीं गया 'कारसेवकों' का बलिदान, जल्द से जल्द बनना चाहिए राम मंदिर

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Highlights पर शनिवार (09 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने फैसले से राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया। एमएनएस प्रमुख का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि फैसला आने के बाद वह बहुत खुश हैं।

अयोध्या विवाद पर शनिवार (09 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने फैसले से राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया। इस बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि फैसला आने के बाद वह बहुत खुश हैं और उनके कार्यकर्ताओं का बलिदान बर्बाद नहीं गया है।

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा, 'मैं आज खुश हूं। पूरे संघर्ष के दौरान बलिदान देने वाले सभी 'कारसेवकों' का बलिदान बेकार नहीं गया। राम मंदिर का निर्माण जल्द से जल्द होना चाहिए। राम मंदिर के साथ-साथ राष्ट्र में 'राम राज्य' भी होना चाहिए, यही मेरी इच्छा है।'

इससे पहले भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने कहा कि इस दिव्य और निष्पक्ष फैसले का सारे देश के सभी समुदाय ने मिलकर स्वागत किया है। इससे इस राष्ट्र की महानता समझ में आई है कि इस राष्ट्र की एक महान आत्मा है और सभी धर्मों के लोग इसी प्रकार की महानता का भाव रखते हैं। इससे आज साबित हुआ है।

बता दें कि शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाते हुए राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है। अपना फैसला सुनाते समय कोर्ट ने कहा कि केन्द्र सरकार सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन वैकल्पित रूप से आवंटित करे।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने भारतीय इतिहास की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण इस व्यवस्था के साथ ही करीब 130 साल से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया। इस विवाद ने देश के सामाजिक ताने बाने को तार तार कर दिया था। 

सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल थे। पीठ ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला की मूर्ति को सौंप दिया जाये, हालांकि इसका कब्जा केन्द्र सरकार के रिसीवर के पास ही रहेगा। 

संविधान पीठ ने 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान- के बीच बराबर बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी की थी। 

Web Title: Ayodhya Verdict: all karsevaks sacrifice has not gone waste says Raj Thackeray

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