अयोध्या मामला: मदनी ने कहा-वह पहले भी बाबरी मस्जिद थी, आज भी है और कयामत तक रहेगी भले ही उस पर 500 मंदिर बना दिए जाएं
By भाषा | Published: December 12, 2019 07:25 PM2019-12-12T19:25:01+5:302019-12-12T19:25:46+5:30
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा, ‘‘ हमने पहले ही कहा था कि उच्चतम न्यायालय का जो भी फैसला होगा, उसका एहतराम (सम्मान) किया जाएगा लेकिन हम मायूस हैं, क्योंकि अदालत ने माना है कि बाबरी मस्जिद, मंदिर की जगह नहीं बनाई गई थी फिर भी फैसला रामलला के हक में दिया गया।’’
उच्चतम न्यायालय द्वारा अयोध्या विवाद में पुनर्विचार याचिकाएं खारिज किए जाने के बाद मुकदमे में पक्षकार जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने बृहस्पतिवार को ‘मायूसी’ जताते हुए कहा कि संगठन ने पहले ही कहा था कि शीर्ष अदालत का ‘जो भी फैसला होगा उसका सम्मान किया जाएगा।’
न्यायालय ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में अपने नौ नवंबर के फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर सभी याचिकायें बृहस्पतिवार को खारिज कर दीं। न्यायालय ने अपने फैसले में 2.77 एकड़ विवादित भूमि ‘राम लला’ को सौंपते हुये वहां राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था।
इस मामले पर जमीयत उलेमा-हिंद की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रमुख मौलाना सैयद अशहद रशिदी ने भी पुनर्विचार याचिका दायर की थी। पुनर्विचार याचिकाएं खारिज होने के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा, ‘‘ हमने पहले ही कहा था कि उच्चतम न्यायालय का जो भी फैसला होगा, उसका एहतराम (सम्मान) किया जाएगा लेकिन हम मायूस हैं, क्योंकि अदालत ने माना है कि बाबरी मस्जिद, मंदिर की जगह नहीं बनाई गई थी फिर भी फैसला रामलला के हक में दिया गया।’’
Arshad Madni, Jamiat Ulema-e-Hind on Supreme Court dismissing all the review petitions in Ayodhya case judgment: We are sad about it. Court had accepted that Babri Masjid was demolished & considered people who demolished it as guilty, but the Court gave judgment in their favour. pic.twitter.com/7uv9kCc7I5
— ANI (@ANI) December 12, 2019
मदनी ने कहा, ‘‘ हम इसीलिए कहते हैं कि फैसला हमारी समझ से परे है। बहरहाल, अदालत ने पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दीं, ठीक है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि जो जगह मंदिर बनाने के लिए दी गई है वह पहले भी बाबरी मस्जिद थी और आज भी मस्जिद है और कयामत तक मस्जिद रहेगी भले ही उस पर 500 मंदिर बना दिए जाएं।’’
मामले में उपचारात्मक याचिका दायर करने के सवाल पर मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत की कार्यसमिति की बैठक में चर्चा के बाद इस पर फैसला किया जाएगा। उन्होंने न्यायालय के फैसले के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन करने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘हम कभी भी किसी मसले को लेकर सड़कों पर नहीं आते हैं। अगर हमें सड़कों पर आना होता पहले ही आ जाते, लेकिन हमारे बुजुर्गों ने बाबरी मस्जिद को लेकर सड़कों पर न आकर इसे कानूनी तौर पर लड़ा।’’
गौरतलब है कि मौलाना सैयद अशहद रशिदी ने 14 बिन्दुओं के आधार पर इस फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया था और कहा था कि बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण का निर्देश देकर ही इस मामले में ‘पूर्ण न्याय’ हो सकता है। उन्होंने नौ नवंबर के फैसले के उस अंश पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध किया था जिसमें केन्द्र को तीन महीने के भीतर मंदिर निर्माण के लिये एक न्यास गठित करने का निर्देश दिया गया था।