राजस्थानः सीएम गहलोत का सियासी हमला- आप फासिस्ट तरीके से काम करोगे, सरकार बनाओगे?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: November 12, 2019 05:49 AM2019-11-12T05:49:27+5:302019-11-12T05:49:27+5:30
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे का आरोप है कि- कांग्रेस के विधायकों को एजेंसियों के मदद से डराने धमकाने का काम किया जा रहा था.
इस वक्त राजस्थान, महाराष्ट्र की राजनीतिक महाभारत केंद्र बना हुआ है. हॉर्स ट्रेडिंग के खतरे के चलते कांग्रेस के विधायकों ने राजस्थान में डेरा डाला. इस सारे राजनीतिक घटनाक्रम पर सीएम अशोक गहलोत ने सियासी हमला करते हुए कहा कि- मणिपुर, गोवा में बहुमत कांग्रेस का, सरकार बनी बीजेपी की, कर्नाटक में क्या हुआ सबको मालूम है, तो आप फासिस्ट तरीके से काम करोगे, सरकार बनाओगे, राष्ट्रवाद के नाम पर, कभी-कभी विजय हो जाओगे वो अलग बात है लेकिन महाराष्ट्र, हरियाणा में जो परिणाम सामने आया उससे स्पष्ट है, अब जनता समझ गई है.
उन्होंने कहा- महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी रही शिवसेना के विधायक ही सुरक्षित नहीं है. जनता को सब दिख रहा है! उधर, कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे का आरोप है कि- कांग्रेस के विधायकों को एजेंसियों के मदद से डराने धमकाने का काम किया जा रहा था.
इससे पहले, जयपुर में रविवार को हुई महाराष्ट्र कांग्रेस विधायक दल की बैठक में महाराष्ट्र कांग्रेस ने विधायक दल का नेता चुनने का फैसला कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पर छोड़ दिया था. इसमें प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें यह तय किया गया कि कांग्रेस का एनसीपी के साथ गठबंधन जारी रहेगा.
महाराष्ट्र के विधायकों को यहां एक रिसोर्ट में ठहराया गया, जहां कांग्रेस के बड़े नेता लगातार उनके संपर्क में रहे. जहां रविवार को महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी मल्लिकार्जुन खडगे, पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, पीसीसी चीफ बाला साहेब थोराठ, राजस्थान में कांग्रेस के नेता उप मुख्य सचेतक महेश जोशी, आरसीए अध्यक्ष वैभव गहलोत, मंत्री रघु शर्मा, कृषि मंत्री लाल चंद कटारिया सहित अनेक नेता पहुंचे, वहीं सीएम अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे आदि नेता लगातार इनके संपर्क में रहे.
हालांकि, सतर्कतावश महाराष्ट्र के विधायक राजस्थान में हैं, लेकिन सियासी जोड़तोड़ की आशंकाएं कमजोर हो गई हैं, क्योंकि ऐसी सियासी जोड़तोड़ के कारण बीजेपी की देशभर में लगातार इमेज खराब हो रही है, इसलिए अब नेतृत्व इसे रोक रहा है.
उल्लेखनीय है कि विधानसभा की 288 सीटों पर 21 अक्टूबर 2019 को हुए चुनाव में भाजपा को 105 सीटें मिलीं थीं. बहुमत के लिए 145 सीटों की जरूरत है. भाजपा की सहयोगी शिवसेना को 56 सीटें मिली थीं, लिहाजा बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के पास बहुमत तो था, लेकिन सीएम के मुद्दे पर दोनों दल अलग हो गए.