पटना: बिहार भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के मंत्री बनने के बाद अब नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश शुरू हो गई है। सूत्रों के अनुसार पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सह प्रदेश प्रभारी विनोद तावडे को नये अध्यक्ष तलाशने की जिम्मेदारी सौंपी है। ऐसे में बिहार भाजपा का नया अध्यक्ष कौन होगा, यह जल्द ही तय कर लिया जायेगा। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बदलने को लेकर सियासी गलियारे में चर्चाओं ने जोर पकड लिया है। चर्चा है कि पार्टी इस बार किसी सवर्ण को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप सकती है। इसमें बिहार भाजपा के करीब आधा दर्जन सवर्ण नेताओं के नाम पर चर्चा हो रही है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा की पुरानी परंपरा रही है कि पार्टी में एक आदमी, एक पद लेता है। वैसे जेपी नड्डा इस मामले में अपवाद रहे हैं। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को भी अध्यक्ष पद पाने के बाद नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा था। इस बार दिलीप जायसवाल एक बार फिर नीतीश कैबिनेट के सदस्य बनाए गए हैं। ऐसे में उनका अध्यक्ष पद से इस्तीफा होना तय माना जा रहा है। हालांकि जानकारों का कहना है कि जब तक राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो जाता, तब तक बिहार में यह बदलाव होता नहीं दिख रहा है। जेपी नड्डा का कार्यकाल लोकसभा चुनाव के बहाने बढ़ता गया था। अब पार्टी के भीतर यह चर्चा है कि अगले माह राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भी हो सकता है। इसके साथ-साथ बिहार में फेरबदल भी होगा।
वहीं, प्रदेश अध्यक्ष के नाम को लेकर राजनीतिक गलियारे से लेकर सोशल मीडिया तक बहस तेज हैं। नाम, जातीय समीकरण, सियासी तजुर्बा सहित कई बातों पर हो रही है। सूत्रों की मानें तो प्रदेश अध्यक्ष बनने वाले नेताओं में सबसे आगे नीतीश मिश्रा का नाम है। नीतीश मिश्रा झंझारपुर से विधायक हैं और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के बेटे हैं। नीतीश कुमार की पिछली सरकार में वो उद्योग मंत्री थे। इस बार उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है।
नीतीश मिश्रा के कैबिनेट में शामिल नहीं किये जाने से मिथिला का एक बड़ा तबका नाराज है। प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर दूसरा नाम जनक राम का है। दलित समाज से आने वाले जनक राम बसपा से 2013 में भाजपा में आए थे। जनक राम भी नीतीश कैबिनेट में दो बार मंत्री रह चुके हैं। इस बार उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया है। इसी दौड़ में तीसरा नाम है संजीव चौरसिया पटना की दीघा सीट से लगातार तीसरी बार विधायक।
परिवार का आरएसएस से गहरा नाता, पिता गंगा प्रसाद का भाजपा की शुरुआती रचना में बड़ा योगदान ये सारे तथ्य उन्हें संगठन की दिल्ली-प्रेमी लिस्ट में मजबूत जगह दिलाते हैं। मंत्री बनने की चर्चा थी, पर जब वह नहीं हुआ तो कयास बदल गए अब चर्चा है कि उनका नंबर प्रदेश संगठन में लग सकता है। चौथा बड़ा नाम है विवेक ठाकुर नवादा के भूमिहार सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर के बेटे। भूमिहार जाति के 22 विधायक एनडीए में जीतकर आए हैं, लेकिन नीतीश मंत्रिमंडल में सिर्फ दो को जगह मिली है।
ऐसे में ब्रह्मर्षि समाज को साधने के लिए भाजपा नया अध्यक्ष इसी जाति से ला सकती है। उधर, सोशल मीडिया पर नीतीश मिश्रा को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने को लेकर तेज बहस चल रही है। मिथिला के लोग उनके मंत्री नहीं बनने से दुखी और नाराज हैं। झंझारपुर से लगातार पांचवीं बार चुनाव जीत कर विधायक बने नीतीश मिश्रा का मिथिला की राजनीति में बड़ा कद है। मिथिला की 37 सीटों में एनडीए ने 31 सीटें जीती हैं।