महाराष्ट्र: चाचा शरद पवार की उंगली पकड़ राजनीति में आए अजित का जानें पूरा बायोडेटा

By रोहित कुमार पोरवाल | Updated: November 23, 2019 15:39 IST2019-11-23T15:31:14+5:302019-11-23T15:39:03+5:30

अजित जब प्राथमिक विधालय में पढ़ते थे तब उनके चाचा शरद पवार तत्कालीन कांग्रेस पार्टी की सरकार में एक उभरते राजनीतिज्ञ के तौर पर लोकप्रिय हो रहे थे। चाचा की राजनीति में कामयाबी ने अजित को भी लुभाया और वह मुंबई (तब बॉम्बे) आ गए और वहां फिर से पढ़ाई शुरू की। 

Ajit Pawar Biography: He is now Current Deputy Chief minister of maharashtra, Here is his all Story | महाराष्ट्र: चाचा शरद पवार की उंगली पकड़ राजनीति में आए अजित का जानें पूरा बायोडेटा

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार। (फोटो- एएनआई)

Highlightsअजित पवार को स्नातक की पढ़ाई के दौरान पिता की असामयिक मृत्यु के कारण कॉलेज छोड़ना पड़ा था। अजित पवार 1982 में एक सहकारी चीनी कारखाने के बोर्ड के लिए चुने गए और यहीं से उन्होंने राजनीति में अपना पहला कदम रखा।

60 वर्षीय अजित पवारमहाराष्ट्र के नौवें उपमुख्यमंत्री हैं। वह राज्य की बारामती विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक हैं। अजित पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार के भतीजे हैं। उनके पिता अनंतराव पवार शरद पवार के बड़े भाई थे और फिल्म इंडस्ट्री में मशहूर निर्माता वी शांताराम के राजकमल स्टूडियो से जुड़े रहे। दादा गोविंदराव पवार बारामती को-ऑपरेटिव ट्रेडिंग में नौकरी करते थे।     

अजित पवार को स्नातक की पढ़ाई के दौरान पिता की असामयिक मृत्यु के कारण कॉलेज छोड़ना पड़ा था। उन्हें घर चलाने की जिम्मेदारी उठानी पड़ी थी। उन्होंने महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड से सेकेंडरी स्कूल सर्टिफिकेट किया।     

अजित जब प्राथमिक विधालय में पढ़ते थे तब उनके चाचा शरद पवार तत्कालीन कांग्रेस पार्टी की सरकार में एक उभरते राजनीतिज्ञ के तौर पर लोकप्रिय हो रहे थे। चाचा की राजनीति में कामयाबी ने अजित को भी लुभाया और वह मुंबई (तब बॉम्बे) आ गए और वहां फिर से पढ़ाई शुरू की। 

अजित पवार 1982 में एक सहकारी चीनी कारखाने के बोर्ड के लिए चुने गए और यहीं से उन्होंने राजनीति में अपना पहला कदम रखा। 1991 में वह पुणे जिला सहकारी बैंक (पीडीसी) के अध्यक्ष चुने गए और 16 वर्षों तक पद पर बने रहे। 

इस दौरान वह बारामती से सांसद भी चुने गए। बाद में उन्होंने अपने चाचा शरद पवार के पक्ष में अपनी लोकसभा सीट खाली कर दी। तब शरद पवार पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में रक्षा मंत्री बन गए थे। 

अजित पवार बारामती से विधायक बने। वह 1995, 1999, 2004, 2009 और 2014 में भी इसी निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए थे। 

अजित पवार सुधाकरराव नाइक की सरकार (जून 1991 - नवंबर 1992) में कृषि और बिजली राज्य मंत्री बने। शरद पवार के सीएम बनने पर बाद में वह मृदा संरक्षण, बिजली और योजना राज्य मंत्री (नवंबर 1992 - फरवरी 1993) बने।

1999 में जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सत्ता में आया और विलासराव देशमुख की सरकार बनी तो पहली बार सिंचाई विभाग के कैबिनेट मंत्री के तौर पर अजित पवार को पदोन्नत किया गया।

वह सुशील कुमार शिंदे की सरकार में ग्रामीण विकास विभाग (दिसंबर 2003 - अक्टूबर 2004) का अतिरिक्त प्रभार भी संभाल चुके हैं।

2004 में जब कांग्रेस-राकांपा का गठबंधन सत्ता में लौटा और अशोक चव्हाण मुख्यमंत्री बने तब भी जल संसाधन मंत्रालय की कमान उनके हाथ में रही। वह 2004 में पुणे जिले के लिए पालक मंत्री बने और 2014 तक कांग्रेस - एनसीपी गठबंधन के सत्ता में रहने तक इस पद पर रहे। 

अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा और दो बेटे हैं पार्थ पवार और जय पवार हैं। 

महाराष्ट्र के कथित 70 हजार करोड़ के सिंचाई घोटाला और 25 हजार करोड़ रुपये के महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक घोटाला में अजित पवार का नाम आया था। जांच एजेंसियां उनके खिलाफ जांच भी कर चुकी हैं।

बता दें कि महाराष्ट्र में शनिवार (23 नवंबर) को बेहद नाटकीय घटनाक्रम के चलते नयी सरकार ने राज्य का जिम्मा संभाला। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता अजित पवार के समर्थन से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सरकार बना ली। देवेंद्र फड़नवीस ने मुख्यमंत्री और अजिक पवार ने उपमुख्यमंत्री पद के लिए शपथ ली। उन्हों महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने तड़के राजभवन में शपथ दिलाई। 

दिन चढ़ने के साथ ही महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल आता गया। अजित पवार के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने ट्वीट कर कहा कि बीजेपी के साथ जाने का अजित का व्यक्तिगत फैसला है। एनसीपी इस फैसले में साथ नहीं है। 

वहीं, एनसीपी प्रमुख शरद पवार और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे साझा प्रेस वार्ता की और अजित के साथ गए कुछ विधायक प्रेस कॉन्फ्रेंस में देखे गए। विधायकों ने जोड़तोड़ के आरोप लगाए। 

एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस अब देवेंद्र फड़नवीस और अजित पवार को विधानसभा में बहुत साबित करने की चुनौती दे रही हैं।

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