नई दिल्ली: यूपी सरकार के रामनवमी मनाने के लिए राज्य के हर जिले को फंड देने के फैसले पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल खड़े किए हैं। ओवैसी का कहना है कि रामनवमी मनाने के लिए फंड जारी करने का फैसला भाजपा सरकार के दोहरे मापदंड दिखाता है। ओवैसी ने कहा कि ये उस सरकार का असली चेहरा दिखाती है जो समान नागरिक संहिता और सबका साथ सबका विकास की बात करती है।
एएनआई से बात करते हुए ओवैसी ने कहा, "भारत का संविधान कहता है कि आप टैक्स के रुपयों को किसी विशेष धर्म का प्रचार करने के लिए नहीं कर सकते। आपने पिछले 5 साल से मदरसों के अध्यापकों को पैसे नहीं दिए हैं। यह बीजेपी का दोहरा मापदंड है।"
ओवैसी ने आगे कहा, "संविधान का अनुच्छेद 27 कहता है कि टैक्स के पैसे का इस्तेमाल किसी विशेष धर्म के प्रचार या रखरखाव के लिए नहीं किया जा सकता है। बीजेपी यूपी के मदरसा शिक्षकों को पिछले 5 साल से पैसा नहीं दे रही है, और यह समान नागरिक संहिता की बात करती है।"
बता दें कि योगी सरकार ने नवरात्रि में दुर्गाशप्तशती और भगवान श्रीराम के जन्मदिन रामनवमी पर अखंड रामायण का पाठ कराने के लिए हर जिले को एक लाख रुपये मुहैया कराने का आदेश दिया था। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन करना था। प्रमुख सचिव संस्कृति मुकेश मेश्राम की ओर से प्रदेश के सभी मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों को निर्देश भेजे गए थे।
यूपी सरकार के इस फैसले पर अखिलेश यादव ने भी तंज कसा था। अखिलेश ने कहा था कि रामनवमी मनाने के लिए उत्तर प्रदेश के जिलाधिकारियों को एक लाख रुपये दिए जाने के प्रस्ताव का स्वागत है पर इतनी कम रकम से क्या होगा। उन्हें कम से कम 10 करोड़ रुपये देने चाहिए जिससे सभी धर्मों के त्योहारों को मनाया जा सके। भाजपा सरकार त्योहारों पर फ्री सिलेंडर दे और इसकी शुरूआत इसी रामनवमी से हो।