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'अजित पवार ने चुनाव आयोग से कहा कि शरद पवार तानाशाह हैं', 'सामना' ने चाचा-भतीजे की सियासत पर लिखा संपादकीय

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: October 11, 2023 10:43 IST

शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के मुखपत्र 'सामना' ने अपने संपादकीय में महाराष्ट्र सरकार के डिप्टी सीएम और शरद पवार से बगावत करके राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को तोड़ने वाले अजित पवार पर बेहद तीखा हमला किया है।

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ठळक मुद्दे 'सामना' ने अपने संपादकीय में साधा शरद पवार से भतीजे अजित पवार पर निशाना सामना ने कहा कि अजित पवार मनमाने तरीके से चुनाव आयोग के सामने एनसीपी पर दावा कर रहे हैंअजित पवार ने चाचा शरद पवार को धोखा देते हुए भाजपा को अपना नया 'मालिक' बना लिया

मुंबई: शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के मुखपत्र 'सामना' ने अपने संपादकीय में महाराष्ट्र सरकार के डिप्टी सीएम और शरद पवार से बगावत करके राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को तोड़ने वाले अजित पवार पर बेहद तीखा हमला किया है। सामना ने संपादकीय में कहा कि अजित पवार मनमाने तरीके से चुनाव आयोग के सामने एनसीपी पर दावा कर रहे हैं।

ठाकरे गुट के अखबार ने बेहद कड़े शब्दों मे लिखा है कि किसी पार्टी के विधायकों या सांसदों को तोड़ने मात्र से किसी को पार्टी का मालिकाना हल नहीं मिल जाता है।

सामना के संपादकीय में कहा गया है कि अजित पवार ने चुनाव आयोग के समक्ष दावा किया कि उनके चाचा और एनसीपी प्रमुख शरद पवार तानाशाह हैं और उन्होंने पार्टी को अपने तरीके से चलाया। इसके अलावा सामना में यह भी कहा गया है कि ठीक यही तर्क शिवसेना को तोड़ने के दौरान शिंदे गुट ने चुनाव आयोग के समक्ष दिया था।

इसके साथ ही संपादकीय में कहा गया है कि यदि शिवसेना और एनसीपी के विद्रोही गुट चुनाव हार जाते हैं, तो उन्हें पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह देने का चुनाव आयोग निर्णय संदिग्ध हो जाएगा।

सामना में कहा गया है कि अजित पवार अपने चाचा शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी की बनाई गठबंधन की सरकार में कई बार उपमुख्यमंत्री बन थे और शरद पवार के कारण ही ईडी ने अजित पवार को नहीं छुआ।

अगर अजित पवार को अपनी क्षमता और ताकत पर भरोसा होता तो उन्होंने अपनी अलग पार्टी बनाई होती और जनता से जनादेश मांगते, लेकिन उन्होंने भाजपा को अपना नया 'मालिक' बनाने का फैसला किया।

शरद पवार की पार्टी ने छगन भुजबल को उस वक्त मंत्री बनाया था, जब वो जेल से रिहा हुए थे। इतना ही नहीं शरद पवार ने हसन मुश्रीफ को भी उस वक्त मौका दिया था, जब वो जेल जाने की कगार पर थे।

सामना ने कहा, "इन सभी लोगों के पास उस समय शरद पवार के कामकाज को 'तानाशाही' कहने के बारे में कुछ नहीं था।" भुजबल, मुश्रीफ और प्रफुल्ल पटेल ने अजीत पवार के नक्शेकदम पर चलते हुए शरद पवार को धेखा दिया औऱ भाजपा के साथ हाथ मिला लिया।

इसके अलावा सामना के संपादकीय में इस बात का दावा किया गया है कि राष्ट्रीय राजनीति में प्रफुल्ल पटेल की प्रमुखता केवल शरद पवार के कारण है। चूंकि प्रफुल्ल पटेल का दाऊद इब्राहिम के गुर्गे इकबाल मिर्ची के साथ लेनदेन संदिग्ध निकला, इसलिए उन्होंने अपने खिलाफ होने वाली कार्रवाई से बचने के लिए शरद पवार को धोखा दिया।

सामना के संपादकीय में कहा गया है कि अगर शरद पवार ने अजित पवार की मदद नहीं की होती तो वह आज भी बारामती में साइकिल पर घूमते नजर आते।

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