चेन्नई, 9 मईः अमित शाह पार्टी की स्थिति का जायजा लेने सोमवार को तमिलनाडु पहुंचे। इन दिनों पूरे देश का भ्रमण कर के भारतीय जनता पार्टी की स्थिति का जायजा ले रहे हैं। हाल के दिनों में उन्होंने पूर्वोत्तर, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, यूपी व महाराष्ट्र के दौरे पर गए। सोमवार को वे तमिलनाडु तक की यात्रा पर हैं। लेकिन तमिलनाडु की उनकी यात्रा कई और मामलों में बेहद संवेदनशील है। दरअसल, जयललिता की मौत और रजनीकांत व कमल हासन के राजनीति में उदय के बाद बीजेपी की रही-सही उम्मीदें भी फीकी पड़ती नजर आ रही हैं। ऐसे में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने खुद कमान अपने हाथ में लेते हुए अपने सधे हुए अंदाज में सोमवार को चेन्नई में समर्पित कार्यकर्ताओं की एक मीटिंग के बाद रोड शो करने वाले हैं। साथ ही वे सोशल मीडिया टीम से भी मुलाकात करने वाले हैं।
लेकिन इससे पहले ही तमिलनाडु में अमित शाह के विरोध में सुर उठने लगे हैं। ट्विटर पर इस वक्त #GoBackAmitShah टॉप ट्रेंड में शामिल हो रहा है। इसमें लोग अमित शाह को तमिलनाडु से वापस जाने को कह रहे हैं। इसमें बीजेपी पर राष्ट्रीय स्वयं संघ का एजेंडा साधने का आरोप लगा रहे हैं। साथ ही उन्हें दिल्ली व गुजरात वापस लौटने की सलाह दे रहे हैं।
सोशल मीडिया में विमर्श की दिशा मोड़ने की है ताकत : अमित शाह
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार को कहा कि सोशल मीडिया विमर्श की दिशा बदल सकता है और उन्होंने पार्टी के सोशल मीडिया स्वयंसेवकों से 2019 के आम चुनाव से पहले उपयुक्त आंकड़ों के साथ विपक्ष का मुकाबला करने का आह्वान किया।
शहर के दक्कन क्षेत्र के भाजपा के सोशल मीडिया स्वयंसेवकों की एक बैठक को संबोधित करते हुए शाह ने यह भी कहा कि भाजपा का ‘ स्वर्णकाल ’ अभी आना बाकी है क्योंकि दक्षिणी राज्यों एवं पश्चिम बंगाल में अब भी भाजपा के खाते में नहीं हैं।
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इस बैठक में शामिल होने वाले एक स्वयंसेवक ने कहा , ‘‘ अमितजी ने सोशल मीडिया के स्वयंसेवकों से 2019 के आम चुनाव के लिए कमर कस लेने को कहा है। उन्होंने हमसे विपक्ष का मुकाबला करने के लिए उपयुक्त आंकड़ों की जानकारी जुटाते रहने पर ध्यान देने को कहा है। ’’
उसने कहा कि शाह ने स्वयंसेवकों से सभी राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के कामकाज का तुलनात्मक विश्लेषण करने और उसे आम लोगों तक ले जाने को कहा।
उसने अमित शाह का हवाला देते हुए कहा , ‘‘ यदि राकांपा प्रमुख शरद यादव किसानों की बात करते हैं तो हमें आंकड़ों के साथ करना चाहिए कि आपके कार्यकाल में इतने किसानों ने आत्महत्या की, जबकि फड़णवीस सरकार में किसानों की आत्महत्याओं में 35 फीसद गिरावट आयी। ’’ इस बैठक से मीडिया को दूर रखा गया।
वंशवादी राजनीति पर चाणक्य का दृष्टिकोण अब भी वैध: अमित शाह
महाराष्ट्र के पुणे में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ‘ वंशवादी ’ राजनीति की निंदा करने के लिए रविवार को प्राचीन काल के दार्शनिक चाणक्य का हवाला दिया। उन्होंने यहां रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी (आरएमपी) में 12 वां रामभाऊ म्हालगी व्याख्यान देते हुए कहा , ‘‘ चाणक्य ने करीब 2300 साल पहले वंशवाद की राजनीति की निंदा की थी और उनका दर्शन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अब भी प्रासंगिक है। ’’
उन्होंने आरएसएस से काफी करीब से जुड़ी संस्था में ‘ आज के परिप्रेक्ष्य में आर्य चाणक्य का जीवन और उनका कार्य ’ विषय पर अपने संबोधन में कहा , ‘‘ शासकों के बारे में जहां तक चाणक्य की सोच की बात है तो उन्होंने साम्राज्य चलाने में वंशवाद के विचार का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं है कि अक्षम वरिष्ठ को साम्राज्य के शासन की बागडोर दे दी जाए। सबसे योग्य , भले ही वह छोटा क्यों न हो , को साम्राज्य चलाने देना चाहिए। ’’
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शाह ने कहा , ‘‘(चाणक्य के अनुसार) यदि शासक का एकमात्र पुत्र है और वह साम्राज्य का शासन चलाने में समर्थ न हो तो मंत्रिमंडल को सक्षम को चुनना चाहिए। ’’ हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वह किसी खास व्यक्ति पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा , ‘‘ चाणक्य ने पहले ही लिख दिया है कि राजा संविधान का प्रधान सेवक होता है और हमारे प्रधानमंत्री ने भी कहा कि वह प्रधान सेवक हैं। ’(भाषा के इनपुट से)