पटना:बिहार में गृहमंत्री सम्राट चौधरी और डीजीपी विनय कुमार ने बिहार में अपराध की रफ्तार और रूप दोनों पर लगाम कसने के लिए सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। डीजीपी ने राज्य की पुलिसिंग में एक ऐसा प्रयोग शुरू किया है, जो अब तक बिहार में लागू नहीं था अपराध की नई परिभाषा और संगठित अपराध की विस्तृत श्रेणी। डीजीपी विनय कुमार ने सभी जिलों के एसएसपी और एसपी को साफ निर्देश जारी किया है कि संगठित अपराध का मतलब सिर्फ बड़े गैंग, गिरोह या हाई-प्रोफाइल मामलों से नहीं है।
पुलिस जिस तरह अब तक छोटी चोरी, झपटमारी, चीटिंग जैसे मामलों को छोटे अपराध मानकर हल्के में लेती रही है, वही अब संगठित अपराध की श्रेणी में आएंगे। यानी अपराध का पैमाना नहीं स्वरूप और अपराधी का नेटवर्क अहम होगा। डीजीपी ने पहली बार “छोटे संगठित अपराध” की अलग श्रेणी बना दी है। इसके तहत चोरी, झपटमारी, जालसाजी/चीटिंग, टिकटों की अवैध बिक्री, जुआ-सट्टा, प्रश्नपत्र बिक्री जैसे अपराध, इन सभी को विशेष प्रतिवेदित कांड (एसआर केस) घोषित करने का आदेश है।
मतलब हर केस पर विशेष निगरानी, रिपोर्टिंग और ट्रैकिंग अनिवार्य होगी। जो भी व्यक्ति किसी छोटे या बड़े गिरोह का सदस्य होकर चोरी, एटीएम कटिंग, वाहन और घरों से चोरी, छल-कपट, अवैध टिकट बिक्री, किसी आर्थिक या साइबर अपराध जैसे मामलों में शामिल है, वह छोटे संगठित अपराध का अपराधी माना जाएगा। दो या अधिक लोगों के समूह द्वारा लगातार अपराध करना अब संगठित अपराध माना जाएगा।
इसमें शामिल अपहरण, डकैती, यान चोरी, जमीन कब्जा (लैंड ग्रैबिंग), कॉन्ट्रैक्ट किलिंग, साइबर ठगी, आर्थिक अपराध, अवैध हथियार तस्करी, मानव तस्करी हैं। डीजीपी ने भारतीय न्याय संहिता(बीएनएस) 2023 की धाराओं का हवाला देते हुए कहा कि छोटे अपराधों में शामिल अपराधी आगे चलकर बड़े सिंडिकेट का हिस्सा बन जाते हैं। इसलिए शुरुआत में ही नेटवर्क को काटना जरूरी है। डीजीपी ने आदेश दिया है कि पुलिस अकादमी, राजगीर और सभी प्रशिक्षण केंद्र इस नई श्रेणीकरण और एसओपी को अपने पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाएं। यानी आने वाली पीढ़ी की पुलिसिंग नए नजरिए पर आधारित होगी।