साल 2011 से 2050 तक शराब से होंगी लगभग 28 करोड़ मौत, जीडीपी को हर साल होगा 1.45 फीसदी का नुकसान
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 16, 2019 10:03 AM2019-07-16T10:03:14+5:302019-07-16T10:03:14+5:30
भारत में लंबे समय से चले आ रहे शराब के सेवन पर रोक लगाने की वकालत नहीं की गई बल्कि जागरूकता, बिक्री के नियमन और रोकथाम की रणनीति पर काम किया गया।
भारत में शराब के इस्तेमाल से होने वाली मौत का आंकड़ा 2011 से 2050 के बीच 258 मिलियन (लगभग 28 करोड़) पहुंच जाएगा। साथ ही जीडीपी का 1.45 परसेंट का नुकसान हर साल होगा। ये बात तीन डॉक्टरों और दो पब्लिक रिसर्चर द्वारा किए गए अध्ययन में सामने आई है। जिसे अंतरराष्ट्रीय जनरल ऑफ ड्रग पॉलिसी में प्रकाशित किया गया है।
रिसर्च में शराब से होने तीन प्रमुख कारकों (नुकसान) का विश्लेषण किया गया है। इनमें लीवर से जुड़ी बीमारियां, कैंसर और रोड एक्सीडेंट को शामिल किया गया है। इसके मुताबिक 2050 तक प्रति व्यक्ति जीवन में 75 दिन कम होंगे।
इस अध्ययन का शीर्षक है, 'हेल्थ इम्पैक्ट एंड इकोनॉमिक बर्डन ऑफ अल्कोहल कंसम्पशन इन इंडिया'। इससे पहले नेशनल सर्वे में पता चला था कि 5.7 करोड़ भारतीयों को शराब के कारण होने वाले नुकसानों से तत्काल मदद की जरूरत है। नेशनल सर्वे रिपोर्ट को नेशनल ड्रग्स डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर ऑफ एम्स द्वारा मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस के लिए तैयार किया गया था।
भारत में लंबे समय से चले आ रहे शराब के सेवन पर रोक लगाने की वकालत नहीं की गई बल्कि जागरूकता, बिक्री के नियमन और रोकथाम की रणनीति पर काम किया गया। रिसर्च टीम में डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन और स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च इन चंडीगढ़ और नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर- एम्स दिल्ली शामिल थी।
ये अध्ययन व्यापक सरकारी आंकड़ों के स्त्रोत पर आधारित हैं। जिनमें नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस 2015, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े और विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े शामिल हैं।