Jallianwala Bagh Massacre: भारत के इतिहास में आज यानी 13 अप्रैल का दिन सबसे दुखद घटनाओं में से एक कहा गवाह रहा है। साल 1919 में आज के ही दिन जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण सभा के लिए जमा हुए हजारों भारतीयों पर अंग्रेज अधिकारियों ने अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं। अंग्रेजी शासन ने इस घटना में तब 379 लोगों के मरने की बात कही थी। हालांकि, अपुष्ट रिपोर्ट् के मुताबिक इस घटना में करीब 1000 लोगों की मौत हुई। इस घटना के 21 साल बाद क्रांतिकारी उधम सिंह ने माइकल ओ डायर को मारकर इसका बदला लिया।
क्या हुआ था जलियांवाला बाग में
देश में तब आजादी को लेकर बेचैनी थी। ऐसे में जलियांवाला बाग में बैशाखी के दिन बड़ी संख्या में लोग जुटे थे। इसमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं। आजादी के लिए मतवाले प्रदर्शनकारी भारत की स्वतंत्रता को लेकर रणनीति पर बात कर रहे थे। इंकलाब जिंदाबाद के नारे चल रहे थे। देश को आजादी दिलाने की कस्में खाई जा रहीं थीं।
इसी दौरान जनरल डायर अंग्रेजी फौज के साथ जलियांवाला बाग में दाखिल हुआ और गोलियां बरसाने का आदेश दे दिया। कहते हैं कि करीब 10 मिनट तक बिना रुके गोलियां चलती रहीं। बच्चे, बड़े, बूढ़ों सभी पर इसकी चपेट में आए। बाग में अफरातफरी मच गई। लोग जान बचाने के लिए इधर उधर भागने लगे।
जलियांवाला बाग में आने और जाने के लिए एक ही संकरा रास्ता था, जिसके सामने अंग्रेज फौज खड़ी थी। इसलिए किसी को भागने का मौका नहीं मिला। कोई बाग की दीवार पर चढ़ने की कोशिश करते हुए गोली का शिकार हुआ तो कई जान बचाने के लिए बाग में मौजूद एक कुएं में कूदने लगे। इससे भी कई लोगों की जान गई। जलियांवाला बाग की दीवारों पर आज भी गोलियों के निशान हैं।
उधम सिंह ने जनरल डायर को मारकर लिया बदला
उधम सिंह का असली नाम शेर सिंह था और उनका जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम कस्बे में हुआ था। 13 अप्रैल 1919 को उधम सिंह जलियावाला बाग में सभा में आये लोगों को पानी पिलाने की ड्यूटी दे रहे थे।
उन्होंने अपनी आंखों से निहत्थे लोगों का कत्लेआम होते देखा था। तभी से उन्होंने इस घटना का बदला लेने की ठान ली थी। मार्च 1940 में उधम सिंह का सपना साकार हुआ। लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ डायर को मारना उनका मकसद था।
डायर तब तक लंदन लौट चुका था। इसलिए उसे मारने उधम सिंह भी ब्रिटेन पहुंचे। एक दिन लंदन के केक्स्टेन हाल में कार्यक्रम चल रहा था। इसमें डायर भी मौजूद था। उधम सिंह ने अपनी रिवॉल्वर को एक किताब में छुपाया और उस हॉल में दाखिल हुए।
इसी हॉल में उन्होंने डायर को गोलियां मारी। इसके बाद उन्होंने भागने की कोशिश नहीं की और खुद को पुलिस के हवाले कर दिया। उन्हें फांसी सजा सुनाई गई और 31 जुलाई 1940 को उधम सिंह को पेनतोविल्ले जेल में फांसी दी गई। सिंह द्वारा इस्तेमाल की गई रिवॉल्वर, डायरी, एक चाकू, दागी गई गोलियां अब भी ब्लैक संग्राहलय, न्यू स्कॉटलैंड यार्ड लंदन में रखी हुई हैं।