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जम्मू कश्मीर: तीन मजदूरों की फर्जी मुठभेड़ मामले में सेना ने कैप्टन भूपेंद्र सिंह के खिलाफ कोर्ट मार्शल शुरू किया

By विशाल कुमार | Updated: April 4, 2022 11:26 IST

18 जुलाई, 2020 को, जम्मू के राजौरी के तीन मजदूरों- धरसाकरी गांव के रहने वाले 20 वर्षीय इम्तियाज अहमद और 16 वर्षीय मोहम्मद अबरार और राजौरी के कोटरंका के तारकासी गांव के रहने वाले 25 वर्षीय अबरार अहमद अमशीपोरा गांव में हुए फर्जी मुठभेड़ में मारे गए थे। 

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ठळक मुद्दे18 जुलाई, 2020 को जम्मू के राजौरी के तीन मजदूर अमशीपोरा फर्जी मुठभेड़ में मारे गए थे। सेना और पुलिस ने तीनों मजदूरों को अज्ञात उग्रवादी करार दिया था। सेना की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी तीनों के राजौरी के मजदूर होने की पुष्टि हुई।

श्रीनगर: दक्षिण कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा जम्मू के राजौरी के तीन मजदूरों के मारे जाने के डेढ़ साल बाद सेना ने अपने एक अधिकारी के खिलाफ कोर्ट-मार्शल की कार्रवाई शुरू कर दी है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सेना ने 62 राष्ट्रीय राइफल्स के कैप्टन भूपेंद्र सिंह के खिलाफ एक सामान्य कोर्ट-मार्शल शुरू किया है, जिसने दक्षिण कश्मीर के शोपियां के अमशीपोरा गांव में यह कहते हुए गोलीबारी की थी कि गोलीबारी में तीन आतंकवादी मारे गए।

रक्षा प्रवक्ता ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि कोर्ट ऑफ इंक्वायरी और समरी ऑफ एविडेंस ने अनुशासनात्मक कार्यवाही की सिफारिश के बाद सेना ने जुलाई, 2020 में दक्षिण कश्मीर के शोपियां स्थित ऑप अमशीपुरा में एक कैप्टन के खिलाफ सामान्य कोर्ट-मार्शल कार्यवाही शुरू की है।

प्रवक्ता ने आगे कहा कि भारतीय सेना संचालन के नैतिक आचरण के लिए प्रतिबद्ध है। मामले पर आगे के अपडेट इस तरह से साझा किए जाएंगे ताकि कानून की उचित प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ की चार्जशीट में कैप्टन भूपेंद्र सिंह उर्फ मेजर बशीर खान पर अपहरण और राजौरी के तीन आदमियों की हत्या का भी आरोप लगाया था। पुलिस चार्जशीट में आगे उल्लेख किया गया था कि कैप्टन के अपराध का हथियार पुलिस ने बरामद कर लिया है।

18 जुलाई, 2020 को, जम्मू के राजौरी के तीन मजदूरों- धरसाकरी गांव के रहने वाले 20 वर्षीय इम्तियाज अहमद और 16 वर्षीय मोहम्मद अबरार और राजौरी के कोटरंका के तारकासी गांव के रहने वाले 25 वर्षीय अबरार अहमद अमशीपोरा गांव में हुए फर्जी मुठभेड़ में मारे गए थे। 

सेना और पुलिस ने तीनों मजदूरों को अज्ञात उग्रवादी करार दिया था और गुप्त रूप से उत्तरी कश्मीर के एक कब्रिस्तान में दफना दिया था।

परिवार की शिकायत और सोशल मीडिया पर तस्वीरें वायरल होने के बाद 18 सितंबर, 2020 को सेना की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी ने पुष्टि की कि अम्शीपोरा गांव में हुई गोलीबारी में मारे गए तीन लोग वास्तव में राजौरी के मजदूर थे। डीएनए परीक्षण के परिणामों से उनकी पहचान की पुष्टि हुई। सेना ने कैप्टन सिंह को हत्याओं में दोषी पाया था।

3 अक्टूबर, 2020 को, जम्मू-कश्मीर सरकार ने तीनों मजदूरों के शवों को निकाला और उनके परिवारों को सौंप दिया।

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