सशस्त्र बलों संबंधी राजमार्गों के निर्माण और अन्य सड़कों पर नजरिया समान नहीं हो सकता: न्यायालय
By भाषा | Updated: December 14, 2021 22:52 IST2021-12-14T22:52:39+5:302021-12-14T22:52:39+5:30

सशस्त्र बलों संबंधी राजमार्गों के निर्माण और अन्य सड़कों पर नजरिया समान नहीं हो सकता: न्यायालय
नयी दिल्ली, 14 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि सशस्त्र बलों द्वारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले राजमार्गों के निर्माण और पहाड़ी क्षेत्रों की अन्य सड़कों के निर्माण के मुद्दे पर विचार का नजरिया एकसमान नहीं हो सकता।
न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि पर्यावरणीय मुद्दों को ध्यान में रखते हुए एक लचीले संतुलन पर पहुंचने की आवश्यकता है ताकि वे बुनियादी ढांचे के विकास, विशेष रूप से राष्ट्र की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण रणनीतिक महत्व के क्षेत्रों में बाधा नहीं बनें।
शीर्ष अदालत ने कहा कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के 2018 के एक परिपत्र ने पहाड़ी इलाकों में दो-लेन राजमार्गों के निर्माण पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई है। इसने कहा कि मंत्रालय के परिपत्रों में इस मुद्दे पर स्पष्टता की कमी को देखते हुए 2020 में भी एक परिपत्र लाया गया था।
इसने कहा कि 2020 का परिपत्र 2019 के भारतीय रोड कांग्रेस के दिशानिर्देशों को दोहराता है और कहता है कि पहाड़ी और पर्वतीय इलाकों में ऐसी सड़कें जोकि भारत-चीन सीमा के लिए संपर्क सड़कों के रूप में कार्य करती हैं, उन्हें दो लेन का होना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को उत्तराखंड में सामरिक रूप से अहम चारधाम राजमार्ग परियोजना के तहत बन रही सड़कों को दो लेन तक चौड़ी करने की मंजूरी दे दी। इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि देश की सुरक्षा चुनौतियां समय के साथ बदल सकती हैं तथा हाल के समय में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं।
गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सिटिजन फॉर ग्रीन दून ने सड़क के चौड़ीकरण कार्य के खिलाफ याचिका दायर की थी। एनजीओ ने कहा था कि सड़क को ‘डबल लेन’ नहीं किया जा सकता क्योंकि यह लोगों या सेना के हित में नहीं है और भूस्खलन के कारण लोगों के जीवन के लिए जोखिम उत्पन्न होगा।
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