पाकिस्तान की युद्ध के लिए ललकार के बाद भारतीय सेना प्रमुख ने सर्जिकल स्ट्राइक पार्ट 2 पर दिया बड़ा बयान
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: September 24, 2018 11:14 AM2018-09-24T11:14:17+5:302018-09-24T11:14:17+5:30
भारतीय सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा है कि जब तक पाकिस्तान के अंदर सेना और आईएसआई सरकार नहीं आते सीमा के हालात कभी नहीं सुधर पाएंगे।
जम्मू-कश्मीर, 24 सितंबर: जम्मू-कश्मीर में बीएसएफ जवान और पुलिस की बर्बरता से हत्या के बाद पाकिस्तान और भारत के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है। ऐसे में अब आर्मी चीफ बिपिन रावत ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया है।
आज तक से बात करते हुए उन्होंने कहा है कि जब तक पाकिस्तान के अंदर सेना और आईएसआई सरकार नहीं आते सीमा के हालात कभी नहीं सुधर पाएंगे। उन्होंने कहा कि जैसे हालात इन दिनों चल रहे हैं उससे तो यही लग रहा है कि आतंकवादियों के खिलाफ एक और सर्जिकल स्ट्राइक की ज़रूरत है। कश्मीर में लगातार आतंकियों को सबक सिखाया जा रहा है।
इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि घाटी मे पुलिस को निशाना बनाया जाना ही आतंकियों की निराशा को पेश करता है। इसके साथ ही उन्होंने साफ कर दिया है कि सेना अपना ऑपरेशन चालू रखेगी। बिपिन रावत ने कहा है कि कश्मीर को आज युवाओं की तलाश है लेकिन अलगाववादी और आतंकी उन्हीं नौजवानों से नौकरी छोड़ आतंकी बनने को कह रहे हैं।
इससे पहले एक प्रेस वार्ता में जब आर्मी चीफ से पूछा गया था कि क्या दोबारा से भारत सर्जिकल स्ट्राइक करेगा। इस सवाल का जवाब देते हुए आर्मी चीफ बिपिन रावत ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक एक सरप्राइज है और इसे हमेशा सरप्राइज ही रहने दें। भारत और पाक के बीच जंग भविष्य में जंग को लेकर आर्मी चीफ ने कहा कि युद्ध के लिए हर तरह की टेक्नॉलजी की जरूरत होगी। ऐसे में हमें खुद को दोबारा ऑर्गनाइज करना होगा, जिससे टेक्नॉलजी, हथियार और जवानों में बेहतर तालमेल हो सके।
भारत-पाक वार्ता को लेकर बिपिन रावत ने कहा कि हमारी सरकार की नीति यह है कि बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं हो सकता है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि हमने पाक को साफ सदेंश दिया है कि हमारी नीति स्पष्ट है और अब पाक को यह साबित करना होगा कि वो आतंकवाद को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं।इससे पहले भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि भारतीय सैनिकों की जघन्य हत्या का ‘‘बदला’’ लेने के लिए ‘‘सख्त कार्रवाई’’ की जरूरत है। जिसपर पाकिस्तानी सेना ने कहा था कि वह ‘‘जंग के लिए तैयार’’ है, लेकिन अपने लोगों के हित में अमन-चैन की राह पर चलना पसंद करती है।