घातक है सेना का 'ऑपरेशन ऑल आउट', 400 से ज्यादा खूंखार आतंकियों को चुन-चुन कर मारी थी गोली

By खबरीलाल जनार्दन | Updated: June 26, 2018 11:03 IST2018-06-25T16:17:37+5:302018-06-26T11:03:25+5:30

ऑपरेशन ऑल आउट दिसंबर 2014 में शुरू हुआ था।

All you need to know Operation All Out Indian Army Jammu Kashmir | घातक है सेना का 'ऑपरेशन ऑल आउट', 400 से ज्यादा खूंखार आतंकियों को चुन-चुन कर मारी थी गोली

घातक है सेना का 'ऑपरेशन ऑल आउट', 400 से ज्यादा खूंखार आतंकियों को चुन-चुन कर मारी थी गोली

इस वक्त जम्मू कश्मीर में आतंकियों से निपटने के लिए भातरीय सरकार ने सेना को ऑपरेशन ऑल आउट चलाने की छूट दी हुई है। जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना ने बीते रमजान के महीने में संघर्षविराम किया था। लेकिन उस दौरान लगातार भारतीय सेना पर हमले हुए। इसलिए रमजान खत्म होते ही सेना हरकत में आई और सरकार ने से ऑपरेशन ऑल आउट की छूट दे दी। बीते सप्ताह से ऑपरेशन शुरू होने के बाद से अब तक 2 आतंकियों को सेना मार चुकी है। इसके बाद से ही देशभर में इस ऑपरेशन को लेकर चर्चा है। बताया जा रहा है कि इस ऑपरेशन के बाद आतंकियों और विरोधी सेना की हालत पस्त है। आतंकी डरे हुए हैं। पर क्यों? ऐसा क्या है ऑपरेशन ऑल आउट में-

आतंकियों के लिए नहीं शुरू हुआ था ऑपरेशन ऑल आउट

अगर ऑपरेशन ऑल आउट का हिन्दी मतलब निकालें तो सबको बाहर निकालो समझ आता है। भारतीय सेना और जम्मू कश्मीर से जोड़ के देखें तो यह समझ आता है कि आतंकियों को बाहर निकालो। लेकिन इसकी शुरुआत इस उद्देश्य नहीं हुई थी।

दिसंबर 2014, असम में उग्रवादियों और बोडो नक्सलियों से जुड़ी घटनाओं ने सेना की नाक में दम कर रखा था। जब भारतीय सेना के करीब 3500 जवानों ने वायु सेना, असम पुलिस और अर्धसैनिक बलों के साथ मिलकर अभियान छेड़ा और स्‍थिति पर काबू कर लिया। तब इस ऑपरेशन को अखबारों ने ऑपरेशन ऑल आउट के नाम से प्रकाशित करना शुरू किया। जनवरी 2015 में सेना ने भी इसे ऑपरेशन ऑल आउट बताया।

जनवरी में ही निचले असम से एनडीएफबी (सांगबिजित) के आतंकवादियों का भी सेना ने सफाया किया। तब सेना के साथ अर्धसैनिक बल और राज्य पुलिस के साथ भारतीय वायु सेना भी शामिल हो गई है। तब इसे भारतीय सेना का करीब-करीब सबसे घातक ऑपरेशन बताया गया था।

लेकिन 2015 में असम के ऑपरेशन के बाद इसे जम्मू में लागू कर दिया गया। लेकिन वहां इतने विशाल रूप में नहीं। फिर भी सेना ने साल 2016-17 में करीब 200 आतंकियों को मौत के घाट उतारा। 

लेकिन 2017 की दूसरी छमाही एक बार फिर जम्मू कश्मीर में हालत बद से बदतर होने लगे। आतंकियों ने खासतौर पर लश्कर ए तैयबा ने कई वारदातों को ताबड़तोड़ अंजाम देना शुरू किया। तब सेना एक बार फिर से ऑपरेशन ऑल आउट को उसी रूप में लागू किया। 

19 नवंबर 2017 को ऑपरेशन ऑल आउट की सबसे बड़ी जीत के तौर पर देखा जाता है। इस दिन लश्कर-ए-तैयबा छह बड़े आतंकवादी मारे गए थे। उस साल 190 आतंकवादी मारे गए। इनमें से 110 विदेशी और 80 स्थानीय आतंकवादी थे।

क्या होता है ऑपरेशन ऑल आउट में

अबकी ऑपरेशन ऑल आउट शुरू करने से पहले गृह मंत्रालय ने एक निर्देश जारी किया। इसमें कहा गया कि ऐसी संभावनाओं पर भी पूरी ताकत से कार्रवाई करें जहां संदिग्‍ध लगे। यह अपने तरह का नायाब निर्देश है। असल में ऑपरेशन आल आउट के काम करने का तरीका ही यही। इसमें सेना पहले ही ऐसे लोगों की सूची बना लेती है जो संदिग्‍ध होते हैं। सूची में चुन-चुन कर सभी नामों को सूचिबद्ध कर दिया जाता है।

