Allahabad High Court: दो हिंदुओं के बीच विवाह पवित्र बंधन, साल भर के भीतर नहीं तोड़ा जा सकता?, हाईकोर्ट ने कहा- पारस्परिक रूप से सहमत ही क्यों न हों...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 29, 2025 17:09 IST2025-01-29T17:08:23+5:302025-01-29T17:09:10+5:30

Allahabad High Court: असाधारण मुश्किल या अनैतिकता के मामले में इस तरह की याचिका पर विचार किया जा सकता है।

Allahabad High Court Marriage two Hindus sacred bond cannot broken within a year High Court said even if mutually agreed upon | Allahabad High Court: दो हिंदुओं के बीच विवाह पवित्र बंधन, साल भर के भीतर नहीं तोड़ा जा सकता?, हाईकोर्ट ने कहा- पारस्परिक रूप से सहमत ही क्यों न हों...

file photo

Highlightsपारस्परिक सहमति से विवाह भंग करने की अर्जी दाखिल की थी।निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की थी। तलाक के लिए अर्जी दाखिल करने की अनुमति दी जा सके। 

प्रयागराजः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक फैसले में कहा कि दो हिंदुओं के बीच विवाह एक पवित्र बंधन है, जिसे विवाह के साल भर के भीतर नहीं तोड़ा जा सकता फिर चाहे इसके लिए दोनों पक्ष पारस्परिक रूप से सहमत ही क्यों न हों। अदालत ने कहा कि जब तक असाधारण मुश्किल या असाधारण अनैतिकता ना हो जैसा कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 14 में वर्णित है, विवाह को भंग नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डी. रमेश की पीठ ने यह निर्णय देते हुए कहा कि तलाक के लिए अर्जी दाखिल करने के संबंध में धारा 14 में विवाह की तिथि से एक साल की समय सीमा की व्यवस्था है हालांकि असाधारण मुश्किल या अनैतिकता के मामले में इस तरह की याचिका पर विचार किया जा सकता है।

इस मामले में दोनों पक्षों ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13-बी के तहत पारस्परिक सहमति से विवाह भंग करने की अर्जी दाखिल की थी, जिसे सहारनपुर की कुटुम्ब अदालत ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि अर्जी दाखिल करने की न्यूनतम अवधि पूरी नहीं हुई है। याचिकाकर्ताओं ने इस निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की थी।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 15 जनवरी को निशांत भारद्वाज द्वारा दाखिल प्रथम अपील खारिज करते हुए एक वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद याचिकाकर्ता को नए सिरे से अर्जी दाखिल करने का विकल्प दिया था। अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में आपसी असंगति के लिए नियमित आधार के अलावा, कोई असाधारण परिस्थिति पेश नहीं की गई, जिससे इन पक्षों को विवाह के एक वर्ष के भीतर तलाक के लिए अर्जी दाखिल करने की अनुमति दी जा सके। 

Web Title: Allahabad High Court Marriage two Hindus sacred bond cannot broken within a year High Court said even if mutually agreed upon

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे