पटनाः बिहार के 42वें राज्यपाल के रूप में आरिफ मोहम्मद खान ने बुधवार को शपथ ली। पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश कृष्ण विनोद चंद्रन ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। राजभवन के राजेंद्र मंडपम में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया। राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा एवं अन्य मंत्रियों के अलावे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सहित तमाम नेता शपथ ग्रहण में शामिल हुए। इसके साथ ही नए राज्यपाल के 50 साल पुराने दोस्त नियाज अहमद भी शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत किया।
बता दें कि इससे पहले मोहम्मद आरिफ मोहम्मद खान केरल के राज्यपाल थे। 24 दिसंबर, 2024 को केंद्र सरकार ने बिहार समेत कई राज्यों के राज्यपालों को बदल दिया था। केरल के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाल रहे आरिफ मोहम्मद खान को बिहार का नया राज्यपाल बनाया गया, जबकि बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर को केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के बरवाला गांव में पैदा हुए आरिफ मोहम्मद खान ने छात्र जीवन से ही राजनीति में कदम रखा था। उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत तब की जब वे बुलंदशहर से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय पढ़ाई करने गए। वे पहले एएमयू के महासचिव बने और फिर अध्यक्ष के तौर पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्र संघ का नेतृत्व किया।
वह 1977 में 26 साल की उम्र में कांग्रेस की टिकट पर बुलंदशहर की सियाना सीट से विधायक चुने गए। 1980 में कानपुर से सांसद बने। 8वीं, 9वीं और 12वीं लोकसभा के दौरान फिर से बहराइच निर्वाचन क्षेत्र से संसद पहुंच चुके हैं। जनता पार्टी, लोकदल, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस और भाजपा में भी वह रह चुके हैं।
चुनावी साल में आरिफ मोहम्मद के बिहार का गवर्नर बनने के बाद सियासी गलियारे में कयासों का बाजार गर्म है। उल्लेखनीय है कि 26 साल बाद बिहार को अल्पसंख्यक राज्यपाल मिला है। इससे पहले ए आर किदवई 14 अगस्त 1993 से 26 अप्रैल 1998 तक राज्य के राज्यपाल रहे थे। ए आर किदवई भी उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। बिहार के 42वें राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान इससे पहले केरल के राज्यपाल थे।