लॉकडाउन से पहले के बिजली बिलों के आधार पर बंद फैक्ट्री और दुकानों के भेजे जा रहे औसत बिल, दुकानदारों की मांग-बिजली बिल हो माफ या हाफ

By एसके गुप्ता | Published: April 30, 2020 07:14 PM2020-04-30T19:14:49+5:302020-04-30T19:14:49+5:30

बिजली कंपनियों की ओर से भेजे जा रहे इन बिलों को लॉकडाउन से पहले के महीने में खर्च की गई बिजली के आधार बनाया गया है। दिल्ली के दुकानदारों का कहना है कि इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।

Average bills being sent to closed factory and shops based on electricity bills before lockdown, demand of shopkeepers -forgiven or halved | लॉकडाउन से पहले के बिजली बिलों के आधार पर बंद फैक्ट्री और दुकानों के भेजे जा रहे औसत बिल, दुकानदारों की मांग-बिजली बिल हो माफ या हाफ

लॉकडाउन से पहले जो फैक्ट्री का बिल आया था उसके बिजली खर्च को ध्यान में रखते हुए लॉकडाउन पीरियड का बिल भी भेज दिया है।

Highlightsलॉकडाउन होने के बावजूद बंद दुकान-फैक्ट्री के औसत बिजली बिल भेजे जा रहे हैं। दिल्ली के दुकानदारों का कहना है कि इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।

नई दिल्ली: देश में लॉकडाउन होने के बावजूद दुकानदार और फैक्ट्री मालिकों को बंद दुकान-फैक्ट्री के औसत बिजली बिल भेजे जा रहे हैं। बिजली कंपनियों की ओर से भेजे जा रहे इन बिलों को लॉकडाउन से पहले के महीने में खर्च की गई बिजली के आधार बनाया गया है। दिल्ली के दुकानदारों का कहना है कि इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। एक तरफ तो दुकान और फैक्ट्रियां बंद होने से जीविका का साधन नहीं है, दूसरी ओर इस तरह के बिजली बिल भेजना बिल्कुल बर्दाशत से बाहर है। लोगों ने बंद कामकाज के मद्देनजर दिल्ली सरकार से बिजली के बिलों को माफ करने की अपील की है।

दुकानदार पंकज सिंघला ने कहा कि लॉकडाउन में न तो कामकाज है और न ही लोग दुकान और फैक्ट्रियां खोल रहे हैं। ऐसे में कोई आमदनी तो है नहीं। बिजली हाफ और पानी बिल माफ का नारा देने वाली दिल्ली की केजरीवाल सरकार से मेरी यही अपील है कि संकट की इस घडी में सरकार पूरे बिल माफ करे या हाफ करे। क्योंकि लॉकडाउन के कारण काम धंधा बिल्कुल बंद है।

गांधी नगर निवासी ओमप्रकाश ने कहा कि फैक्ट्रियों के बिल एवरेज के हिसाब से भेज दिए हैं। लॉकडाउन से पहले जो फैक्ट्री का बिल आया था उसके बिजली खर्च को ध्यान में रखते हुए लॉकडाउन पीरियड का बिल भी भेज दिया है। जबकि फैक्ट्री में तो 22 मार्च के बाद से काम ही नहीं हुआ है। यह तो दोहरी मार है। ऐसे संकट में सरकार से राहत के लिए यह अपील है कि केवल फैक्ट्री ही नहीं घरों के बिजली बिल भी माफ किए जाएं।  

Web Title: Average bills being sent to closed factory and shops based on electricity bills before lockdown, demand of shopkeepers -forgiven or halved

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