गुवाहाटी: असम में 'मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम' के रद्द होने पर एआईयूडीएफ विधायक हाफिज रफीकुल इस्लाम ने शनिवार को कहा कि हिमंता बिस्वा सरमा की असम सरकार में हिम्मत नहीं कि वो उत्तराखंड सरकार की तरह राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लाने का साहस कर सकें।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम को रद्द करने के सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विधायक हाफिज रफीकुल इस्लाम ने कहा कि ऐसा लगता है कि हिमंता सरकार का यह कदम मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए उठाया गया है।
उन्होंने कहा, "इस सरकार में यूसीसी लाने का साहस नहीं है। वे ऐसा नहीं कर सकते कि जैसे उत्तराखंड में यूसीसी आया, वो यहां भी आ लागू हो जाए। वे असम में भी यूसीसी लाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन मुझे लगता है कि वे ऐसा नहीं कर सकते हैं।"
एआईयूडीएफ विधायक ने आगे कहा, "असम में यूसीसी नहीं ला सकते हैं क्योंकि यहां कई जातियों और समुदायों के लोग हैं और उनमें भाजपा समर्थक भी हैं, जो उन प्रथाओं का पालन करते हैं।''
उन्होंने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम को रद्द होने पर कहा, "चूंकि लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, इस कारण से राज्य की भाजपा सरकार ऐसे हथकंडे अपना रही है।"
विधायक हाफिज रफीकुल इस्लाम ने कहा, "आम चुनाव नजदीक आ रहे हैं, असम में मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम को इस कारण से रद्द किया गया है ताकि यहां के मुसलमानों को निशाना बनाया जा सके और यही उनकी उनकी रणनीति है। इसलिए वे असम में बहुविवाह या यूसीसी पर अलग से कोई विधेयक नहीं ला सके। असम कैबिनेट को किसी संवैधानिक अधिकार को निरस्त करने या संशोधित करने का अधिकार नहीं है।''
मालूम हो कि बीते शुक्रवार को असम की हिमंता कैबिनेट ने शुक्रवार को ब्रिटिश युग से चले आ रहे असम में मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून को रद्द करने को अपनी मंजूरी दे दी है।
मुख्यमंत्री सरमा ने खुद एक्स पर किये पोस्ट में कहा, कहा कि 'असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935' को रद्द करने का राज्य सरकार का कदम असम में बाल विवाह पर रोक लगाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।"
असम सरकार की ओर से रद्द किया गया कानून मुस्लिम रजिस्ट्रारों को विवाह और तलाक की स्वैच्छिक घोषणा पंजीकृत करने का अधिकार देता है। इस कानून के निरस्त होने के बाद, जिला अधिकारी 94 मुस्लिम विवाह रजिस्ट्रारों द्वारा रखे गए पंजीकरण रिकॉर्ड को अपने कब्जे में ले लेंगे।
असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम के अनुसार मुस्लिम विवाह और तलाक का पंजीकरण अनिवार्य नहीं है और पंजीकरण की मशीनरी अनौपचारिक है, जिससे मौजूदा मानदंडों का अनुपालन न करने की काफी गुंजाइश है।