जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में रविवार को हुई हिंसा पर प्रतिक्रिया देते हुए एआईएमआईएम के मुखिया और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस हिंसा की निंदा करते हुए कहा, 'इसमें कोई शक नहीं है कि इन लोगों को सत्ता से हरी झंडी मिली हुई थी। उन्होंने कायरता से अपने चेहेरे ढके हुए थे और जेएनयू में प्रवेश की अनुमति दी गई। सबसे बुरी बात है कि ऐसे वीडियो सामने आए हैं जिसमें पुलिस उन्हें सुरक्षित निकलने दे रही है।'
कांग्रेस ने गृह मंत्री अमित शाह पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) में हमला करने वालों को संरक्षण देने का सोमवार को आरोप लगाया और कहा कि इस मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ''मोदी जी और अमित शाह जी ने छात्रों पर दमन चक्र चलाकर नाजी शासन की याद 90 साल बाद दिला दी। जिस तरह से छात्रों, छात्राओं और शिक्षकों पर हमला किया गया और जिस प्रकार पुलिस मूकदर्शक बनी रही, वह दिखाता है कि देश में प्रजातंत्र का शासन नहीं बचा है।''
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में रविवार रात को उस वक्त हिंसा भड़क गयी जब लाठियों से लैस कुछ नकाबपोश लोगों ने छात्रों तथा शिक्षकों पर हमला किया, परिसर में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जिसके बाद प्रशासन को पुलिस को बुलाना पड़ा। हमले में जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आईशी घोष सहित कम से कम 28 लोग घायल हो गये जिन्हें एम्स में भर्ती कराया गया। जेएनयू के पूर्व छात्र तथा केन्द्रीय मंत्री एस. जयशंकर और निर्मला सीतारमण ने जेएनयू में हुई हिंसा की घटना की निंदा की है। फिलहाल पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। घायलों को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है।
गृह मंत्री और एचआरडी मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस और जेएनयू प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है। गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस प्रमुख अमूल्य पटनायक से बात की और मंत्रालय ने उनसे रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों ने बताया कि हिंसा शाम करीब पांच बजे शुरू हुई। जेएनयू प्रशासन ने कहा कि लाठियों से लैस नकाबपोश उपद्रवी परिसर के आसपास घूम रहे थे। वे संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे थे और लोगों पर हमले कर रहे थे।