असम सीमा विवाद : मानचित्रकारों द्वारा खींची रेखाएं बनाम स्थानीय लोगों की धारणा

By भाषा | Published: July 29, 2021 03:49 PM2021-07-29T15:49:28+5:302021-07-29T15:49:28+5:30

Assam Boundary Controversy: The Lines Drawn By Cartographers Vs Local People's Perception | असम सीमा विवाद : मानचित्रकारों द्वारा खींची रेखाएं बनाम स्थानीय लोगों की धारणा

असम सीमा विवाद : मानचित्रकारों द्वारा खींची रेखाएं बनाम स्थानीय लोगों की धारणा

(जयंत रॉय चौधरी)

कोलकाता/गुवाहाटी, 29 जुलाई पारंपरिक सीमाओं की स्थानीय लोगों की धारणा के खिलाफ खींची गई मानचित्रकारों की रेखाएं असम और आजादी के बाद उससे अलग हुए राज्यों के बीच सीमा विवादों की मुख्य जड़ है।

इसी तरह की एक रेखा ने एक जंगल को असम और मिजोरम पुलिस तथा नागरिकों के बीच सोमवार को हिंसक झड़प के क्षेत्र में बदल दिया। 1947 में भारत की आजादी के बाद त्रिपुरा और मणिपुर को छोड़कर लगभग सभी पूर्वोत्तर राज्य असम से अलग हो कर बनाए गए।

एक सेंटीमीटर: एक किलोमीटर पर मानचित्रकारों द्वारा खींची गयी जिला सीमाएं एक बड़े राज्य की पर्वतीय और दूरवर्ती जिलों के लिए अंतरराज्यीय सीमाएं बन गयीं।

मेघालय के पूर्व मुख्य सचिव रंजन चटर्जी ने कहा, ‘‘कई बार एक पर्वत के पार रेखाएं खींची जाती हैं, कई बार मानचित्रों पर एक जंगल के जरिए सीमाएं खीचीं जाती हैं जिससे यह स्पष्ट नहीं होता कि जहां से यह रेखा गुजरती है वह पहाड़ी का ढलान या जंगल का इलाका असम में है या उसके नए पड़ोसी राज्य में। प्रशासकों के लिए यह सिरदर्द का सबब है क्योंकि स्थानीय निवासियों की यह उनकी पारंपरिक जमीन होने की धारणा होती है।’’ चटर्जी अपने करियर के ज्यादातर वक्त असम में रहे।

मिजोरम के पूर्व मुख्य सचिव पी एच होजेल ने कहा कि लुशाई हिल्स में भूमि सदियों से प्रधानों के नियंत्रण में रही। मिजोरम को 1972 में केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले लुशाई हिल्स कहा जाता था।

ब्रिटिशों द्वारा 1875 में आदिवासियों को मैदानी लोगों के प्रभाव से बचाने के लिए इन आदिवासी इलाकों के लिए खींची गयी आंतरिक रेखा इन आदिवासियों के दावों को और मजबूत करती हैं।

होजेल ने कहा, ‘‘जब 1930 में ब्रिटिशों ने जिला सीमाएं खींचीं तो इनमें से कुछ पारंपरिक जनजातिय भूमि सीमा के दूसरी पार जाती दिखी...यह संभवत: इसलिए हुआ कि चाय के बागान इन जंगलों का अतिक्रमण कर रहे थे।’’

जब आबकारी और पुलिस चौकियों के साथ ये अंतरराज्यीय सीमाएं बनीं तो यह विवादित मुद्दा बन गया। सबसे पहले 1963 में नगा लोगों को अपना पहला अलग राज्य मिला और वे मानचित्रों को फिर से बनाए जाने की मांग करने में सबसे ज्यादा आक्रामक हैं ताकि वे जिन इलाकों में रहते हैं वे नगालैंड का हिस्सा बन सकें चाहे वह जमीन किसी भी राज्य में स्थित हो।

चटर्जी ने कहा, ‘‘असम यथास्थिति चाहता है...इससे अलग हुए आदिवासी राज्य इससे सहमत नहीं हैं। प्रत्येक जनजाति की भूमि के मालिकाना हक पर अपना ऐतिहासिक किस्सा है।’’

सीमा विवाद को लेकर सबसे बड़ी झड़प 1985 में हुई जब सशस्त्र नगाओं और असम पुलिस के बीच गोलीबारी में 40 से अधिक लोगों की जान चली गयी थी।

असम ने आरोप लगाया कि नगाओं ने इतने वर्षों में शिवसागर, गोलाघाट तथा जोरहाट जिलों में 60,000 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि पर कब्जा जमाया जबकि नगालैंड के नेता दावा करते हैं कि ये पारंपरिक नगा भूमि हैं और इसे कभी असम का हिस्सा नहीं दिखाया गया।

नगालैंड के गठन के सात वर्षों बाद असम से अलग करके खासी, गारो और जैंतिया पर्वत वाला एक अलग स्वायत्त राज्य बनाया गया, जो 1972 में मेघालय बना। उसी साल पूर्वोत्तर सीमावर्ती एजेंसी ने अरुणाचल प्रदेश का नाम बदला और एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया।

संसद द्वारा पारित पूर्वोत्तर राज्य पुनर्गठन कानून में इन राज्यों की सीमाएं तय की गयी। हालांकि राज्य बनने के तुरंत बाद मेघालय और अरुणाचल प्रदेश के बीच अपनी सीमाओं को लेकर विवाद हुआ।

मेघालय ने असम के हिस्से में गए मिक्र पर्वत के कुछ क्षेत्रों को देने पर आपत्ति जतायी जबकि अरुणाचल प्रदेश ने दावा किया कि असम ने उसकी जमीन का अतिक्रमण किया था।

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Web Title: Assam Boundary Controversy: The Lines Drawn By Cartographers Vs Local People's Perception

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