भारतीय वायु सेना के जगुआर ने नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ पर गिरा दिया था बम, ऐसे बची थी जान
By खबरीलाल जनार्दन | Published: June 25, 2018 11:35 AM2018-06-25T11:35:04+5:302018-06-25T11:35:41+5:30
24 जून, 1999, दिन था बृहस्पतिवार। सुबह करीब 8:45 बजे कारगिल युद्ध अपने चरम पर था और यह घटना घटी।
24 जून, 1999, दिन था बृहस्पतिवार। सुबह करीब 8:45 बजे कारगिल युद्ध अपने चरम पर था, भारतीय वायु सेना का एक जगुआर भारत-पाकिस्तान बॉर्डर एलओसी के ठीक ऊपर उड़ रहा था। भारतीय सेना का यह लेजर सिस्टम से लैस जगुआर वहां ले पाकिस्तानी आर्मी की एक टुकड़ी पर बम बरसाने गया था।
लेकिन उसी के ठीक पीछे भारतीय सेना का एक दूसरा जगुआर आया और आते ही जगुआर के पायलट ने बम दाग दिया। लेकिन वह उस पाकिस्तानी मिलिटरी बेस को ध्वस्त नहीं कर पाया जिसे ध्वस्त करने के लिए जगुआर वहां गए थे। उस वक्त उस पाकिस्तानी मिलिटरी बेस में तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष जनरल परवेज मुशर्रफ मौजूद थे। इंडियन एक्सप्रेस ने इसके आधिकारिक डॉक्यूमेंट होने का दावा किया। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक भारतीय सेना और सरकार ने आज तक यह जानकारी छिपाए रखी।
भारतीय सरकार से इंडियन एक्सप्रेस को मिले एक कागजात में लिखा है, '24 जून, 1999 को भारतीय सेना का जगुआर CLDS (कॉकपिट लेजर डिजाइनेशन सिस्टम) प्वाइंट 4388 पर उड़ रहा था, जहां युद्ध चरम पर था। पायलट ने एलओसी पर गुल्टेरी के पास बम गिरा दिय था। लेकिन बम निशाने तक नहीं पहुंचा।' उसी डॉक्यूमेंट नीचे की ओर बोल्ड टेक्स्ट में लिखा है, 'यह तय है कि उस वक्त पाक पीएम नवाज शरीफ गुल्टेरी के उस मिलिटरी बेस में मौजूद थे, जिसको निशाना बनाकर हमला किया गया था।'
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार जब पहले जगुआर ने गुल्टेरी को टारगेट किया था तब इस बात की जानकारी नहीं थी कि वहां शरीफ और मुशर्रफ मौजूद हैं। हालांकि इसके बावजूद भारतीय वायु सेना के कमांडर ने पायलट को बम दागने की सलाह नहीं दी थी। शायद इसी वजह से पायलट ने आखिरी समय में बम एलओसी पर भारत की ओर गिरा दिया।
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गुल्टेरी को गुल्टारी भी कहते हैं। यह जगह कारगिल युद्ध के वक्त यह पाकिस्तानी सेना को भारतीय गतिविधियों पर नजर रखने का केंद्र था। यह भारत के 'ड्रस सेक्टर' में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से करीब 9 किलोमीटर दूर था।
उस दिन शरीफ, मुशरर्फ के साथ युद्ध के दौरान पहली बार शक्मा क्षेत्र का जायजा लेने आए थे। उस दिन पाकिस्तानी अखबार दी न्यूज में आपने 25 जून, 1999 के संस्करण में War no solution to problems, says Nawaz शीर्षक से उनके बॉर्डर आने की खबर भी प्रकाशित की थी। इसमें लिखा था, प्रधानमंत्री मुहम्मद नवाज शरीफ ने बृहस्पतिवार को भारत के साथ डायलॉग के लिए फिर आह्वान किया। वह एलओसी पर चल रहे युद्ध को रोकना चाहते हैं।
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इसमें पीएम नवाज का एक बयान भी छपा था, 'मैं भारतीय सरकार को सुलह के लिए आमंत्रित करते हैं। ताकि कश्मीर समेत सभी समस्याओं का हल निकाला जा सके। वहां शांति बहाल की जा सके।' बताया गया कि उन्होंने 11,600 फीट ऊपर जाकर अपने जवानों को संबोधित किया। उस मौके पर स्टाफ कमेटी के संयुक्त प्रमुख व सेनाध्यक्ष मुशर्रफ के सचिव इफि्तखार अली व इनवेस्टमेंट बोर्ड के चेयरमैन हुमायू अख्तर भी वहां मौजूद थे।
उस वक्त भारतीय वायु सेना के पिश्चमी कमांड की कमान एयर मार्शल विनोद पाटनी के पास थी। वे ही कारगिल युद्ध में भारतीय वायु सेना को संचालित कर रहे थे। उन्होंने 24 जून वाली घटना के बारे में एक बार इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'हमारा निशाना मुश्कोह वेली था। हमें वहां अपने जगुआर से कुछ आपत्तिजनक गतिविधियों का पता चला था। पहले जगुआर ने वहां निशना साधा था। दूसरे जगुआर ने वहां लेजर सिस्टम से बम गिराया था। जब वह लौट कर आया और हमने वीडियो देखा तो पता चला वह जगह गुल्टेरी थी।'