यदि पत्नी बिना उचित कारण के पति से अलग रह रही है तो गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं, इलाहाबाद उच्च न्यायालय का अहम फैसला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 13, 2025 19:12 IST2025-07-13T19:11:52+5:302025-07-13T19:12:27+5:30

उच्च न्यायालय ने कहा, “सीआरपीसी की धारा 125(4) के तहत यदि पत्नी बिना उचित कारण के पति से अलग रह रही है तो वह गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है।”

Allahabad High Court important decision If wife living separately husband without any valid reason then she not entitled get alimony | यदि पत्नी बिना उचित कारण के पति से अलग रह रही है तो गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं, इलाहाबाद उच्च न्यायालय का अहम फैसला

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Highlightsपत्नी के पक्ष में 5,000 रुपये महीने का गुजारा भत्ता तय कर दिया गया है।क्रमशः 5,000 रुपये और 3,000 रुपये प्रति माह का गुजारा भत्ता तय कर दिया।वकील ने दलील दी कि पत्नी अपने पति द्वारा उपेक्षा किए जाने की वजह से अलग रह रही है।

प्रयागराजः  इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले में कहा है कि बिना वैध कारण के पति से अलग रह रही पत्नी गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है। विपुल अग्रवाल की पुनरीक्षण याचिका स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र शर्मा ने मेरठ की परिवार अदालत के 17 फरवरी के आदेश को रद्द कर दिया। उच्च न्यायालय ने कहा, “निचली अदालत ने यह तथ्य रिकॉर्ड में लिया है कि पत्नी यह साबित करने में विफल रही कि वह पर्याप्त कारण से पति से अलग रह रही है और पति उसका खर्च उठाने में उपेक्षा कर रहा है। फिर भी पत्नी के पक्ष में 5,000 रुपये महीने का गुजारा भत्ता तय कर दिया गया है।”

उच्च न्यायालय ने कहा, “सीआरपीसी की धारा 125(4) के तहत यदि पत्नी बिना उचित कारण के पति से अलग रह रही है तो वह गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है।” सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि इस मामले में यह तथ्य जानने के बावजूद कि पत्नी बिना उचित कारण के पति से अलग रह रही है, गुजारा भत्ता की राशि तय कर दी गयी।

उन्होंने कहा कि अधीनस्थ अदालत ने याचिकाकर्ता की उपार्जन क्षमता पर विचार नहीं किया और पत्नी एवं नाबालिग बच्चे के पक्ष में क्रमशः 5,000 रुपये और 3,000 रुपये प्रति माह का गुजारा भत्ता तय कर दिया। हालांकि, पत्नी की और से पेश वकील ने दलील दी कि पत्नी अपने पति द्वारा उपेक्षा किए जाने की वजह से अलग रह रही है।

यही कारण है कि निचली अदालत ने याचिका स्वीकार कर गुजारा भत्ता तय किया। उच्च न्यायालय ने कहा, “अधीनस्थ अदालत द्वारा उक्त तथ्य को रिकॉर्ड में लेना और पत्नी के पक्ष में प्रति माह 5,000 रुपये गुजारा भत्ता तय करना दोनों ही आपस में विरोधाभासी है और धारा 125(4) में दिए गए प्रावधान का उल्लंघन है।

इसलिए, 17 फरवरी, 2025 के त्रुटिपूर्ण आदेश में हस्तक्षेप आवश्यक है।” उच्च न्यायालय ने आठ जुलाई को दिए अपने निर्णय में इस मामले को फिर से परिवार अदालत के पास भेजकर दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर देने के बाद कानून के मुताबिक नए सिरे से निर्णय करने को कहा। हालांकि, उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि इस बीच, याचिकाकर्ता मामले के लंबित रहने के दौरान अपनी पत्नी को 3,000 रुपये प्रति माह और बच्चे को 2,000 रुपये प्रति माह का अंतरिम गुजारा भत्ता देते रहे।

Web Title: Allahabad High Court important decision If wife living separately husband without any valid reason then she not entitled get alimony

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