भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा ने इस चुनाव में जीत के लिए पहली बार कई नए प्रयोग किये जिससे लगातार भाजपा चर्चा में रहे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर आम लोगों के बीच बातचीत होती रहे। इसमें नमो टीवी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर फिल्म और देश भर में सबसे बड़े असंगठित क्षेत्र , निजी सुरक्षा एजेंसियों, को ध्यान में रखकर मैं भी चौकीदार अभियान को शुरू करना शामिल था।
अमित शाह ने इन प्रयोगों के लिए अपनी टीम के युवा कार्यकर्ताओं पर विश्वास किया। इन प्रयोगों में सबसे बड़ा कदम नमो टीवी था। आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने मीडिया सेल के प्रमुख अनिल बलूनी के साथ मिलकर इसकी व्यूह रचना की। इसके तहत किसी भी कानूनी प्रक्रिया और झंझावत से बचने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेकर इसकी शुरूआत की। इसमें दिन रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम और भाषण आते थे।
नमो टीवी के बहाने लगातार भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चर्चा में बने रहे
रोचक यह है कि यह टीवी प्रसारण के नियमों से भी नहीं बंधा था क्योंकि इसे एप्प के माध्यम से डीटीएच के माध्यम से हर टीवी तक पहुंचाया जा रहा था। देश में इस समय एप्प को लेकर कोई कानून नहीं है। इसकी वजह से ट्राई, सूचना प्रसारण मंत्रालय से लेकर कानून मंत्रालय तक के दायरे में यह नहीं आया और चुनाव तक भाजपा विरोधी दलों के तमाम हो—हल्ला के बाद भी इस चैनल को चलाता रहा। नमो टीवी के बहाने लगातार भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चर्चा में बने रहे। जिसका राजनैतिक लाभ भाजपा को हुआ।
इसी तरह से देश भी के चौकीदारों से बात करने का कार्यक्रम भी ऐसा ही अनूठा कदम था। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जब चौकीदार चोर है के जवाब में रणनीति बनाई तो सभी विरोधी ध्वस्त हो गए। उन्होंने प्रचार समिति के प्रमुख अरूण जेटली और पीयूष गोयल से चर्चा की कि क्या देश भर के चौकीदारों के साथ वार्ता कर विरोधियों को जवाब दिया जा सकता है।
पीयूष गोयल की सलाह पर अमित शाह ने इस नए प्रयोग को भी स्वीकार किया
इसके उपरांत प्रचार समिति में ही कार्यरत और बिहार प्रदेश के पूर्व मंत्री 39 वर्षीय ऋतुराज सिन्हा को इस काम में लगाया गया। वह देश की सबसे बड़ी करीब 7000 करोड़ रूपये से अधिक की बाजार मूल्य वाली निजी सुरक्षा एजेंसी में से एक के मालिक हैं और आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड तक सुरक्षा एजेंसियों के टेक—ओवर अभियान में लगे हैं, उनकी कंपनी के सहारे 24 घंटे से भी कम समय में अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देश भर में पांच लाख से अधिक चौकीदारों से एक ही समय में बात कराने का सफल कार्यक्रम आयोजित कर दिया। इसी तरह से ऋतुराज सिन्हा ने देश में बड़े प्रचार रथ की जगह ई—रिक्शा पर भाजपा प्रचार रथ चलाकर देश की हर विधानसभा, कच्ची कालोनियों तक भाजपा के प्रचार को पहुंचाया। पीयूष गोयल की सलाह पर अमित शाह ने इस नए प्रयोग को भी स्वीकार किया।
इसके अलावा चुनाव के समय सबसे अधिक चर्चा मोदी के बायोपिक पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर भी चर्चा होती रही। विवेक ओबरॉय इसमें मोदी की भूमिका में है। यह फिल्म भले ही चुनावों तक सिनेमाघरों तक नहीं पहुंच पाई हो लेकिन अमित शाह ने इसके बहाने देश भर में जो संदेश पहुंचाने का लक्ष्य तय किया था, उसमें वह कामयाब रहे। देश भर में एक गरीब चाय वाले के प्रधानमंत्री बनने की चर्चा चुनाव तक होती रहीे। इसी तरह से मीडिया सेल के प्रमुख अनिल बलूनी और सह प्रभारी संजय मयूख के माध्यम से अमित शाह ने चुनाव के हर चरण के मुताबिक मीडिया के साथ संवाद—साक्षात्कार का कार्यक्रम तय किया। यह देखा कि किस चरण में कहां किस टीवी चैनल, अखबार में साक्षात्कार से लाभ हो सकता है और उसके अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वयं अमित शाह के साक्षात्कार नियमित अंतराल पर जनता के सामने आते रहे। जिससे भाजपा ने स्वयं को लाभ का आकलन किया है।