कोरोना महामारी में आईसीयू में भर्ती बुजुर्गों की तुलना में युवाओं की मौतों का आंकड़ा ज्यादा, जानें एम्स स्टडी में किन बातों का किया गया खुलासा
By दीप्ती कुमारी | Updated: June 25, 2021 08:47 IST2021-06-25T08:45:02+5:302021-06-25T08:47:59+5:30
एम्स की एक स्टडी में इस बात का खुलासा किया गया है कि कोरोना की पहली लहर को दौरान बुजुर्गों की तुलना में 18 से अधिक उम्र वाले लोगों की ज्यादा मौतें हुई है । इस स्टडी में युवाओं की मौत के कारण भी बताए गए हैं , जिनसे सभी को सावधान होने की जरूरत है ।

फोटो सोर्स - सोशल मीडिया
दिल्ली : कोरोना महामारी की दूसरी लहर में देश में सबसे ज्यादा जानें गई । कोरोना की पहली लहर के अपेक्षा दूसरी लहर ने ज्यादा तबाही मचाई है । ऐसे में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की एक स्टडी सामने आई है, जिसमें पहली लहर के बारे में हैरान करने वाली बात का खुलासा किया गया है कि कोविड एम्स आईसीयू में मरने वाले बुजुर्गों की अपेक्षा युवाओं की संख्या ज्यादा थी । दरअसल एम्स में यह स्टडी 4 अप्रैल से लेकर 24 जुलाई तक की गई थी , जिसमें यह पाया गया था कि एम्स के आईसीयू में कुल 247 मौतें हुई थी, जिसमें युवाओं का प्रतिशत 42.1 प्रतिशत था । यह स्टडी 4 अप्रैल से 24 जुलाई के बीच की गई थी ।
एम्स के इस अध्ययन में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है । स्टडी के अनुसार आईसीयू में मरने वाले 94.74% में एक और एक से अधिक कोमॉर्बिडिटिज पाई गई है। मरने वालों में 5% ऐसे लोग थे जिनमें कोई कोमॉर्बिडिटिज नहीं थी। एक्सपर्ट का कहना है कि 50 साल से कम उम्र के लोगों की मौत की सबसे बड़ी वजह उनका किसी ना किसी बीमारी का शिकार होना है, जिसकी वजह से उनमें कोरोना संक्रमण सीवियर होता है और मौत का खतरा भी ज्यादा होता है।
एम्स में पहले लहर के दौरान कुल 654 मरीज आईसीयू में एडमिट हुए थे, जिसमें 227 यानी 37.7 प्रतिशत की मौत हो गई । अध्ययन में पाया गया कि इसमें 65 प्रतिशत पुरुष है और मरने वालों की एवरेज उम्र 56 साल की लेकिन सबसे कम 18 साल की उम्र में भी मौत हुई है और ज्यादा से ज्यादा 97 साल थी । एम्स ट्रॉमा सेंटर के चीफ डॉ राजेश मल्होत्रा ने कहा कि सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 50 साल से कम उम्र के लोगों में मौत का आंकड़ा सबसे ज्यादा है । इस स्टडी में हमने देखा कि 42.1 प्रतिशत की उम्र 50 साल से कम है जबकि 51 से 65 साल के बीच 34.8% और 65 साल के ऊपर 23.1% है।
इसमें डॉक्टर मल्होत्रा ने इतनी संख्या में युवाओं के मरने की दो बड़ी वजह बताई है । पहली वजह यह कि हमारे देश में युवाओं की संख्या ज्यादा है तो एडमिट होने वालों में ज्यादा संख्या युवाओं की थी लेकिन दूसरी वजह ज्यादा चिंताजनक है कि 50 साल से कम उम्र वाले भी किसी ना किसी बीमारी के शिकार हैं । स्टडी में लगभग 95% लोगों में एक या एक से अधिक बीमारी थी, जिसमें हाइपरटेंशन, डायबिटीज, क्रॉनिक किडनी डिजीज जैसी बीमारियां प्रमुख थी, जिसकी वजह से उनमें कोरोना के सीवीयर लक्षण पाए गए ।
साथ ही डॉक्टर मल्होत्रा ने कहा कि इस स्टडी के आधार पर यह बात साफ हो रही है कि जिन्हें कोई अन्य बीमारी थी चाहे उनकी उम्र कम क्यों ना हो उनके लिए वायरस ज्यादा खतरनाक हो जानलेवा बना । उन्होंने कहा कि पहली बार बच्चों को भी सिस्टम में शामिल किया गया था । इसमें 46 बच्चे आईसीयू में थे, जिसमें 6 की मौत हुई यानी यह औसत 13 परसेंट दर्ज किया गया । उन्होंने कहा कि बच्चों में भी जितनी मौतें हुई है । उनमें कई प्रकार की दूसरी बीमारी भी थी, जिसमें सबसे प्रमुख मोटापा था । इस स्टडी में इस बात पर जोर दिया गया कि बच्चों में कोरोना उतना घातक नहीं है ।