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साल 2017 में जब ऑपरेशन ऑल आउट चला था तब सेना ने 300 आतंकियों की सूची बनाई थी। इस बार भी सेना ने अब तक 22 लोगों की सूची बनाई जिसमें दो लोगों को मौत के घाट उतार दिया है।

ऑपरेशन ऑल आउट में एनएसजी कमांडो

ऑपरेशन ऑल आउट भारतीय सेना का एक नायाब ऑपरेशन है। इसमें जरूरत पड़ने पर भारत की किसी भी सेना से सहयोग मांगा जा सकता है। स्‍थानीय पुलिस, रेलवे पुलिस से लेकर एनएसजी तक इस ऑपरेशन के तहत तैनात किए जा सकते हैं।

अब तक के भारतीय सेना के प्रमुख ऑपरेशन

-प्रथम कश्मीर युद्ध (1947) के दौरान चला ऑपरेशन

-ऑपरेशन पोलो (1948): भारतीय सेना ने दक्षिण भारत में हैदराबाद के निजाम के शासन का अंत किया और हैदराबाद रियासत को भारतीय संघ में विलय किया।

-ऑपरेशन विजय (1961): गोवा, दमन और दीव और अंजिदिव द्वीपों को पुर्तगालियों से छुड़ाया।

-चीन-भारत युद्ध के दौरान (1962) चला ऑपरेशन

-द्वितीय कश्मीर युद्ध के दौरान (1965) चला ऑपरेशन

-ऑपरेशन स्टेपलचेज (1971)

-बांग्लादेश स्वतंत्रता युद्ध-1971 के दौरान चला ऑपरेशन

-सिक्किम का विलयः भारतीय सेनाका सिक्किम के राजा के शाही रक्षकों को बेहथियार करना, जिसके बाद सिक्किम का भारत में एक केंद्र शासित राज्य के रूप में विलय हुआ।

- सियाचीन मतभेद के दौरान (1980)

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-ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984)

-ऑपरेशन वुडरोज (1984)

-ऑपरेशन मेघदूत (1984): भारतीय सेना ने सियाचीन ग्लेशियर के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा जमाया

-ऑपरेशन राजीव (1987): भारतीय सेना ने कैद पोस्ट को अपने अधिकार में किया।

-ऑपरेशन पवन (1987): 1987 के अंत में श्रीलंका में लिट्टे को निशस्त्र कर जाफना को नियंत्रण में लिया

-ऑपरेशन विराट (1988): उत्तरी श्रीलंका में लिट्टे पर कार्रवाई

-ऑपरेशन त्रिशूल (1988): ऑपरेशन विराट के साथ उत्तरी श्रीलंका में लिट्टे के विरुद्ध राजद्रोह विरोधी अभियान

-ऑपरेशन चेकमेट (1988): जून 1988 में भारतीय शांति रक्षा सेना द्वारा श्रीलंका के वादमरची में लिट्टे पर हुई कार्रवाई

-ऑपरेशन कैक्टस (1988): पैराकमांडोज (भारत) और मार्कोस ने किराये के तमिल राष्ट्रवादी सैनिकों को मालदीव की राजधानी माले में सत्ता परिवर्तन करने से रोकने के लिए छेड़ा गया अभियान

-ऑपरेशन विजय (1999): कारगिल युद्ध

-ऑपरेशन पराक्रम (2001)

-ऑपरेशन ब्लैक टोरनेडो

-ऑपरेशन गुडविल: जम्मू-कश्मीर में मानवतावादी कार्य

-ऑपरेशन गुड समर्थन: मणिपुर/नागालैंड में मानवतावादी कार्य

-ऑपरेशन सूर्य होप: 2013 में उत्तर भारत ने आई बाढ़ से लोगों को बचाने के लिए

-ऑपरेशन ऑल आउट (2015): असम के बोडो नक्सलियों को साफ करने के लिए

-ऑपरेशन मैत्री (2015): भूकंपग्रस्त नेपाल में भारतीय सेना का राहत व बचाव कार्य

-2015 म्यांमार में भारतीय राजद्रोह विरोधी अभियान -एक क्रॉस बॉर्डर अभियान व रेड

- ऑपरेशन ऑल आउट (2017) जम्मू कश्मीर से आतंकियों के लिए

- ऑपरेशन ऑल आउट (2018) जम्मू कश्मीर से आतंकियों के लिए

Web Title: All you need to know Operation All Out Indian Army Jammu Kashmir

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