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रामचरितमानस को लेकर उठे विवाद के बीच बोले जीतन राम मांझी- राम से ज्यादा महान और विद्वान रावण थे

By एस पी सिन्हा | Updated: March 17, 2023 16:21 IST

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा है कि राम से ज्यादा महान और विद्वान रावण थे। रावण का कम महिमा मंडन किया गया जो गलत है, रावण के साथ अन्याय किया गया है।

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ठळक मुद्देमांझी ने अपने पुराने बयानों को दोहराते हुए यह भी कहा कि राम और रावण दोनों काल्पनिक थे।पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि तुलसी के रामायण में बहुत ही गलत बातें हैं, उसको निकालना चाहिए।उन्होंने कहा कि आज कल आस्था का आधार लेकर लोगों को बरगलाने का काम किया जा रहा है।

पटना: रामचरितमानस को लेकर उठा विवाद बिहार में थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है। एक तरफ राज्य के शिक्षा मंत्री प्रो चन्द्रशेखर विधानमंडल बजट सत्र के दौरान रामचरितमानस को लेकर सदन आ रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा और जदयू के तरफ से उन्हें गलत बताया जा रहा है।

इस कड़ी में अब पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा है कि राम से ज्यादा महान और विद्वान रावण थे। रावण का कम महिमा मंडन किया गया जो गलत है, रावण के साथ अन्याय किया गया है। उन्होंने अपने पुराने बयानों को दोहराते हुए यह भी कहा कि राम और रावण दोनों काल्पनिक थे।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि तुलसी के रामायण में बहुत ही गलत बातें हैं, उसको निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज कल आस्था का आधार लेकर लोगों को बरगलाने का काम किया जा रहा है। मांझी ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन, लोकमान्य तिलक और डिस्कवरी ऑफ इंडिया में भी कहा गया है कि राम काल्पनिक हैं, वो सभी ब्राह्मण थे तो कुछ नहीं और हम कह रहे हैं तो लोगों को दुख हो रहा है। 

जब उनसे यह सवाल किया गया कि क्या आप राम को काल्पनिक मानते हैं और रावण को सही मानते हैं? तो उन्होंने कहा कि ऐसी बात नहीं है। हम कहानी की बात कह रहे हैं और कहानी की बात कही जाए तो राम से अधिक कर्मठ रावण थे। लेकिन हम पूरी बातों को नहीं मानते हैं, यह सब कुछ कहानी काल्पनिक है। मांझी ने कहा कि हम वास्विकता की बात कह रहे हैं। इसलिए राम को काल्पनिक बता रहे हैं। राम को काल्पनिक कहने वाले वे लोग ब्राह्मण थे तो कोई बात नहीं, लेकिन हम कह दिये तो गुनाह हो गया। 

मांझी ने कहा कि रामचरित मानस में बहुत अच्छी किताब है। उसमें बहुत अच्छी बातें भी लिखी गई हैं। लेकिन आंबेडकर ने भी कहा था, लोहिया ने भी कहा था कि उसमें जो कचरा है उसे हटा देना चाहिये। वैसे रामायण तो वाल्मिकी ने लिखा था। वाल्मिकी की पूजा क्यों नहीं लोग करते हैं क्यों तुलसी की पूजा करते हैं? मनुवादी व्यवस्था वाले लोगों ने ऐसा किया है।

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